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7 जनवरी 2025 · JAN 07 , 2025

सिमटता नक्सलवाद: नक्सलवाद के विरुद्ध ‘आयरन मैन’ साबित हो रहे विष्णु देव

नक्सल हिंसा की बदनामी को पीछे छोड़ छत्तीसगढ़ शांति और विकास की राह पर चल पड़ा है। मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट कर दिया है कि बोली का जवाब बोली और गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा
नक्सल के विरुद्ध

5 अक्टूबर को अबूझमाड़ के जंगल से खबर आई कि जवानों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया है। चार दशक से नक्सली हिंसा झेल रहे छत्तीसगढ़ में यह नक्सलियों के विरुद्ध अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। नक्सल हमलों में जवानों की शहादत के गवाह रहे राज्य में अब बाजी पलट गई है। नक्सल हिंसा की बदनामी को पीछे छोड़ छत्तीसगढ़ शांति और विकास की राह पर चल पड़ा है। यह संभव हुआ है, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की दृढ़ निश्चयी नीति और सुशासन से। मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट कर दिया है कि बोली का जवाब बोली और गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा। यही कारण है कि राज्य में साय की सरकार बनने के बाद नक्सली लगातार या तो मारे जा रहे हैं या सरेंडर कर रहे हैं।

विष्णु देव साय नक्सलवाद के विरुद्ध आयरन मैन साबित हुए हैं। 7 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सफलता के आंकड़े लेकर रवाना हुए। इससे पूर्व शाह ने 24 अगस्त को छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित राज्यों की बैठक में नक्सलवाद के संपूर्ण खात्मे के लिए मार्च 2026 की समय सीमा तय की थी। साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ इस संकल्प को पूर्ण करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। राज्य सरकार हिंसा का किसी भी तरह समर्थन नहीं करती है। केवल हिंसा करने वालों पर सख्ती की जरूरत को ध्यान में रखकर कार्रवाई की जा रही है। नक्सल मोर्चे पर जान की बाजी लगाकर लड़ रहे जवानों की सुरक्षा के अधिकारों को सरकार का पूरा समर्थन मिला है, जिससे सुरक्षा बलों का आत्मविश्वास बढ़ा है। इसी का परिणाम है कि नक्सलियों को अबूझमाड़ के सुरक्षित जंगलों में भी पनाह नहीं मिल पा रही है।

विष्णु देव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद नक्सल मोर्चे पर सफलता के कई अध्याय लिखे जा चुके हैं। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि साय के सीएम बनने के बाद से 13 दिसंबर 2023 से अब तक कुल 194 नक्सली मारे जा चुके हैं। जो मारे गए हैं उनमें बड़े कमांडर और इनामी नक्सली शामिल हैं। 5 अक्टूबर को दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों की सीमा पर स्थित अबूझमाड़ के जंगल में नक्सली जमावड़े की सूचना मिली तो सरकार ने तत्काल एक्शन लिया। बस्तर के अलग-अलग नक्सल प्रभावित जिलों के पुलिस अधिकारियों ने गहन मंथन के बाद नेंदुर-थुलथुली के पहुंचविहीन जंगल में जवानों को उतारा। इस कार्रवाई में नक्सलियों के कई बड़े कमांडर मारे गए। जवानों ने एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों को भी जब्त किया। इससे पहले अबूझमाड़ में ही कांकेर के छोटे बेठिया इलाके के हापटोला-कल्पर के जंगल में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले हुई मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए थे।

नक्सलवाद के खिलाफ प्रहार

 

