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सरकार मांगे दस नई डिटेल

रिटर्न में पेट्रोल और फोन बिल जैसे टैक्स-फ्री भत्तों की जानकारी देनी होगी, स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए भी अलग कॉलम जोड़ा गया है
जानिए आयकर रिटर्न के नए फॉर्म के बारे में

चालू आकलन वर्ष 2019-20 में आपको आइटीआर फॉर्म भरते समय 10 नई डिटेल देनी होंगी। सरकार ने आइटीआर फॉर्म में कई बदलाव किए हैं, जिनकी वजह से आपको उन बातों की विस्तृत जानकारी देनी होगी, जिनकी अमूमन आप अभी तक जानकारी नहीं देते थे। मसलन, कर-मुक्त भत्तों जैसे पेट्रोल बिल, मोबाइल फोन बिल, कृषि से होने वाली आय आदि की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। नौकरीपेशा वालों के लिए आइटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। अगर आप समय से आइटीआर फाइल नहीं करेंगे तो आपको 10,000 रुपये तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

रिटर्न फॉर्म में देनी होंगी 10 नई डिटेल

नए आइटीआर-1 यानी सहज फॉर्म में इस बार वेतनभोगी करदाताओं को कुल वेतन की जानकारी देने के साथ कर-मुक्त भत्तों यानी ड्राइवर का वेतन, पेट्रोल बिल, फोन बिल, कूपन आदि की भी जानकारी देनी होगी। अभी तक वेतनभोगी करदाताओं को वेतन के अलावा सिर्फ कर योग्य भत्तों की जानकारी देनी होती थी। पिछले साल के बजट की घोषणा के अनुसार, रिटर्न में स्टैंडर्ड डिडक्शन का कॉलम जोड़ा गया है। इसमें करदाता 40,000 रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिक 50,000 रुपये तक क्लेम कर सकते हैं। करदाता ने अगर किसी गैर सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदे हैं तो उसे उनकी मौजूदा कीमत, खरीद मूल्य, शेयरों की संख्या की जानकारी देनी होगी। उस कंपनी का नाम और पैन भी बताना होगा। इस साल से सभी करदाताओं को रिटर्न ऑनलाइन ही भरना होगा। सिर्फ 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को ऑफलाइन रिटर्न भरने यानी कागजी फॉर्म भरने की अनुमति होगी।

कंसल्टेंसी फर्म क्लीयरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता ने आउटलुक को बताया, “समय के साथ आय के स्रोत भी पेचीदा होते जा रहे हैं, इसलिए आयकर रिटर्न फॉर्म भी पेचीदा होते जा रहे हैं। विभाग का काम है जानकारी प्राप्त करना और उनका विश्लेषण करना ताकि देय कर वसूला जा सके।” आयकर विभाग के पूर्व प्रधान आयुक्त के.सी.जैन भी कहते हैं, “नए फॉर्म के प्रावधानों से कर छिपाना मुश्किल होगा, जबकि ईमानदार करदाताओं को परेशानी नहीं होगी।”

फॉर्म 16 भी बदला

पिछले साल फॉर्म 16 में नियोक्ता के द्वारा सिर्फ कुल आय का विवरण दिया जाता था, लेकिन इस बार उन्हें इस फॉर्म में कर-मुक्त भत्तों और सुविधाओं की भी जानकारी देनी होगी। इस साल से सेवायोजकों को पिछले सेवायोजक से कर्मचारी को प्राप्त आय सहित वेतन के सभी हिस्सों (कंपोनेंट) का पूरा विवरण देना होगा। इसके अलावा कर्मचारी द्वारा लिए गए सभी तरह के डिडक्शन की भी जानकारी इस फॉर्म में होगी।

शेयर और एसआइपी में किया है निवेश

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) की नॉर्दर्न काउंसिल के पूर्व चेयरमैन और वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट राज चावला का कहना है कि एक अप्रैल 2018 से लागू किए गए सेक्शन 112ए के नए प्रावधान के अनुसार, शेयर और शेयर आधारित म्यूचुअल फंड खरीदने की जानकारी भी आइटीआर में देनी होगी। हालांकि एक लाख रुपये से कम के शेयर और म्यूचुअल फंड खरीद की सूचना देना अनिवार्य नहीं होगा।

