हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में नए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति से लगता है कि पार्टी आलाकमान का भरोसा पुराने दिग्गजों की ओर लौट आया। हरियाणा में कुमारी शैलजा की जगह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है, जो स्पष्ट संकेत है कि हुड्डा को 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। उधर, इसी साल के आखिर में चुनाव वाले हिमाचल प्रदेश में भी पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को पार्टी की बागडोर सौंप दी गई है, जो पिछले साल के आखिर में हुए उपचुनाव में मंडी संसदीय सीट से विजयी हुईं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों प्रदेशों के नए अध्यक्षों की नियुक्ति का फैसला सोनिया गांधी का है इसलिए वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को तरजीह दी गई जबकि पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के बदले युवा नेता अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की नियुक्ति का फैसला राहुल गांधी का है।
राहुल के करीबी रणदीप सुरजेवाला के हरियाणा में उदयभान की नियुक्ति पर सवाल उठाने से यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि नए अध्यक्षों की नियुक्ति से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल के मतभेद भी सामने आ गए हैं। हालांकि उदयभान चार बार के विधायक और दलित चेहरे हैं। रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “उदयभान की जगह आदमपुर से विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कहीं बेहतर साबित होते, पर फैसला आलाकमान का है।” गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस हुड्डा, सुरजेवाला, कुमारी शैलजा, किरण चौधरी और कुलदीप बिश्नोई के पांच खेमों में बंटी है। शायद इन्हीं खेमों के बीच संतुलन साधने के लिए उदयभान के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। उनमें सुरजेवाला के करीबी सुरेश गुप्ता, शैलजा के करीबी रामकिशन गुर्जर, किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी और हुड्डा के करीबी जितेंद्र भारद्वाज हैं। हरियाणा में पार्टी को एकजुट करने की इस कवायद में हुड्डा खेमे के विरोधी कुलदीप बिश्नोई हाशिए पर चले गए हैं। शायद इसी वजह से कुलदीप की पैरवी के लिए रणदीप सुरजेवाला आगे आए। 2016 में राहुल गांधी के कहने पर ही बिश्नोई ने अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस का कांग्रेस में विलय किया था।
हरियाणा की बागडोर उदयभान के हाथ में
इन नियुक्तियों से लगता है कि कांग्रेस आलाकमान की कोशिश वरिष्ठ अनुभवी नेताओं और युवा नेताओं के बीच जिम्मेदारियों के बराबर बंटवारे के जरिए संतुलन बैठाना है। सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी वरिष्ठ अनुभवी नेताओं को आगे रखने के पक्ष में हैं तो राहुल गांधी युवाओं की टीम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। प्रदेश संगठनों में ताजा फेरबदल के बारे में पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा ने आउटलुक से कहा, “हिमाचल, हरियाणा और पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति से पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं के साथ युवाओं को भी महत्व देकर संगठन में सही संतुलन साधने की कोशिश की है।”
देश की सियासत में दलबदलुओं के लिए ‘आया राम-गया राम’ का जुमला काफी चर्चित है। यह 1967 में हसनपुर से विधायक गया लाल के लिए कहा गया था। उन्हीं के पुत्र उदयभान की चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के मौके पर चारों विरोधी गुटों के अगुआ सुरजेवाला, किरण चौधरी, शैलजा और बिश्नोई नदारद रहे। हालांकि नवनियुक्त अध्यक्ष गुटबाजी से इनकार करते हैं। उन्होंने आउटलुक से बातचीत में कहा, “अगस्त तक प्रदेश में ब्लॉक स्तर का संगठन खड़ा किया जाएगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई में कांग्रेस 2024 के लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव की जीत का मिशन आगे लेकर हरियाणा में तेजी से बढ़ रही है।”
उधर, हिमाचल कांग्रेस की कथित एकजुटता भी नई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के अभिनंदन समारोह में नजर नहीं आई। वरिष्ठ नेता आशा कुमारी समेत कई दिग्गज कांग्रेसी प्रतिभा के अभिनंदन समारोह से भले ही गायब रहे पर जाहिर है कि मंडी उपचुनाव में दिवंगत वीरभद्र सिंह के नाम पर भाजपा को पटखनी दे चुकी कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी को आगे करके हिमाचल फतह करने की तैयारी में है। अब देखना है कि इन फैसलों का असर क्या होता है।