डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आखिरकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस रास्ते को आधे-अधूरे तरीके से अपना लिया है, जिसे वह लॉकडाउन के समय से नजरअंदाज कर रही थीं। उन्होंने त्योहारों में मांग बढ़ाने के लिए 12 अक्टूबर को सरकारी कर्मचारियों को 10 हजार रुपये तक का ब्याज मुक्त कर्ज देने और एलटीसी का पैसा एडवांस में लेकिन सशर्त देने का ऐलान किया। ये उपाय ठीक उसी तरह के हैं, जिनकी वकालत अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्टर डुफ्लो कर रही थीं। दोनों का कहना था कि सरकार सीधे लोगों की जेब में पैसा डाले, तभी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। हालांकि केवल 47 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के भरोसे अर्थव्यस्था में जान फूंकना आसान नहीं है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान 10 करोड़ से ज्यादा लोग नौकरी गंवा चुके हैं और लाखों लोगों को कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है। वित्त मंत्री जिस दिन यह ऐलान कर रही थीं, उसी दिन अर्थव्यवस्था के दो आंकड़ों ने उनकी चिंता जरूर बढ़ाई होगी। एक तो अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में आठ फीसदी गिरावट दर्ज की गई, यानी मांग न होने से फैक्ट्रियों में उत्पादन नहीं हो रहा है। खुदरा महंगाई दर भी बढ़कर 7.34 फीसदी पर पहुंच गई है। यानी रोजमर्रा की चीजें महंगी हो रही हैं। अब सरकार के पास त्योहारों से ही आस बची हुई है। यही वह समय है जब देश में लोग खरीदारी के लिए उमड़ते हैं। एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो॓मोबाइल, ज्वैलरी और गारमेंट कंपनियों की पूरे साल की कमाई का 30-40 फीसदी कारोबार त्योहारी सीजन में ही होता है। इसके लिए वे तरह-तरह के ऑफर लेकर आई हैं।
ऑटोमोबाइल सेक्टरः त्योहारों में अच्छी बिक्री की उम्मीद लगाई बैठे ऑटो डीलर्स इस समय बड़े पैमाने पर इंवेन्ट्री बढ़ा रहे हैं। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अनुसार हालत यह है कि दोपहिया वाहनों की 45-50 दिन और पैसेंजर व्हीकल की इंवेन्ट्री 35-40 दिन तक पहुंच गई है। हालांकि फाडा ने डीलर्स को ज्यादा इंवेन्ट्री करने पर चेताया है। उसका कहना है कि उम्मीद के अनुसार त्योहारों में बिक्री नहीं हुई तो भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। डीलर्स की उम्मीद की वजह अनलॉक के बाद कारों की बिक्री में लगातार सुधार होना है। अगस्त के महीने में पैसेंजर वाहन (कार) की बिक्री 14.16 फीसदी बढ़ी है, जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री 3 फीसदी बढ़ी है।
इसी उम्मीद में कंपनियां इस बार भी खास ऑफर की पेशकश कर रही हैं, जिसमें डिस्काउंट से लेकर 100 फीसदी फाइनेंस, एक्सटेंडेड वारंटी, सस्ते कर्ज, एक्सचेंज बोनस जैसे ऑफर हैं। होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट तथा डायरेक्टर, मार्केटिंग ऐंड सेल्स, राजेश गोयल के अनुसार होंडा विभिन्न मॉडलों पर 47 हजार से लेकर 2.50 लाख रुपये तक का डिस्काउंट दे रही है।
सुरजीत हुंडई के सीएमडी रमेश नैनवानी के अनुसार “जब से अनलॉक शुरू हुआ है पैसेंजर वाहनों की मांग बढ़ी है। कई मॉडलों पर चार-पांच महीने की वेटिंग चल रही है। लोग निजी वाहनों में सफर करना ज्यादा पसंद कर रहे है। इसका फायदा मिलने की उम्मीद है।”
कंज्यूमर ड्यूरेबल-एफएमसीजीःआइआइपी के आंकड़ों के अनुसार अगस्त के महीने में इलेक्ट्रिकल उपकरणों के उत्पादन में 13.7 फीसदी और कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिकल उपकरणों के उत्पादन में 12.2 फीसदी की गिरावट है, जो अप्रैल से अगस्त के दौरान 43-47 फीसदी तक गिरी है। गिरती बिक्री का असर बंद होते स्टोर और सूनसान दुकानों में दिख सकता है। गाजियाबाद स्थित आर.एस.