मैं उन्हें दंगल की कहानी सुनाने गया था। उन्होंने महसूस नहीं होने दिया कि मैं इतने बड़े स्टार से पहली बार मिल रहा हूं। करीब साढ़े तीन घंटे पूरी स्क्रिप्ट उन्होंने शिद्दत से सुनी। आमिर खान मिलनसार और दोस्ताना हैं। इस फिल्म में उनके साथ काम करने का मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा। जब हम दंगल की कहानी लिख रहे थे, तब दिमाग में नहीं था कि किस अभिनेता को लेना है।
मैं किसी एक्टर को ध्यान में रखकर फिल्म नहीं सोचता। जिस सब्जेक्ट पर आधारित ये फिल्म थी, लग रहा था कि शायद ही कोई बड़ा कलाकार इसके लिए हां बोले। जब मेरे सहयोगियों ने मुझसे पूछा कि यदि आपसे कहा जाए, तो आप किसे लेना चाहेंगे। मैंने आमिर खान का नाम लिया।
इस फिल्म में जितना समय देना था, कुश्ती सीखनी थी, किरदार के लिए वजन बढ़ाना था, हमें लगा कि यह सब आमिर खान ही कर सकते हैं। रोल के लिए आमिर खान को करीब 30 किलो वजन बढ़ाना था, जो आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने सब कुछ बड़े अच्छे तरीके से किया। डायरेक्टर तो बोल देता है कि इस सीन के मुताबिक आप अपना वजन ज्यादा या कम करेंगे, लेकिन काम तो एक्टर को ही करना पड़ता है। आमिर का कहना था कि वे साइंटिफिक तरीके से वजन बढ़ाएंगे। वजन बढ़ने की वजह से उनका पल्स रेट, कोलेस्ट्रोल, ब्लड प्रेशर बहुत बार कम ज्यादा हो जाता था। फिर भी उन्होंने हर सीन को बेहतरीन तरीके से पर्दे पर उतारा।
मुझे कभी-कभी लगता है, इतना बड़ा सुपरस्टार इतना सहज कैसे हो सकता है। आमिर सेट के सभी नियमों का पालन करते हैं। उन्होंने कभी कोई शिकायत नहीं की न कुछ बदलने को कहा। यदि कोई ऐक्टर कुछ बोलता है, तो हमें वैसा करना पड़ता है। पर आमिर के साथ ऐसा कुछ नहीं था। उनके साथ काम करना सहज है। हमारे सेट पर मोबाइल लेकर कोई अंदर नहीं आ सकता था, इसलिए वे भी अपना फोन बाहर ही छोड़कर आते थे। हम लोग वास्तविक लोकेशन पर शूट कर रहे थे तो व्यवस्था भी कुछ खास नहीं थी। जूनियर एक्टर, को-एक्टर, टेक्नीशियन जो नियम मानते थे आमिर भी उन्हीं नियम का पालन करते थे। मैं समझता हूं हर डायरेक्टर उनके साथ काम करना चाहेगा।
अभिनेता आमिर के पास इंडस्ट्री में 30 साल से अधिक का अनुभव है। इस फिल्म में कुछ जगहों पर ऐसा भी हुआ, जहां हमें लगा कि आमिर से इस पर सलाह ली जानी चाहिए और हमने ऐसा किया। उनका तजुर्बा हमसे कहीं ज्यादा है। सबसे खास बात, जो मैंने उनमें देखी कि वे विषय के मुताबिक भूमिका निभाने में जितनी मेहनत की जरूरत होती है, करते हैं। पूरा समय देते हैं। यह भी एक खासियत है कि वे एक समय में एक ही फिल्म करते हैं, ताकि पूरा फोकस अपने किरदार पर कर सकें। वे पूरी लगन के साथ काम करते हैं।
मैं यही दुआ करूंगा कि जल्दी कुछ ऐसा हमारे सामने आए कि हम दोनों फिर से साथ में काम करें। इतने बड़े दर्शक वर्ग को तीन दशक तक अपने साथ जोड़कर रखना आसान नहीं है। सिर्फ आमिर नहीं, तीनों खान- सलमान, शाहरुख और आमिर अपने दर्शकों से अच्छे तरीके से कनेक्ट कर पाते हैं। इसके लिए तीनों उसी तरह की कहानी, किरदार और डायरेक्टर के साथ काम करते हैं। इनका जलवा लोगों के दिलों पर बरकरार है। ओटीटी प्लेटफॉर्म आने के बाद ये और बढ़ेगा।
मुझे लगता है कि लोग थिएटर में फिल्म देखने और मोबाइल पर फिल्म देखने के अंतर को समझते हैं। आने वाले समय में यह स्टारडम लगातार बढ़ता जाएगा, क्योंकि तीनों खान के पास हर तरह के किरदार निभाने की काबिलियत है। ओटीटी के बाद एक और अच्छी बात यह हुई है कि अन्य कलाकारों को भी भरपूर मौका मिल रहा है। अभी अपनी आने वाली अगली फिल्म रामायण पर काम कर रहा हूं। इसके लिए दर्शकों को थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
(नितेश तिवारी दंगल (2016) के निर्देशक हैं। नीरज झा से बातचीत पर आधारित)