दूसरे के घरों में साफ-सफाई का काम करने वाली दुर्ग की सरिता निर्मलकर को हर महीने महतारी वंदन योजना के एक हजार रुपये मिलते हैं। इससे वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करती हैं। राजनांदगांव की रहने वाली आशा सोनकर का सिलाई मशीन खरीदने का सपना महतारी वंदन की किस्तों ने पूरा किया। रायपुर की रहने वाली विमला हर माह मिलने वाले महतारी वंदन योजना के हजार रुपये को सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में डाल कर बचत करती हैं। साय सरकार का आधार स्तंभ गांव, शहर की परिवार इकाई हैं। वे इसके लिए न जात देखते हैं न धर्म। न क्षेत्र देखते हैं न वाद। उनका ध्यान सिर्फ परिवार को ध्यान में रख कर ऐसे मॉडल का निर्माण करना है, जो निचले स्तर से राज्य की इकॉनॉमी में पैसे डाल सके और बाजार को बेहतर बना सके। इसी बात को सोचते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय महतारी वंदन योजना लेकर आए। इसमें मिल रहे एक हजार रुपये ने जमीनी स्तर पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में क्रांति ला दी है। उनका मानना है कि परिवार इकाई मजबूत तो गांव मजबूत और गांव मजबूत तो प्रदेश के साथ देश मजबूत।
वरदान है कृषक उन्नति योजना
राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में साय सरकार द्वारा धान किसानों के लिए शुरू की गई कृषि उन्नति योजना समेत बोनस राशि की अहम भूमिका है। राज्य में धान की खेती से खेत ही नहीं लहलहा रहे बल्कि इससे गांव और गली-मोहल्ले की दुकानों में रौनक लौट आई है। साय सरकार ने कृषक उन्नति योजना लागू कर धान का प्रति क्विंटल मूल्य 3100 रुपये देने के साथ 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान की खरीदी शुरू की है। यही नहीं, धान पर साय सरकार ने दो साल का बकाया बोनस जारी कर धान आधारित अर्थतंत्र को ऊर्जा देने का काम किया है। तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि बढ़ाए जाने से लेकर विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का पैसा सीधे लोगों के हाथ में पहुंचने से उनकी क्रय क्षमता बढ़ी है, वहीं इससे ग्रामीण अर्थतंत्र में तेजी देखी जा सकती है। इसका सीधा लाभ छोटे और मझोले कारोबारियों को भी हो रहा है जो कि रोजगार सृजन का भी जरिया बना है। साय सरकार द्वारा आर्थिक तरक्की का ऐसा मॉडल अपनाया जा रहा है जिसके केंद्र में गरीब, किसान, आदिवासी और महिलाएं हैं।
भूमिहीन परिवारों को भी मदद
दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को दस हजार रुपये की वार्षिक सहायता का प्रावधान किया गया है। इसके लिए बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी
महतारी वंदन योजना की किस्तों से महिलाओं की आर्थिक भागीदारी के अनेक किस्से हैं। महतारी वंदन योजना की बदौलत महिलाओं की राज्य के अर्थतंत्र में भागीदारी बढ़ी है। राज्य में 70 लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मार्च से लेकर अब तक आठ किस्तों का भुगतान हो चुका है। सरकार बनने के कुछ महीने के भीतर ही जिस तरह हितग्राहियों का चयन और उन तक डीबीटी के जरिए पैसा पहुंचाया गया वह राज्य में गुड गवर्नेंस का एक बेहतरीन मॉडल है। महिलाओं की आर्थिक गतिविधियों में मौजूदगी बढ़ने का सीधा लाभ प्रोडक्शन, डिस्ट्रिब्यूशन और कंजप्शन (खपत) में होता है। इससे उत्पादन और वितरण की पूरी ंखला मजबूत होती है। इसी कड़ी में महिलाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करने के लिए श्रम विभाग दीदी ई-रिक्शा सहायता योजना संचालित कर रहा है। यह योजना महिलाओं को ई-रिक्शा खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इससे महिलाएं जहां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं वहीं ग्रामीण और शहरी परिवहन तंत्र पर्यावरण अनुकूल बन रहा है।
बेहतर बैंकिंग सुविधा का विकास
बैंकिंग सेवाओं के बिना आर्थिक आत्मनिर्भरता की कल्पना नहीं की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बैंक सखी बनकर लोगों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कर रही हैं। सरगुजा जिले के सात जनपदों में ही 87 बैंक सखियां कार्यरत हैं जो गांव वालों को बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ रही हैं। कियोस्क के जरिए ग्रामीणों को खाता खोलने, पैसा जमा करने एवं निकासी, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति एवं सुरक्षा बीमा योजनाओं सहित अन्य लाभ पहुंचाए जा रहे हैं।
छोटे और सीमांत किसानों में आर्थिक आत्मनिर्भरता
पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान साय सरकार ने 24 लाख 75 हजार किसानों से 145 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की। धान के समर्थन मूल्य के रूप में 31 हजार 914 करोड़ रुपये सीधे किसानों के हाथ में मिले, जिनसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। इससे मांग और आपूर्ति में संतुलन देखने को मिला। राज्य के ग्रामीण हिस्से में स्थित मड़ई, मेले और स्थानीय कारोबार में रौनक देखी जा सकती है। 25 दिसंबर 2023 को सुशासन दिवस के मौके पर राज्य के 13 लाख किसानों के बैंक खाते में दो साल के बकाया धान बोनस की रकम 3,716 करोड़ रुपये पहुंचने से किसान परिवारों ने कृषि और घर की तत्कालीन आवश्यकताओं को पूरा करते हुए बच्चों की पढ़ाई, शादी-विवाह, स्वरोजगार जैसे काम पूरे कर रहे हैं।
पीएम आवास से रोजगार सृजन
प्रधानमंत्री आवास योजना भी राज्य के ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में मांग सृजित कर रही है। 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर राज्य के 5 लाख 11 हजार से अधिक आवासहीन परिवारों को पीएम आवास की पहली किस्त 2044 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की गई। इससे सीमेंट, सरिया, ईंट तथा रेत की मांग बढ़ने के साथ श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर काम मिल रहा है।
तेंदूपत्ता बोनस बदल रहा तकदीर
भौगोलिक क्षेत्रफल के लिहाज से छत्तीसगढ़ देश का 9वां सबसे बड़ा राज्य है। तेंदूपत्ता, महुआ, इमली सहित सभी लघु वनोपजों को साय सरकार ने बाजार और उचित कीमत उपलब्ध कराकर ग्रामीण अर्थतंत्र को सुदृढ़ किया है। तेंदूपत्ता श्रमिकों को प्रति मानक बोरा संग्रहण राशि 4000 रुपये से बढ़ाकर 5500 रुपये कर साय सरकार ने राज्य में हरा सोना कहे जाने वाले तेंदूपत्ता आधारित आर्थिक गतिविधियों को टिकाऊ बनाया है। इसका सबसे बड़ा लाभ ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में बसे गांव में रहने वाले आदिवासियों को हो रहा है।
हरे सोने से आर्थिक तरक्की
तेंदूपत्ता के जरिए अपनी आजीविका हासिल करने वालों के लिए साय सरकार ने तेंदूपत्ता की संग्रहण दर बढ़ाने के साथ इस काम में लगे मजदूरों के लिए नियम आसान बनाए हैं। हाट-बाजारों में कैंप लगाकर नगद भुगतान किया जाता है। पिछले सीजन में 13 लाख 5 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 855 करोड़ 80 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। इनकी संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 1 लाख 72 हजार अधिक है। विष्णु सरकार ने तेंदूपत्ता का कलेक्शन, क्वालिटी टेस्टिंग प्रोसेस को भी आसान बनाया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस सरल होने से उनकी जिंदगी में हरा सोना कहे जाने वाला तेंदूपत्ता खुशियों और समृद्धि का खजाना बन गया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को उत्पाद पर उचित मूल्य मिलने पर वे कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियां जैसे बागवानी और पशुपालन की ओर भी बढ़े हैं।
मनरेगा का प्रभावी क्रियान्वयन
छत्तीसगढ़ राज्य मनरेगा के क्रियान्वयन में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में माह अप्रैल में 2 करोड़ 57 लाख तथा माह मई में 3 करोड़ 15 लाख रोजगार पैदा हुए हैं। इसी तरह मई तक 5 करोड़ 82 लाख से अधिक मानव दिवस का रोजगार सृजन कर विगत चार वित्तीय वर्ष के माह अप्रैल और मई में हुए सृजित मानव दिवस का आंकड़ा प्राप्त कर नई उपलब्धि हासिल की है। 2021-22 में मई माह तक 4 करोड़ 81 लाख, वर्ष 2022-23 में मई माह तक एक करोड़ 19 लाख, वर्ष 2023-24 में मई माह तक 4 करोड़ 49 लाख तथा 2024-25 में मई माह तक 5 करोड़ 72 लाख रोजगार का सृजन हुआ है। मनरेगा अंतर्गत विगत 6 माह में 10 करोड़ 93 लाख मानव दिवस सृजित हुआ वहीं 1 लाख 73 हजार निर्माण कार्य पूर्ण हुए।
कैपेक्स में छत्तीसगढ़ का बेहतरीन प्रदर्शन
केंद्र सरकार के कैपेक्स (पूंजीगत व्यय) में छत्तीसगढ़ शीर्ष पांच राज्य में है। राज्य को सड़क, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य के लिए केंद्र से 1171 करोड़ रुपये मिले हैं। असम, गुजरात, हिमाचल, त्रिपुरा, गोवा और सिक्किम जैसे राज्य छत्तीसगढ़ से पीछे छूट चुके हैं। जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए साय सरकार ने जिस तरह ग्रामीण अर्थतंत्र को बूस्टर दिया है उससे प्रदेश आर्थिक विकास के साथ लोगों के रहन-सहन में गुणवत्ता आई है। प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1 लाख 47 हजार 500 करोड़ रुपये का बजट पेश करते समय सामान्य जन पर बिना टैक्स लगाए राज्य की अर्थव्यवस्था को बूस्टर देने का काम किया था, उसका असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में देखने को मिल रहा है। सरकार अपने राज्य का समग्र विकास कर रही है। जब समाज का हर वर्ग आगे, बढ़ेगा, तभी सही मायनों में तरक्की का एहसास होगा।