अगर बेची है संपत्ति

टैक्स कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी इंडिया की पार्टनर परीजाद सिरवाला का कहना है कि नए नियम के अनुसार अगर आपने बीते वित्त वर्ष में कोई अचल संपत्ति बेची है तो इस बार आपको आइटीआर-1 के बजाय आइटीआर-2 फॉर्म भरना होगा। आइटीआर-2 फॉर्म में भी आपको कई नए सवालों के जवाब देने होंगे। आपको खरीदार के नाम, उसके पैन, संपत्ति की कीमत और संपत्ति के पते की जानकारी देनी होगी। इस बदलाव पर जैन का कहना है कि दूसरे स्रोतों से जानकारी मांगने के बजाय विभाग करदाता से ही अधिकतम जानकारी मांग रहा है। विभाग करदाता की जानकारी पर ही रिटर्न की प्रोसेसिंग करेगा ताकि करदाता को बुलाने की आवश्यकता न पड़े।

किराए से आय पर नजर

बीते वित्त वर्ष में आपने किसी प्रॉपर्टी से किराया लिया है तो उसकी भी जानकारी संपत्तिवार देनी होगी। अगर आपने एक प्रॉपर्टी किराए पर दी है तो उससे होने वाली आय की जानकारी आइटीआर-1 में देनी होगी। अगर आपके पास एक से ज्यादा आवासीय संपत्ति है तो आपको आइटीआर-2 फॉर्म भरना होगा। आइटीआर-1 और आइटीआर-2 फॉर्म में इसके लिए एक अन्य कॉलम जोड़ा गया है।

खेती की आय पर भी निगरानी

राज चावला के अनुसार, इस साल आयकर विभाग को कृषि आय के बारे में विस्तृत जानकारी की दरकार होगी। अगर कृषि आय पांच लाख रुपये से ज्यादा है तो खेती की जमीन का आकार, उसका पता, स्वामित्व और उगाई गईं फसलों के बारे में जानकारी देनी होगी। आयकर विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी के.सी. जैन का कहना है कि कृषि आय पर आयकर की छूट के नियम का दुरुपयोग रोकने में यह जानकारी उपयोगी होगी।

विदेश में रहने वालों पर नजर

केपीएमजी की परीजाद सिरवाला के अनुसार, रिटर्न में करदाता को बताना होगा कि उसने भारत में कितने दिन बिताए। नॉन रेजीडेंट करदाताओं को विदेश में अपने निवास की जानकारी के साथ टैक्सपेयर आइडेंटिफिकेशन नंबर (टिन) भी देना होगा। नॉन रेजीडेंट का विकल्प चुनने वाले भारत के विदेशी नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों को न सिर्फ बीते वित्त वर्ष बल्कि पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान देश में निवास के वास्तविक दिवसों की जानकारी देनी होगी।

राज चावला के अनुसार, सेक्शन 80जी के तहत अगर किसी व्यक्ति ने नकद या किसी अन्य रूप में दान दिया है, तो उसकी अलग से जानकारी देनी होगी। नए प्रावधान में वरिष्ठ नागरिकों को 50,000 रुपये तक बैंक ब्याज से आय के डिडक्शन की अनुमति दी गई है। लेकिन इसकी जानकारी फॉर्म में देनी होगी।

आपके लिए कौन-सा फॉर्म

आइटीआर-1 (सहज)ः 50 लाख रुपये तक वार्षिक वेतन प्राप्त करने वालों के लिए। एक आवासीय संपत्ति, अन्य स्रोतों से आय और 5,000 रुपये तक कृषि आय होने पर

आइटीआर-2ः वेतनभोगी करदाता जो आइटीआर-1 भरने के योग्य नहीं हैं। हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), अगर उनकी आय व्यवसाय या प्रोफेशन से नहीं है और अनिवासी भारतीयों के ल‌िए

आइटीआर-3ः व्यक्तिगत करदाता और एचयूएफ जिनकी आय व्यापार से होती है। इसके अलावा डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट जैसे प्रोफेशनल्स के ल‌िए

आइटीआर-4 (सुगम)ः व्यक्तिगत करदाता और एचयूएफ (एलएलपी को छोड़कर) जिनकी व्यापार या प्रोफेशन से 50 लाख रुपये तक आय है

आइटीआर-5ः कोऑपरेटिव सोसायटी, लोकल अथॉरिटी, एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप कंपनी)

आइटीआर-6ः सेक्शन 11 में छूट लेने वाली कंपनियों को छोड़कर बाकी सभी कंपनियों के लिए

आइटीआर-7ः धर्मार्थ संगठन, राजनीतिक दल, शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों के लिए

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