सरल, सहज और निर्णायक छवि वाले नेता के तौर पर उभरे विष्णु देव साय का चेहरा छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में भी भाजपा को मजबूती प्रदान करने की कड़ी बनता जा रहा है। उनके सुशासन का फार्मूला राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें एक मजबूत आदिवासी नेतृत्व के तौर पर उभार रहा है। साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ में लोकसभा की जीत का आंकड़ा अब तक के रिकार्ड से कहीं अधिक रहा। उनके नेतृत्व में भाजपा के वोट प्रतिशत में जहां इजाफा हुआ, वहीं पड़ोसी राज्यों में भी उनके चेहरे पर चुनाव प्रचार का लाभ जीत की गारंटी के रूप में दिखाई दिया। पड़ोसी राज्यों ओडिशा और मध्यप्रदेश में भी पार्टी का प्रमुख आदिवासी चेहरा विष्णु देव ही बनकर उभरे हैं। साय ने इन दोनों राज्यों में जुटकर प्रचार किया था। साय के बारे में बात करते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनकी वाककला गजब की है। वह जमीन से जुड़े जनता के मुद्दे उठाते हैं तथा समस्याओं के साथ ही समाधान को भी रेखांकित करते चलते हैं। इसी कला से वह जनसमुदाय का विश्वास जीतने में सफल होते हैं।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा के चुनाव नतीजे आए तो 11 में 10 सीटें भाजपा ने जीतीं। पिछली बार के मुकाबले इस बार राज्य में एक सीट का इजाफा हुआ। छत्तीसगढ़ के अलावा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पड़ोसी राज्य ओडिशा में भी चुनाव प्रचार किया। वहां की लोकसभा सीटों के साथ-साथ विधानसभा में भी पार्टी का परफार्मेंस बेहतर रहा। केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज को लोगों ने सराहा और पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ यहां सरकार बनाने में मदद की। छत्तीसगढ़ में साय ने लोकसभा के दौरान कुल 64 जनसभाएं कीं। बस्तर, राजनांदगांव, महासमुंद से लेकर सरगुजा में जनसभाओं और रोड शो का काफी असर रहा।
कोरबा को छोड़कर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों में भाजपा जीत हासिल हुई। इसी तरह मध्यप्रदेश में विष्णु देव साय ने चार सीटों मंडला, खजुराहो, शहडोल और सीधी में प्रचार किया था। इन चारों लोकसभा सीटों पर उन्होंने कुल आठ जनसभाओं को संबोधित किया। परिणाम सकारात्मक रहे। चारों सीटों पर भाजपा बंपर मतों से जीती। ओडिशा के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की बहुत डिमांड रही। यहां 7 लोकसभा सीटों पर मुख्यमंत्री ने जनसभाए कीं। जिन सीटों पर साय ने प्रचार किया उनमें से 6 सीटों बरगढ़, बलांगीर, कालाहांडी, नवरंगपुर, संबलपुर तथा सुंदरगढ़ में पार्टी को विजय मिली है। ओडिशा की झारसुगुड़ा, कोटपाड़, कोरापुट, उमरकोट, तलसरा, बीजेपुर, बीरमहाराजपुर और कुचिंदा विधानसभा सीट पर विजय में साय का महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है। इन सीटों की बात इसलिए की जा रही है क्योंकि साय आदिवासी नेतृत्व का राष्ट्रीय चेहरा बनकर उभर रहे हैं। उन्होंने खुद को हर उस मौके पर साबित किया, जिसकी राजनीति में जरूरत होती है।
बेहतर स्ट्राइक रेट वाले मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ सहित मध्यप्रदेश और ओडिशा में पार्टी की जीत में मुख्यमंत्री साय का अहम योगदान रहा। साय का छत्तीसगढ़ में 91 प्रतिशत, मध्यप्रदेश में 100 प्रतिशत और ओडिशा में 86 प्रतिशत सक्सेस स्ट्राइक रेट रहा। यही वजह रही कि कई पत्र-पत्रिकाओं ने विष्णु देव साय को सुपर स्ट्राइकर सीएम की संज्ञा भी दी। लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री साय दिन-रात मेहनत करते थे। लेकिन वे सफलता का पूरा श्रेय हमेशा कार्यकर्ताओं को देते रहे हैं। वे कहते हैं कि भीषण गर्मी की परवाह न कर कार्यकर्ताओं ने बहुत मेहनत की और सुखद परिणाम उन्हीं की मेहनत का नतीजा है। संगठन के हर नेता ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, जिसका नतीजा सामने है।