नक्सलियों के खिलाफ साय सरकार की सफलता की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है। चर्चा हिंसा के जवाब में हिंसा की नहीं बल्कि हिंसा पीड़ितों के आंसू पोंछने की है। सरकार के सभी प्रयासों की प्रशंसा हो रही है। नक्सलियों के चंगुल में फंसे आदिवासी भय से मुक्त होकर अपनी पीड़ा अभिव्यक्त कर रहे हैं। नक्सली धमकी को धता बताते हुए बस्तर के नक्सल पीड़ितों ने बस्तर शांति समिति के नाम से अपना संगठन बना लिया है। यह ग्रामीणों का सरकार के प्रति बढ़े हुए भरोसे का प्रमाण है। सितंबर में बस्तर शांति समिति के बैनर तले नक्सल हिंसा के पीड़ितों ने पहली बार दिल्ली में जाकर प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उनकी व्यथा सुनी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर के ऐसे आदिवासियों को भोज पर आमंत्रित किया जो नक्सल हिंसा में अपाहिज हो चुके हैं। पहली बार दिल्ली ने नक्सलवाद का असली और वीभत्स चेहरा देखा। कॉन्सटिट्यूशन क्लब और जेएनयू में नक्सल पीड़ितों ने अपनी कहानी सुनाई तो श्रोताओं की आंखें नम हो गईं।

यह छत्तीसगढ़ की एक अलग तस्वीर थी जिसे बदलने की आवश्यकता बुद्धिजीवी वर्ग ने भी महसूस की है। इसे साय सरकार की सफलता ही मानी जाएगी कि उसने नक्सल मामले में राय बदलने में भी कामयाबी हासिल की है। नक्सली हिंसा अब भी हो रही है किंतु परिवर्तन भी आया है। अब घायलों की देखरेख करने के लिए सरकार तत्परता से खड़ी दिखती है। नक्सल प्रभावितों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य सरकार नक्सल हिंसा की वजह से शिक्षा से वंचित तबके को पढ़ाने के लिए नए स्कूल खोल रही है। नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। सुरक्षा चाक चौबंद की गई है और विकास की चकाचौंध दिखने लगी है। सरकार नक्सल पीड़ितों तथा सरेंडर करने वाले नक्सलियों के लिए राहत और पुनर्वास की नई नीति लेकर आ रही है। पीड़ितों के लिए पेंशन की योजना भी तैयार की जा रही है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान देने की तैयारी की जा रही है। सरकार के इन प्रयासों से नक्सलवाद तेजी से खत्म होने लगा है।

सुरक्षा कैंप बने विकास कैंप

विष्णु देव सरकार अब तक अछूते रहे नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के नए कैंप खोलकर विकास की गाथा लिख रही है। सुकमा जिले में कभी आतंक का पर्याय रहे नक्सल कमांडर हिड़मा के गांव पुवर्ती तक पहुंच पाना संभव नहीं था। अब उसके गांव में कैंप खुल गया है। इलाके के गांव पक्की सड़कों से जुड़ रहे हैं। नाले का पानी पीने को मजबूर आदिवासियों के गांव में हैंडपंप लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा बलों के कैंप में मोबाइल टावर, सरकारी राशन दुकान, चिकित्सा सुविधा आदि उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार ने अब तक अछूते रहे इलाकों को विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए नियद नेल्लानार यानी आपका अच्छा गांव योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत नए खुले 34 कैंपों के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित 90 गांवों में बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। कैंप में आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, जॉब कार्ड आदि बनाए जा रहे हैं। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ गांव में ही मिलने लगा है। अभी 30 और कैंप खोल कर नियद नेल्लानार योजना चलाने की तैयारी की जा रही है। बस्तर के सुदूरवर्ती इलाकों में इस योजना से विकास की किरण पहुंच रही है। बदलाव साफ दिख रहा है, जो सराहनीय है।

फैक्ट फाइल

(पिछले एक वर्ष के आंकड़े)

339

कुल नक्सल अपराध

101

पुलिस नक्सली मुठभेड़

194

मारे गए नक्सलियों के शव बरामद

801

गिरफ्तार नक्सली

742

आत्म समर्पित नक्सली

211

नक्सलियों से जब्त हथियार

206

आईआईडी जब्त

 

 

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