शाश्वत नकरानी, 23 साल
सह-संस्थापकः भारतपे
संपत्तिः 1,700 करोड़ रुपये
शुरुआतः 2018
हुरून इंडिया रिच लिस्ट 2021: 714वां स्थान
आइआइटी दिल्ली से पढ़े शाश्वत नकरानी और अशनीर ग्रोवर (सीईओ, भारतपे) जनवरी 2018 में एक इवेंट में मिले तो उनके बीच फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री की चुनौतियों पर चर्चा हुई। उसके बाद उन्होंने स्टार्टअप पर काम करना शुरू किया। विचार यह था कि उनका ऐप दूसरे पेमेंट ऐप से अलग हो। यूपीआइ में इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा है, लेकिन दूसरों ने उसका इस्तेमाल नहीं किया था। उन्होंने इसका इस्तेमाल करते हुए तीन महीने से भी कम समय में मार्च 2018 में भारतपे लांच कर दिया। इस ऐप के जरिए दुकानदार एक क्यूआर कोड से 150 से ज्यादा यूपीआइ ऐप से पेमेंट मंगवा सकते हैं।
भारतपे के सह-संस्थापक शाश्वत नकरानी साधारण परिवार से आते हैं। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई पिता के स्कूल से की, लेकिन आइआइटी की पढ़ाई छोड़कर अपना बिजनेस खड़ा करने की सोची। भारतपे की शुरुआत कैसे हुई, इसे यहां तक लाने में किन समस्याओं का सामना करना पड़ा, इन सब पर उनसे बात की आउटलुक के एस.के. सिंह ने। मुख्य अंश...
आइआइएफएल वेल्थ हुरून इंडिया रिच लिस्ट में नाम आने के बाद यह आपकी पहली दिवाली होगी। आप यह दिवाली कैसे मनाएंगे?
दिवाली का त्योहार हमेशा मेरे दिल के करीब रहा है। यह दुनियाभर में हर भारतीय के लिए परिवार को जोड़ने जैसा है। मैं अपने गृह नगर (भावनगर) में परिवार के साथ दिवाली मनाऊंगा।
ज्यादातर आविष्कार किसी खास घटना से प्रेरित होते हैं। भारतपे के पीछे क्या घटना थी?
कॉलेज के दिनों में मैंने बुकमायहेयरकट.कॉम नाम से स्टार्टअप शुरू किया था। उस वेबसाइट पर घर पर बाल कटवाने के लिए बुकिंग की जा सकती थी। उस दौरान मुझे जिन समस्याओं का सामना करना पड़ा, उससे भारतपे का विचार आया। मैंने यह सोचकर भारतपे लांच किया कि व्यापारियों को कोई शुल्क न देना पड़े। हमारा मकसद साफ था, अपने आप को भारत के एसएमई के सच्चे पार्टनर के तौर पर स्थापित करना।
शुरुआती दिनों में क्या समस्याएं आईं?
समस्याएं ही समस्याएं थीं। छोटे व्यापारी और किराना स्टोर मालिक डिजिटल पेमेंट के बारे में जानते ही नहीं थे। इसलिए पहले तो उन्हें डिजिटल पेमेंट के बारे में समझाना और उनका भरोसा हासिल करना जरूरी था। हमारा यूपीआइ क्यूआर कोड पहला इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड था जिस पर कोई ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगती थी। शुरू में नया ब्रांड होने के कारण अनेक लोगों ने हमें खारिज भी किया।
कभी ऐसा मौका आया जब लगा कि प्रोजेक्ट विफल हो जाएगा, और कब लगा कि यह सरपट दौड़ेगा?
शुरू में डिजिटल पेमेंट को लेकर जागरूकता कम होने से समस्याएं आईं। बड़ी कंपनियों से भी चुनौती मिल रही थी। अनेक कंपनियों ने हमें बिना वजह कानूनी नोटिस भेजे। 15 अक्टूबर 2018 हमारे लिए बड़ा दिन था, जब भारतपे ने 10 लाख ट्रांजैक्शन प्रतिदिन की सीमा को पार किया। उसके बाद हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आपके परिवार की पृष्ठभूमि क्या है?
मेरे पिता भावनगर में एक स्कूल चलाते हैं। उन्हें भी शुरुआती दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा था। मैंने शुरुआती शिक्षा पिता के स्कूल में ही ग्रहण की। जब मैंने बिजनेस शुरू करने का फैसला किया तो परिवार ने समर्थन किया। हालांकि मैं आइआइटी की पढ़ाई छोड़कर उद्यमी बन रहा था, जिसका वे विरोध कर रहे थे। अब जब मैंने बीटेक पूरा कर लिया है तो वे खुश हैं।
आपको सबसे अधिक मदद किससे मिली? बिजनेस और जीवन में अपना आदर्श किसे मानते हैं?
मेरे पिता और मेरा परिवार मेरी अब तक की यात्रा में सबसे बड़े मददगार रहे हैं। आज भी उनकी वही भूमिका है। जहां तक बिजनेस की बात है, तो मुझे भारतपे की नींव रखने में देश के सबसे प्रतिभावान लोगों का साथ मिला।
आप अभी 23 साल के हैं। आगे कैसा जीवन साथी पसंद करेंगे?
मैं अभी जीवन और करिअर के शुरुआती दौर में हूं। अभी मेरा पूरा फोकस भारतपे को देश की सबसे बड़ी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी कंपनी बनाने पर है।
महामारी के दौरान भारतपे की ग्रोथ कैसी रही?
महामारी के दौरान डिजिटल पेमेंट की मांग तेजी से बढ़ी। हमारा पेमेंट बिजनेस पांच गुना बढ़ा। आज हमारा सालाना पेमेंट बिजनेस 11 अरब डॉलर से अधिक का है। प्राइवेट पीओएस में हम तीसरे नंबर पर हैं। इसमें सालाना ढाई अरब डॉलर का बिजनेस होता है। महामारी के दौरान छोटे कारोबारियों और किराना स्टोर को कर्ज लेने में काफी दिक्कतें आ रही थीं। तब हमने उनकी मदद की। हम देश के सबसे बड़े बी2बी फिनटेक कर्जदाता हैं। भारतपे ने हाल ही निवेश और कर्ज के लिए ‘12% क्लब’ लांच किया है। इसके जरिए कोई निवेशक 12 फीसदी ब्याज पर निवेश कर सकता है या इसी ब्याज दर पर कर्ज भी ले सकता है। इसके लिए हमने कई एनबीएफसी के साथ साझेदारी की है। हाल ही हमने ‘अभी खरीदें बाद में भुगतान करें’ के लिए पोस्टपे प्रोडक्ट लांच किया है। यह सिर्फ कारोबारियों के लिए नहीं है, बल्कि इससे छोटी-छोटी खरीदारी भी की जा सकती है।
2.85 अरब डॉलर है भारतपे की वैल्युएशन
140 शहरों में 75 लाख कारोबारी इससे जुड़े हैं
5 गुना बढ़ा पेमेंट बिजनेस एक साल में