इंटरप्राइजेज के रमेश का कहना है कि पहले मेरा शोरूम दो फ्लोर का था, प्रोडक्ट भरे हुए थे। अब सब खाली पड़ा है, मांग बहुत कम है। त्योहारों से ही उम्मीद है लेकिन बहुत सुधार की उम्मीद कम है। हालांकि फिक्की की प्रेसिडेंट डॉ. संगीता रेड्डी का कहना है, “सरकार ने त्योहारों के ठीक पहले मांग बढ़ाने के लिए ऐलान किए हैं, उससे बूस्ट मिलेगा।” इंडस्ट्री इस बार 6-9 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद कर रही है। इसी उम्मीद पर अब कंपनियों ने ऑफर लांच करना शुरू कर दिया है। दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग इंडिया ने फाइनेंस स्कीम, एक्सचेंज ऑफर, 2000 रुपये कैशबैक जैसे ऑफर फ्लिपकार्ट की बिग बिलियन डे सेल और अमेजन की ग्रेट इंडिया फेस्टिवल के साथ साझेदारी की है। इसी तरह देश की प्रमुख एफएमसीजी कंपनी पेप्सिको इंडिया के प्रेसिडेंट अहमद अलशेख ने बताया “लगता है, कोरोना महामारी के संकट को पीछे छोड़कर लोग आगे बढ़ गए हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में घरेलू उत्पादों की मांग में तेजी आई है, उससे भविष्य अच्छा दिखता है और रिवाइवल के संकेत मिलते हैं। त्योहार में स्नैक्स, जूस, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स की मांग में तेजी से इजाफा होगा।”
प्रॉपर्टीः लॉकडाउन से ठप पड़े प्रॉपर्टी मार्केट को भी त्योहारों से उम्मीद है। बिल्डरों ने कई सारी स्कीम लांच की है। आप 10 फीसदी पेमेंट देकर घर बुक करा सकते हैं। पजेशन के समय फुल फर्निश्ड घर बिना किसी अतिरिक्त कीमत पर मिल सकता है। असल में लॉकडाउन की वजह से घरों की बिक्री पर बहुत बुरा असर हुआ है। प्रॉपटाइगर की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से जून की अवधि में घरों की बिक्री 13 फीसदी गिरने से देश के आठ बड़े प्रॉपर्टी मार्केट में इंवेट्री लेवल 35 महीने के स्तर पर पहुंच गया है। इसमें से 20 फीसदी इंवेट्री रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी की है। इससे प्रॉपर्टी की कीमत एक-दो मार्केट को छोड़कर स्थिर है।
बैंकः बैंकों ने भी त्योहारों में ग्राहकों को लुभाने के लिए कई सारे ऑफर शुरू कर दिए हैं। इसके तहत कर्ज पर प्रोसेसिंग फीस न लेने, सस्ते दर पर कर्ज, लोन ट्रांसफर, महिलाओं के लिए विशेष ब्याज दर जैसे ऑफर हैं। एसबीआइ के एक अधिकारी के अनुसार त्योहारों में कार, दोपहिया और टीवी, फ्रिज जैसे प्रोडक्ट की मांग रहती है। इसके लिए बैंक का खास जोर है। कई बैंकों ने पर्सनल लोन कम समय में देने की पेशकश कर रहे हैं। बैंकों ने नो कॉस्ट ईएमआइ के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ साझेदारी भी की है। बैंक क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर कैशबैक ऑफर, नो-कॉस्ट ईएमआइ जैसे ऑफर भी हैं।
ज्वैलरीः लॉकडाउन के पहले सोना जो 42 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर बिक रहा था, इस समय 52 हजार रुपये तक पहुंच गया है। अहम बात यह है कि इस दौरान सोने की मांग भी नहीं बढ़ी है। सितंबर के महीने में सोने का आयात अगस्त की तुलना में 75 फीसदी गिर गया है। ज्वेलर इसकी बड़ी वजह यह बता रहे है कि सोने की कीमतें बढ़ी है, अब लोग प्रॉफिट बुकिंग कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि त्योहारों में एक बार फिर मांग बढ़ेगी। उनका कहना है कि दिपावली का समय ज्वैलरी खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि लॉकडाउन में जिन लोगों ने खरीदारी रोक ली थी, वे जरूर बाजारों में निकलेंगे। सितंबर के महीने में कीमतों में आई गिरावट भी मांग बढ़ा सकती है। अगस्त के महीने में कीमतें 58 हजार रुपये के करीब पहुंच गईं थी, जो इस समय 52 हजार रुपये के करीब है।
साफ है कि लॉकडाउन से मंदी के चपेट में आ चुके सभी उद्योग-धंधे अब त्योहारों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। त्योहारों में मांग नहीं बढ़ती है, तो अर्थव्यवस्था लंबी मंदी में जा सकती है। वित्त मंत्री के ऐलानों पर पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम का कहना है, “सरकार अब माई-बाप की भूमिका निभाना चाहती है। जैसे भाजपा कहती है कि क्या खाएं, क्या पहनें और किससे शादी करें।” इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के अनुमान के अनुसार 2020 में जीडीपी में 10.3 फीसदी (नकारात्मक दर) की गिरावट आएगी। अब देखना है कि सरकार इस चुनौती से कैसे निपटती है।