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मध्य प्रदेश: स्त्री वोट के लिए घुटनों पर

राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या में इजाफे के मद्देनजर सभी पार्टियां उन्हें लुभाने के फेर में
वोट की खातिरः भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज

अक्सर जन्मदिन पर पौधारोपण और बच्चों के साथ बैठ कर भोजन, बुजुर्गों का सम्मान या मंदिर की चौखट पर माथा टेकने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी 64वीं सालगिरह कुछ अलग ही अंदाज में मनाई। यूं तो मुख्यमंत्री के जन्मदिन 5 मार्च को प्रदेश के सभी 413 नगरों में 23, 360 पौधे लगाने का संकल्प लिया गया, लेकिन शिवराज और उनकी सरकार ने महिलाओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश की। उस दिन पर भोपाल के जम्बूरी मैदान में विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में गांव तथा वार्ड को वर्चुअली जोड़ा गया। मगर सबसे खास तो यह रहा कि मुख्यमंत्री महिलाओं की भीड़ के आगे घुटने के बल बैठ गए और बोले, “मेरा मुख्यमंत्री बनना सफल हो गया, मेरा मानव जीवन सफल हो गया। मेरी लाडली बहनों तुम्हारे सारे दुख मुझे मिल जाएं। मेरी बहनें मेरे लिए दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती हैं। सब बहनों को प्रणाम।”

मुख्यमंत्री ‘मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना’ के लांच के पहले मुख्यमंत्री ने खुद अपने हाथ से योजना का पहला फॉर्म भोपाल के रसूली बेलदार गांव में रहने वाली कविता मस्तेरिया का भरा। फार्म भरते हुए वे कविता से बात करते रहे और पूछा कि क्या उनके परिवार से कोई विधायक-सांसद तो नहीं है, इस पर कविता तपाक से बोलीं, “आप हैं न।”

आयोजन स्थल में लगभग एक लाख महिलाओं के बीच मुख्यमंत्रो को घुटने के बल बैठा देख यह तस्वीर तो साफ हो गई कि सात महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों पर सरकार ने अपनी नजर जमा रखी है। सरकार ने 2023-24 के बजट में योजना के लिए 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस योजना के तहत सरकार 23 से 60 वर्ष तक आयु की महिलाओं के खाते में प्रति माह सीधे एक हजार रुपये डालेगी। यही नहीं, महिला बाल विकास विभाग ने इस योजना के अलावा बजट में स्कूली छात्राओं को भी साधने के लिए फर्स्ट क्लास से 12वीं पास करने वाली छात्राओं को ई-स्कूटी देने की योजना बनाई है।

अपने जन्मदिन के तीन दिन बाद महिला दिवस के मौके पर चौहान ने ट्वीट कर प्रदेश की महिला कर्मचारियों को सात अतिरिक्त सीएल देने का ऐलान किया। इसके पहले शिवराज महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, जिनमें 2006 में कन्यादान योजना और 2007 में ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ प्रमुख हैं।

भाजपा को उम्मीद है कि जन कल्याण योजनाओं का चुनावों में अच्छा-खासा असर दिखने को मिल सकता है। एक वजह यह भी है कि प्रदेश में महिलाओं मत प्रतिशत बढ़ा है। आज की तारीख में प्रदेश में लगभग 2.5 करोड़ से ज्यादा महिला वोटर हैं, जो आबादी के हिसाब से करीब 48 फीसदी है। राज्य की 18 विधानसभा सीटों में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक मानी जा रही है। प्रदेश के 53 में से 41 जिले ऐसे हैं जहां महिला मतदाताओं की संख्या में पुरुषों की तुलना में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जनवरी 2023 में जारी की गई पुनरीक्षित मतदाता सूची में महिला मतदाताओं की संख्या 7.7 लाख और पुरुषों की 6.32 लाख बढ़ कर सामने आई है।

