अभी एक क्रांतिकारी से मुलाकात हुई। भाई ने बताया कि चिलिग्वरा नामक देश की क्रांति में उसने महती योगदान किया, वहां ‘थ्रो-आटोक्रेट’ यानी ‘तानाशाह को फेंको’ नामक ट्विटर अभियान को लाइक किया। फिर वह ‘लेट दि रिवोल्यूशन ग्रो’, यानी ‘क्रांति को बढ़ने दो’ नामक ट्विटर अभियान पर गया और उसे भी लाइक कर दिया।
हैश-टैग क्रांतिकारियों की प्रजाति बहुतै फल फूल रही है। ट्विटर पर हैश-टैग (#) लगाकर कुछ फुंतरू छोड़ दिया जाता है। फिर क्रांतिकारी कूदते हैं, फिर नॉन-क्रांतिकारी भी कूद लेते हैं। फिर गाली-गलौच हो जाती है। फिर ऑनलाइन मारधाड़ हो जाती है।
देर रात बीयर की खाली बोतलों की तरह क्रांतियां लुढ़क-पुढ़क कर कहीं गिरी पड़ी होती हैं, भुला दी जाती हैं। अगले दिन फिर नई चाल की क्रांतियां आ जाती हैं। चिलिग्वरा के बजाय कुजासाका नामक देश की क्रांति आ जाती है। क्रांतियां ट्विटर पर चल रही हैं। तमाम मसलों के हल ट्विटर पर मिल रहे हैं। ट्विटर पर हैश-टैग पर बड़े-बड़े मसले निपटे जा रहे हैं।
हैश-टैग क्या होता है, यह बहुत जरूरी सवाल है। हैश-टैग यूं समझिए कि ऑनलाइन पंचायत है किसी खास विषय पर। कहीं चिलिग्वरा में क्रांति मची हुई है। कहीं चुकांडा नामक राष्ट्र के फ्लाइना पर्वत माला पर कुरुंडा नामक चिड़िया गायब हो गई है, इस विषय पर बहस मची हुई है। सुकुंडा नामक देश की फोक्रटा कॉलोनी में डेविड नामक इंसान अपनी जर्मन कुतिया को लोकल देशी कुत्ते से मिलने से रोककर, प्रेम करने के अधिकार और कुत्ताधिकार का एक साथ हनन कर रहा है। एक विमर्शी के हिसाब से इस पर संयुक्त राष्ट्र की सिक्योरिटी काउंसिल में फौरन बहस होनी चाहिए।
हैश-टैग पंचायत है, और सारी पंचायतें ठीक काम ना करतीं। भारत में कई पंचायतें निहायत फिजूल काम कर रही हैं। प्रेमी जोड़ों की ठुकाई-पिटाई के आदेश दे रही हैं। किसी हैश-टैग विमर्श में यह हो सकता है कि समलैंगिक विवाह को सिर्फ अलाउ करने की ही बात ना की जाए, बल्कि मांग की जाए कि इसे संवैधानिक तौर पर अनिवार्य बना दिया जाए। हैश-टैग बवाल और सवाल है कि समलैंगिक अधिकारों के मसले पर क्या किया जाना चाहिए। हैश-टैग हल है कि समलैंगिक विवाह को कंपलसरी कर दिया जाए।
क्या कहा, यह संभव कैसे है?
जी यह ट्विटर का हैश-टैग हल है, आपकी समझ में ना आ रहा हो, तो आपकी दिक्कत है।
ट्विटर के हैश-टैग विमर्श जगत में वह मची हुई है, जिसे देशज भाषा में भसड़ कह सकते हैं। इतनी वेरायटी की भसड़ कहीं एक जगह देखनी हो, तो ट्विटर के तरह-तरह के हैश-टैग विमर्श पर जाएं, खोपड़ी एकदमै खुल जाएगी। चंडूखाने क्या हुआ करते थे, इसका अंदाजा भी एक हद तक लग जाएगा। चंडूखानों की परिकल्पना यह थी- चंडू नामक नशा तत्व का सेवन करके तरह-तरह की बातें करने का जो औपचारिक स्थल था, उसे चंडूखाना कहा जाता था। अब होश में भी लोग चंडूखाने की बात कर सकते हैं।
एक हैश-टैग विमर्श चल रहा था ट्विटर पर– लेडीफाइट्सबैक- यानी स्त्री पलटकर लड़ती है। विमर्श यह था कि एक स्त्री ने अपने ससुर को टिका-टिकाकर मारा, इसलिए कि वह ससुर पुत्रवधू के नाम संपत्ति नहीं कर रहा था। एक बंदे ने कहा- यह तो बुजुर्गाधिकार की अवहेलना है। दूसरे ने कहा- नहीं यह तो एक स्त्री अपने अधिकारों की स्थापना कर रही है। स्त्री पर जुल्म हुआ है, शोषण हुआ है। अब स्त्री पलटकर जवाब दे रही है, तो कुछ लोगों को क्यों समस्या हो रही है। ससुर मर्दवादी सत्ता का प्रतीक है, उसकी ठुकाई होनी चाहिए।
हैश-टैग विमर्श चल निकला।
यह न पूछिए कि हल क्या निकला। ना ना ना, पंचायतें मसलों को हल ना करतीं। वो उन्हें रोचक तरीके से उलझा देती हैं। उलझाने के इतने आयाम सामने आ जाते हैं कि हैश-टैग विमर्शों की रेंज देखकर नमन करने का मन करता है।
कई समस्याओं के हल तो संसद भी ना दे पा रही है। समस्याएं रोचक तरीके से उलझ जाएं, यह भी कम है क्या- थैंक्स टु हैश-टैग विमर्श।