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11 नवंबर 2024 · NOV 11 , 2024

धरोहर: विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम

दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
विदाई से पहले सजी-धजी ट्राम

कोलकाता की डेढ़ सौ साल पुरानी ऐतिहासिक ट्राम सेवा अब पूरी तरह से बंद होने जा रही है। यह फैसला राज्य सरकार ने लिया है। केवल एक रूट को छोड़ कर बाकी सभी रूट पर यह सेवा बंद की जा रही है। पहले ही कई रूट पर यह सेवा बंद की जा चुकी है। पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने बताया, ‘‘एक हेरिटेज ट्राम एसप्लानेड से मैदान के बीच बची रहेगी जिसका आनंद सैलानी ले सकेंगे। बाकी रूट से हम ट्राम हटाने जा रहे हैं। उनका कहना है कि कोलकाता की सड़कें संकरी होने और दिन-ब-दिन यातायात बढ़ते जाने के कारण ट्राम को चलाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि इससे जाम लग रहा था।

उन्होंने मीडिया को बताया, ‘‘ट्रैफिक जाम के कारण लोगों को दफ्तर जाने में देरी न हो जाए, इसलिए हमें कुछ कठिन निर्णय करने पड़ रहे हैं, जिनमें ट्राम को बंद करना भी शामिल है।’’

आज से पंद्रह साल पहले तक कोलकाता में 37 रूटों पर ट्राम चला करती थी। ये रूट 2011 तक कायम रहा। कोरोना की महामारी के बाद 2022 में केवल दो रूट बचे रह गए। कुल 7000 कर्मचारी 2011 में ट्रामों में काम करते थे। अब एक भी कर्मचारी नहीं बचा है। शहर में 2011 में 61 किलोमीटर ट्राम लाइनें थीं जो 2022 में घटकर 12 किलोमीटर रह गईं। 2011 में 70,000 से ज्यादा सवारियां ट्राम में चलती थीं। अब केवल पांच से सात हजार सवारियां बच गई हैं। राज्य सरकार ने 2018 से ही ट्राम में पैसा लगाना बंद कर दिया था।

पर्यावरण पर काम करने वाले कई संगठनों ने ट्राम सेवाएं बंद करने पर गंभीर एतराज जताया है। उधर, कोलकाता के लोगों की राय सरकार के इस फैसले पर बंटी हुई है। कुछ लोग कह रहे हैं कि मेट्रो रेल जैसी तीव्र सुविधाओं के लिए अब डेढ़ सौ साल पुरानी संस्था को धीरे-धीरे बंद करने का वक्त आ गया है। ऐसे लोग मानते हैं कि शहर को अब वित्तीय रूप से व्यावहारिक परिवहन साधन चाहिए। ऐसे लोग ट्राम नेटवर्क के आधुनिकीकरण की बात भी करते हैं। इनके मुताबिक सीमित जगह वाली सड़कों को तीव्र परिवहन माध्यमों के हिसाब से खाली किया जाना चाहिए।

ट्राम बंद करने का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि पुराने दिनों की इस सेवा को यादगार के तौर पर बचाकर रखा जाना चाहिए। वे मानते हैं कि गौरवशाली अतीत के मामले में फायदा-नुकसान नहीं देखना चाहिए। वे यह भी दलील देते हैं कि ट्राम भविष्य के लिहाज से बेहतर सवारी है क्योंकि वह धुआं नहीं छोड़ती है। वैसे भी, जाम लगने वाली बात का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि पहले ही ट्राम को मुट्ठी भर रूटों तक सीमित कर दिया गया था।

कोलकाता ट्राम

कोलकाता की भीड़ भरी सड़क पर ट्राम

बंगाल सरकार ने जब रातोरात ट्रामों हटाने का ऐलान किया, तो कलकत्ता ट्राम यूजर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने चीखते हुए कहा था, ‘‘हम लोग सड़क पर उतरेंगे।’’ विडंबना यह है कि ट्राम को बचाने के लिए जो लोग भी चिल्ला रहे थे, उन्होंने बीते एक दशक में एक बार भी उससे सफर नहीं किया है। इसलिए क्योंकि वह बहुत धीरे चलती है, उसमें बहुत गर्मी लगती है, वह बहुत डाउन-मार्केट है।

‌फिर भी, मुट्ठी भर नागरिकों ने विरोध के नाम पर एक अजीब तरीका निकाला, ट्राम में पार्टी का। कुछ लोगों ने चौंक कर पूछा, ‘‘इतनी गर्मी में?” फिर योजना बनी कि रविवार की दोपहर चलती ट्राम में पार्टी की जानी है। लोगों से कहा गया, ‘‘बुकिंग पहले से रहेगी, टिकट नहीं लगेगा। आप आएंगे?”

