मुख्यमंत्री साय का विजन 2047 तक छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य में बदलना है। यह सपना तभी पूरा होगा, जब प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका के समान और अच्छे अवसर होंगे। सरकार लगातार इन क्षेत्रों में अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। सभी क्षेत्रों में साय सरकार के ईमानदार प्रयासों का ही नतीजा है कि राज्य में इसके परिणाम दिखने लगे हैं। चूंकि राज्य में आदिवासी जनसंख्या विशेष स्थान रखती है, इसलिए सरकार का इन पर पूरा ध्यान है। दूसरी ओर मोदी की गारंटी कार्यक्रम के तहत किए गए वादों को पूरा करने की भी प्रतिबद्धता साय सरकार के काम से स्पष्ट परिलक्षित होती है। खर्च और निवेश की संभावनाओं वाले देश के 788 जिलों में छत्तीसगढ़ का डीपीआई स्कोर 37.0 है, जो दिल्ली 68.2, पश्चिम बंगाल 42.9 और उत्तराखंड 41.0 के मुकाबले बेहतर है।
बीते सितंबर माह में एनएसएसओ का आया एक सर्वे बताता है कि छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। यह सर्वेक्षण भारत सरकार के सांख्यिकी और आर्थिक कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा किया गया है। दरअसल सीएम साय राज्य में रोजगार बढ़ाने के लिए कई आयामों पर कार्य कर रहे हैं। उनका ध्यान औद्योगिकीकरण, खनन और इससे जुड़ी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के समाधान पर है।
सरकारी नौकरियों की बात करें तो मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर अब तक विभिन्न सरकारी विभागों में 7,000 से अधिक पदों की भर्ती के लिए वित्त विभाग ने मंजूरी दे दी है। अन्य विभाग प्रस्ताव बनाने से लेकर शासन से स्वीकृति की तैयारी में जुटे हुए हैं। सायनॉमिक्स का तीसरा अहम कदम है, सबको सुलभ और बहुविकल्पीय रोजगार। सरकार ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में आजीविका यानी रोजगार को शामिल किया है।
स्पष्ट और मजबूत रोजगार नीति
छत्तीसगढ़ में कभी रोजगार का संकट न आए, इसके लिए साय सरकार स्पष्ट रोजगार नीति या रणनीति के तहत उद्योगों और खनन क्षेत्रों के विकास पर जोर दे रही है। इसका उद्देश्य छत्तीसगढ़ के संसाधनों का सदुपयोग करके रोजगार उत्पन्न करना है। साय सरकार ने डिमांड बेस्ड सिलेबस यानी प्रदेश के बाजार, उद्योगों में जिस कौशल की मांग है, उसे तैयार करा रही है। इससे उद्योगों की श्रम संबंधी जरूरत स्थानीय स्तर पर ही पूरी की जा सकेगी। दूसरी ओर एमएसएमई सेक्टर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि सरकार जानती है कि इस सेक्टर में रोजगार सृजन की असीम संभावनाएं हैं। इसके लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना और उद्यमियों के लिए प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों की पेशकश जैसे कार्यक्रम आरंभ कर दिए गए हैं।
एग्रीकल्चर बने प्राइम जॉब क्रिएटर
साय सरकार एमएसएमई सेक्टर के बाद कृषि क्षेत्र को ऐसा करना चाहती है कि यह रोजगार का प्राथमिक स्रोत बन जाए। इसके लिए साय सरकार आधुनिक और तकनीक आधारित खेती पर तेजी से काम कर रही है। इसके साथ ही साय सरकार ने पीएम मोदी के मिलेट्स अभियान के तहत छत्तीसगढ़ को सुपरफूड्स के उत्पादन और प्राकृतिक फार्मेसियों की स्थापना की दिशा में आगे ले जाने का निर्णय लिया है और इसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा करने के साथ स्थानीय उत्पादों के प्रसंस्करण और ब्रांडिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है। ऐसा करने से उत्पादों का बाजार मूल्य बढ़ेगा।
रोजगार अवसर के विभिन्न आयाम
1 औद्योगिकीकरण और खनन
2 कौशल विकास
3 एमएसएमई सेक्टर पर फोकस
4 कृषि और ग्रामीण रोजगार