सवाल तो सीधा-सा है लेकिन जवाब देना क्या वाकई आसान है? सेहत का अंदाजा तो कुछेक टेस्ट एक्सरे, ईसीजी और ब्लड टेस्ट से भी लगा सकते हैं। फिर, कुछ अंदाजा इससे भी मिल सकता है कि आप क्या खाते हैं, कितनी देर सोते हैं, खुद को फिट रखने के लिए क्या या कितना व्यायाम करते हैं। लेकिन इससे भी बढ़कर अहम यह है कि आपका मन क्या कहता है? क्या सेहत की चिंताएं रहती हैं, या बेफिक्र और बिंदास हैं? क्या डॉक्टर के पास जाने से डर लगता है, लेकिन बीमारियों के लक्षणों के बारे में गूगल पर सर्च करते रहते हैं? क्या पेशेवर, सामाजिक और व्यक्तिगत जिंदगी से खुश हैं और भरपूर ऊर्जा का एहसास करते हैं, या फिर तनाव आपको भीतर ही भीतर तोड़ रहा है और आपको इसका अंदाजा भी नहीं है? तो, सेहतमंदी कुछ खास मामलों से ही जुड़ी नहीं है, बल्कि वह हर मामले में खुशहाली से ही खिलती है। हमारा एक अरब वंचितों का देश है। जो गरीब नहीं हैं, वे भी कई मामलों में वंचित होते हैं। आउटलुक-कार्वी इनसाइट्स के पहले इंडिया हेल्थ सर्वे में शहरी लोगों की सेहत के बारे में जानने की कोशिश है। अलग-अलग तरीके से हमने वही सीधा-सा सवाल पूछा है- क्या आप स्वस्थ हैं?
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सर्वे की पद्धति\
आउटलुक ग्रुप-कार्वी इनसाइट्स अर्बन हेल्थ सर्वे कार्वी इनसाइट्स लिमिटेड ने किया है। पांच महानगरों और चार अन्य बड़े शहरों में यह सर्वे किया गया। महानगरों में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नै और बेंगलूरू हैं। अन्य शहरों में इंदौर, लखनऊ, पटना और विजयवाड़ा शामिल हैं। इन नौ शहरों में 1,648 लोगों से बात की गई। इनमें 54% पुरुष और 46% महिलाएं थीं। सभी लोगों से आमने-सामने बात की गई। इसके लिए एक प्रश्नावली तैयार की गई थी, जिसका संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी किया गया था। लोगों के जवाब टैबलेट और मोबाइल फोन में डिजिटल फॉर्मेट में रखे गए। सर्वे महंगे कॉमर्शियल और शॉपिंग वाले इलाकों में 23 जुलाई 2019 से 1 अगस्त 2019 के दौरान किए गए, जिनका चयन ऐसे किया गया था, जिससे शहर के हर इलाके का प्रतिनिधित्व हो सके। सर्वे में शामिल 57% लोग महानगरों के और 43% दूसरे शहरों के थे।
लक्षित वर्ग एनसीसीएस ए1, यानी ग्रेजुएशन और उससे ऊपर उच्च शिक्षा पाए पेशेवर उपभोक्ता वर्ग था। इसके लिए चयनित व्यक्ति की शिक्षा, परिवार के मुख्य आय अर्जक के साथ यह भी देखा गया कि परिवार के पास क्या-क्या उपभोक्ता सामान है। इसके अलावा लक्षित वर्ग के निर्धारण के लिए कुछ अतिरिक्त पैमाने भी जोड़े गए। इस वर्ग में 18 से 55 साल तक की उम्र के पुरुष-महिलाओं से बातचीत की गई। सर्वे को चार आयु वर्ग में बांटा गया है। 18 से 24 साल, 25 से 34 साल, 35 से 44 साल और 45 से 55 साल। हर आयु वर्ग के लिए न्यूनतम कोटा तय किया गया, ताकि हर आयु वर्ग का न्यूनतम प्रतिनिधित्व तय हो सके।