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जोगी पर जाति का फंदा

जोगी पर जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति की रिपोर्ट से लटकी तलवार
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी

छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति का मुद्दा अब नया रंग लेता जा रहा है। 23 अगस्त को आई जाति प्रमाण-पत्र छानबीन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक जोगी आदिवासी नहीं हैं। इसमें जोगी से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता भी चर्चा का विषय बनी हुई है। आखिर मामला लगभग तीन दशक पुराना है और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कारण कथित तौर पर यह टलता भी रहा है। यह मामला राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, बिलासपुर हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। घूम फिर कर छानबीन समिति में आया। इसके पहले भी मामला दो बार छानबीन समिति में सुना जा चुका है। एक बार जोगी के पक्ष में फैसला हुआ तो एक बार विरोध में। अदालतों में मामला चक्कर काटता रहा। जोगी इस बार भी कोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री बघेल की अजीत जोगी से राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता पुरानी है। 2000 से 2003 तक जोगी कैबिनेट में मंत्री रहे भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर अंतागढ़ टेप कांड के बाद जोगी पिता-पुत्र को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। फिर अजीत जोगी ने अलग पार्टी बना ली। 2018 के विधानसभा चुनाव में जोगी ने बसपा के साथ मिलकर राज्य में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की लेकिन सिर्फ पांच विधायक ही जीत पाए। शुरुआत के कुछ महीने अजीत जोगी शांत रहे और भूपेश बघेल से तालमेल करते भी दिखे, लेकिन बाद में सरकार के खिलाफ आक्रामक हो गए।

जोगी को पटखनी देने की जमीन भूपेश बघेल ने नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कांकेर में तैयार की, जिसमें घोषणा की कि फर्जी जाति सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी और राजनीति करने वालों का मामला एक महीने के अंदर निपटा दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में गलत जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी करने वाले पहले भी कई लोग बर्खास्त किए जा चुके हैं। 200 से 250 लोगों का मामला अब भी लंबित है। लेकिन चर्चित नाम अजीत जोगी ही हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर बिलासपुर के कलेक्टर ने तत्काल एक डीएसपी को जोगी का जाति प्रमाणपत्र जब्त करने और एक तहसीलदार को एफआइआर के निर्देश दिए। जोगी के खिलाफ बिलासपुर के सिविल लाइन थाने में प्राथमिकी भी दर्ज हो गई है। थाना प्रभारी कलीम खान के अनुसार, तहसीलदार की शिकायत पर अजीत जोगी के खिलाफ छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण विनियमन) अधिनियम 2013 की धारा 10 (एक) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

जोगी अभी मरवाही से विधायक हैं। एक बात साफ है कि राजनीति में जोगी की सक्रियता तक उनकी जाति का मुद्दा भी जीवित बना रहेगा। इस जंग को न तो जोगी छोड़ने वाले हैं और न ही उनके विरोधी। 

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