जानकारों का माना है कि इस बार के चुनाव में महिला मत प्रतिशत में भारी इजाफा हो सकता है। जो भी हो भाजपा की इस पहल के बाद राज्य में राजनीतिक दलों के बीच महिलाओं को लेकर शह-मात का खेल शुरू हो गया है। सभी जान गए हैं कि विधानसभा चुनाव की नैया महिलाओं के बिना पार नहीं हो सकती है। सो, प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली थी। महिलाओं को भाजपा के 1000 रुपये प्रति माह देने के वादे की तोड़ में कांग्रेस ने 1500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है। नरसिंहपुर में एक जनसभा में पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ऐलान किया, “मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही 500 रुपये में गैस सिलेंडर देंगे और इसके अलावा महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे।”

वहीं प्रदेश की सभी 230 सीटों पर लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने के लिए लड़ते हैं। भोपाल के भेल दशहरा मैदान की जनसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “शिवराज सिंह चौहान की लड़ाई कुर्सी के लिए है, हम आपके लिए लड़ रहे हैं। आपको साथ देना पड़ेगा। यह लड़ाई पब्लिक की है।” उन्होंने कांग्रेस को बिकाऊ पार्टी और भाजपा खरीद-फरोख्त की पार्टी बताया।

नरसिंहपुर की सभा में कमलनाथ

नरसिंहपुर की सभा में कमलनाथ

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए किसान कर्जमाफी बड़ा मुद्दा था। लेकिन यह चुनाव अभी तक तो मुद्दाविहीन ही नजर आ रहा है, फिर भी 2018 के चुनाव में 73.86 फीसदी महिलाओं ने वोट किया था, जो 2013 से काफी ज्यादा था। जाहिर है, प्रदेश में सात महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं को निर्णायक वोटर के रूप में देखा जा रहा है।

बांटो और राज करो

हर महत्वाकांक्षी योजना की कहानी तो अलग होती है, मगर असली मामला अमल का होता है। यह भी गौरतलब है कि वोटरों को लुभाने के लिए कैसे-कैसे पापड़ बेले जा रहे हैं। भोपाल से गढ़ाकोटा की दूरी लगभग 230 किलोमीटर है, पर 11 मार्च को सुनार नदी के किनारे बसे इस तहसील में हुए एक आयोजन ने मुख्यमत्री समेत सभी का ध्यान खींचा। कथित तौर पर लगभग दो लाख लोगों की मौजूदगी में मंत्री गोपाल भार्गव ने 2100 गरीब कन्याओं का विवाह और निकाह एक साथ आयोजित किया। भीड़ देख मुख्यमंत्री बोले, “किसी भी तकलीफ में अकेला गोपाल भार्गव ही नहीं, मामा शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ खड़ा रहेगा।” उन्होंने मंच से ही सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को ऐसे आयोजन अपने-अपने क्षेत्र में आयोजित करने की सलाह भी दी।

भार्गव ने 2001 में सामूहिक विवाह योजना की शुरुआत की थी। तब 1, 565 जोड़ों की शादी हुई थी। मुख्यमंत्री बनते ही 2006 में शिवराज ने कन्या विवाह योजना लागू की। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने भी 18 महीने के शासन में ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ के तहत लड़कियों को दी जाने वाली सहायता राशि को 51 हजार रुपये करने का फैसला किया था। इस बार भार्गव के इस आयोजन में नव दंपतियों को गृहस्थ जीवन के लिए जो सामग्री भेंट की गई, उसमें पलंग, गद्दा, चादर, तकिया, सिलाई मशीन, टेबल, कुर्सियां, बैग, कपड़े, प्रेशर कुकर, डिनर सेट, दीवार घड़ी, पंखा, रजाई, स्टील टंकी, हंडा और कसेड़ी, स्मार्ट टीवी, मंगल सूत्र (सोने का), चांदी के पायल, बिछड़ी, बिंदी वगैरह शामिल थी।

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