कोलकाता में मुफ्तखोरी का लाभ उठाने वालों की कमी नहीं है। नब्बे लोग गरियाहाट से एसप्लानेड ट्राम डिपो तक और वापसी की यात्रा करने के लिए इकट्ठा हो गए। हर कोई इस आशंका में था कि उसके आखिरी स्टॉप से पहले ही सरकार ‌कहीं पटरियां न उखाड़ ले जाए, तो सबने तय किया कि एक यादगार पार्टी रखी जाए। एक आयोजक ने अपनी जेब से पैसा लगाकर दोनों डिब्बों को दुलहन की तरह सजवा दिया। एक संगीत बैंड का भी इंतजाम किया गया। किसी ने गर्म समोसों का इंतजाम भी कर दिया। पतले कंठ वाले एक मिमिक ने आवाज लगानी शुरू की। कुछ-कुछ देर में कोई किसी दूसरे को पकड़ कर बाहर दिखाता, वो देखो मेरा स्कूल!

ट्राम जब गरियाहाट रोड से आगे बढ़ी तो कार में चल रहे कुछ लोगों ने अपने ड्राइवरों को कांच नीचे करने को कहा ताकि वे फोटो उतार सकें। ट्राम जब पार्क सर्कस के सातराहे पर पहुंची तो उसमें चढ़े फोटोग्राफर नीचे उतर गए और सामने जाकर वाइड ऐंगल की फोटो उतारने लगे, फिर दोबारा चढ़ गए। जब गाड़ी एलियट रोड पर पहुंची, तो सड़क किनारे बैठे टायर मिस्‍त्री उसे देखकर चौंक गए। एक ने दूसरे को देखकर पूछा, ‘‘ई सब का हो रइस?’’ वेलेस्ली स्ट्रीट पर आम तौर से, जो बच्चे ट्राम के पीछे भागते हैं, उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि दौड़ने की जरूरत नहीं है, ट्राम के साथ-साथ चलना ही काफी रहेगा।

धरमतल्ला के मोड़ पर पहुंचते ही जब ट्राम बल खाई, तो बिजली की लाइन से उसे जोड़ने वाले कनेक्टर अलग हो गए जिसके चलते मची आपाधापी में आधी ट्राम खाली हो गई। लोग फोटो लेने के लिए नीचे उतर आए। इस तमाशे के बीच एक राहगीर उचक कर ट्राम में चढ़ गया और अगले ही स्टॉप पर उतर गया। लोगों को जैसे ही पता चला कि वह फुटबॉल खिलाड़ी जमशेद नसीरी थे, तो सेल्फी लेने का दौर शुरू हो गया और अगले सात मिनट तक यह सिलसिला चला। किसी ने उन्हें ठंडा समोसा भी लाकर दिया।

इस सफर में तीन आश्चर्यजनक बातें हुईं। जिन्हें एसप्लानेड पर उतरना था उन्होंने कहा कि वे ट्राम से ही वापस जाएंगे क्योंकि उन्हें मजा आ रहा था। दूसरे, वे तमाम लोग जिन्होंने बचपन भर ट्राम के कंडक्टरों से टिकट बचाने के लिए आंखमिचौली खेली है, वे उस दिन ऊंघ रहे कंडक्टर को बार-बार टिकट के बहाने जगा रहे थे। और अंतिम बात, जो लोग इस ट्राम पार्टी में आने से रह गए थे वे सब फेसबुक पर वीडियो डालने की मांग कर रहे थे।     

इस तरह कोलकाता की महान ट्राम पार्टी खत्म हुई। अब ऐसी पार्टी हर महीने एक बार होगी। कभी अनुपम रॉय के साथ, तो शायद कभी उषा उथुप के साथ। वैसे भी, ट्राम के दो डिब्बे अगर केवल 5300 रुपये में आधी दोपहर के लिए बुक किए जा सकते हैं, तो दिक्कत ही क्या है। मने, कोलकाता में ट्राम सेवा भले खत्म  हो रही है लेकिन ट्राम सम्मेलन अब शुरू होने को है।

बीती फरवरी में ही कोलकाता ने ट्रामवे के डेढ़ सौ साल का जश्न मनाया था, जब पुरानी ट्रामों की सौंदर्य परेड शहर में देखी गई। इसमें एक सदी पुरानी लकड़ी की कार भी शामिल थी। दुनिया के सबसे पुराने चालू ट्रामवे के लिए मेलबर्न और कोलकाता को जाना जाता है। मेलबर्न में ट्राम 1885 में शुरू हुई थी जबकि कलकत्ता में घोड़े से खींची जाने वाली पहली ट्राम 1873 में शुरू की गई थी।

ट्राम के अलावा कोलकाता में ऐसी ही प्राचीन विरासतें और भी हैं, जैसे स्टील का हावड़ा पुल, सफेद गुम्बद वाला विक्टोरिया मेमोरियल और शहर के बीचोबीच मौजूद भव्य औपनिवेशिक इमारतें। ट्राम को फिलहाल बचाने के लिए कोलकाता हाइकोर्ट में एक याचिका लंबित है। अगली तारीख पर सरकार को अपना पक्ष रखना है। पिछले साल 11 दिसंबर को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि शहर में ट्राम सेवा को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी मॉडल) के सहारे बहाल और नवीनीकृत किया जा सकता है।

 

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