राजस्थान में कोरोना से अब तक (27 अप्रैल) ,2328 लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 51 लोगों की मौत हो गई है। संक्रमण रोकने में राजस्थान के भीलवाड़ा मॉडल की पूरे देश में चर्चा हुई, लेकिन फिर भी कई जगहों पर स्थिति गंभीर है। कोरोना की लड़ाई में राज्य की क्या तैयारी है, इस पर आउटलुक के सवालों का चिकित्सा,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह ने जवाब दिया है। पैश हैं अंश:
राजस्थान उन राज्यों में है, जहां सबसे पहले कोरोना के मामले सामने आए, लेकिन दो महीने से स्थिति संभल नहीं रही है?
राजस्थान में पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज दो मार्च को पाया गया था। उसके बाद राजस्थान देश में पहला राज्य था, जिसने लॉकडान की शुरुआत की। भीलवाड़ा मॉडल देश के सामने आया। आज राजस्थान देश में प्रति दस लाख जनसंख्या में सबसे ज्यादा टेस्ट करने वाला राज्य है। सरकार के इन्हीं प्रयासों के कारण राजस्थान कोरोना वायरस के ग्रोथ ग्राफ को स्थिर (फ्लैट) करने में सफल रहा है।
अभी तक कितने हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान हुई है और उनकी क्या स्थिति है?
राजस्थान में अभी तक 18 जिलों में 2,061 हॉटस्पॉट की पहचान की गई है। सभी जगहों पर कर्फ्यू लगाकर तेजी से लोगों की पहचान की गई। अब सभी हॉटस्पॉट के पॉजिटिव पाए गए केस निगेटिव होते जा रहे हैं।
भीलवाड़ा मॉडल एक सफल उदाहरण के रूप में पेश किया जा रहा है, उसके लिए क्या कदम उठाए गए?
भीलवाड़ा में काफी आक्रामक रूप से और बहुत कम समय में संक्रमित मामलों की पहचान और आइसोलेशन का काम किया गया। परिणाम देश के सामने है। यही उपाय पूरे राज्य में अपनाकर राजस्थान ने कोरोना वायरस के नियंत्रण में सफलता पाई।
केंद्र सरकार कह रही है कि जयपुर क्षेत्र काफी संवेदनशील बन गया है, यहां पर भीलवाड़ा मॉडल क्यों सफल नहीं हो पा रहा है?
जयपुर के रामगंज में अब कोरोना संक्रमण थम गया है। टेस्ट सैंपल ज्यादातर निगेटिव आ रहे हैं। शुरुआती दौर में अत्यधिक जनसंख्या घनत्व के कारण परेशानी आई। क्वारेंटाइन सेंटर की व्यवस्था, ज्यादा से ज्यादा आर-पीसीआर टेस्ट और कठोर निगरानी से रामगंज अब सुरक्षित है।
राज्य में कोविड अस्पतालों, बेड और वेंटिलेटरों की क्या स्थिति है?
राज्य में त्रिस्तरीय मॉडल अपना गया है। इसके तहत 63 कोविड हेल्थ केयर, 52 हेल्थ सेंटर और 56 कोविड अस्पताल की व्यवस्था की गई है। साथ ही पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर, पीपीई किट्स और मास्क की व्यवस्था कर ली गई है।
राज्य में टेस्टिंग को लेकर क्या रणनीति है?
राज्य में दो तरह की टेस्टिंग की जा रही है। पहले, सभी जिलों में एपिडेमियोलॉजिकल सर्विलांस के जरिए कोरोना संक्रमण का पता लगाया जा रहा है। दूसरे स्तर पर कोरोना कंटेनमेंट स्ट्रैटजी के तहत हॉटस्पॉट में चिन्हित व्यक्तियों की जांच की जा रही है। राजस्थान में आरटी-पीसीआर से रोजाना 5,000 टेस्ट किए जा रहे हैं। जल्द ही इसकी संख्या बढ़कार 10 हजार टेस्ट कर दी जाएगी।
लॉकडाउन को क्या अभी आगे बढ़ाया जाना चाहिए या फिर इसमें ढील देनी चाहिए।
लॉकडाउन का उद्देश्य कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकना और सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को संभालने के लिए तैयार करना था। सरकार अपने उद्देश्यों में सफल रही है। अब सरकार लॉकडाउन में ढील देने के लिए तैयार है।
कई राज्य राजस्थान में फंसे छात्रों को वापस बुला रहे हैं, क्या इससे संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है?
विभिन्न राज्य सरकारों ने राजस्थान में पढ़ रहे छात्रों को वापस बुलाया है। इन सभी छात्रों का टेस्ट किया जाएगा और उन्हें 14 दिन क्वारेंटाइन में रखा जाएगा, उसके बाद परिवार के पास भेजा जाएगा। इसलिए इनसे संक्रमण का खतरा नहीं है।
इस दौर में कोविड-19 के अलावा दूसरे मरीजों का इलाज भी बड़ी चुनौती बन गया है, इसके लिए राज्य कितना तैयार है?
कोरोना संक्रमण वाले मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण दूसरे मरीजों के अस्पताल में आने पर खतरा बना हुआ था। सरकार ने इस चिंता को तुरंत दूर करते हुए सभी जगह अलग कोविड अस्पताल चिन्हित कर दिए। अब सभी मरीज बिना किसी भय के इलाज करवा सकते हैं। हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।