जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को गुरेज है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल पर क्लीन चिट नहीं देनी चाहिए थी, हालांकि पार्टी इस केंद्र शासित राज्य में दोहरे सत्ता-तंत्र के कारण सरकार की चुनौतियों को स्वीकार भी करती है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जी.ए. मीर ने कहा, "जम्मू-कश्मीर में लोगों ने स्पष्ट जनादेश दिया है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में चुनाव नतीजे लोगों की भावनाओं के विपरीत लगते हैं जिससे गंभीर सवाल उठते हैं। इसलिए ईवीएम पर किसी साफ-साफ सबूत के अभाव में उसके बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।"
प्रधानमंत्री के कश्मीर दौरे से पहले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने ईवीएम के इस्तेमाल पर आपत्तियों को खारिज करके कहा था कि सौ से ज्यादा सांसदों के ईवीएम से चुने जाने पर जीत का जश्न मनाया गया लेकिन बाद में चुनाव के नतीजे प्रतिकूल आए तो ईवीएम पर सवाल उठाना नाजायज है। 13 जनवरी को सोनमर्ग सुरंग के उद्घाटन के दौरान मुख्यमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का श्रेय प्रधानमंत्री को देते हुए कहा, "आपने (प्रधानमंत्री) अपनी बात रखी और चार महीने के भीतर ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव करा दिए। आपने लोगों को वोट देने और अपनी सरकार चुनने का मौका दिया। आज इसका नतीजा यह है कि बतौर मुख्यमंत्री मैं इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा हूं और आपसे बात कर रहा हूं।"
उन्होंने चुनाव प्रक्रिया पर कहा, "आपने चुनाव करवाए जिसमें लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और सबसे बड़ी उपलब्धि लोगों की जीत थी। भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं थी, सरकार का कोई दुरुपयोग नहीं हुआ और किसी भी बूथ पर दोबारा मतदान की जरूरत नहीं पड़ी। इसका श्रेय आपको, आपके सहयोगियों और देश के चुनाव आयोग को जाता है।"
कांग्रेस नेता मीर ने कहा कि मुख्यमंत्री को जम्मू-कश्मीर में लोगों के सामने आने वाले मुद्दों पर बात करनी चाहिए थी। उन्हें अपने भाषण में मजबूत "मुहावरे" का इस्तेमाल करना चाहिए था। मीर ने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान अगर मुख्यमंत्री ने चुनाव के दौरान किए गए अपने वादों को दोहराया होता तो उससे उन्हें मजबूती मिलती। मीर ने कहा, "मुख्यमंत्री ने राज्य का दर्जा बहाल करने की बात तो कही, मगर उन्हें बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, महंगाई और दूसरे परेशानियों के मुद्दों को भी उठाना चाहिए था।"
मीर ने मुख्यमंत्री के यह कहने पर उनकी तारीफ भी की कि सोनमर्ग सुरंग परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान शुरू की गई थी। मीर ने कहा, "बाद में एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ने सही कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी प्रमुख विकास परियोजनाएं मनमोहन सिंह की पिछली सरकार के तहत शुरू की गई थीं।" प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा ने कहा कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन बरकरार है। उन्होंने कहा, "हम उमर अब्दुल्ला सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। हमारा रुख है कि हम सरकार का हिस्सा तभी बनेंगे जब राज्य का दर्जा बहाल होगा। हमें उम्मीद थी कि चुनाव से पहले या सरकार गठन के दौरान राज्य का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमारा रुख वही बना हुआ है और इसीलिए हम सरकार का हिस्सा नहीं हैं।"
कर्रा ने यही भी कहा कि गठबंधन के भीतर बेहतर तालमेल की जरूरत है। कांग्रेस अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के दो महीने के शासन के बारे में कहा कि जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात के मद्देनजर कोई भी ढंग से काम नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, "एक तो, सत्ता-साझेदारी का दायरा साफ नहीं है। दूसरे, राज्य का दर्जा न होना बड़ा मुद्दा बना हुआ है। शुरू से ही हमारी राय है कि राज्य का दर्जा बहाल नहीं होता, तो नुकसान जम्मू-कश्मीर के लोगों का ही होगा। उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।"
राज्य का दर्जा बहाल नहीं होता तो नुकसान जम्मू-कश्मीर के लोगों का ही होगा। उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
जी.ए. मीर, कांग्रेस नेता