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5 अगस्त 2024 · AUG 05 , 2024

हरियाणाः मरना मंजूर पर डरना नहीं

राज्य में प्रेम विवाह करने वाली लड़कियों के साथ लड़के भी असुरक्षित, सूबे में फिर छलांग लेने लगा ‘ऑनर किलिंग’ का कलंक
हरियाणा में बढ़ रहीं हत्याएं

करीब एक दशक पहले जिस हरियाणा से, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ”, अभियान की शुरुआत हुई उसी राज्य में बेटियां घर और परिजनों के बीच सुरक्षित नहीं हैं। हाल में ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाएं फिर छलांग लेने लगी हैं। हालांकि पढ़ाई के अलावा महिलाओं के आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए यहां की पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण के बावजूद महिलाओं के लिए हालात नहीं बदले हैं। महिला सशक्तीकरण के तमाम अभियान दिखावा बनकर रह गए हैं। हरियाणा के 22 जिलों में से 10 जिले दिल्ली-एनसीआर के तीन छोर से सटे हैं। बावजूद इसके राजधानी की आधुनिकता यहां की खाप पंचायतों के वर्चस्व वाले इलाकों में कहीं दिखाई नहीं देती। आज भी यहां लड़कियों के शहरी पहनावे के साथ स्मार्टफोन रखने को बुरा समझा जाता है। यहां के लोग मानते हैं कि फोन के इस्तेमाल से लड़कियां परिवार के खिलाफ जा कर शादी कर सकती हैं।

ऐसे तमाम प्रतिबंधों के बावजूद जब युवा जोड़े व्यवस्था को धता बताने की हिम्मत करते हैं, तो उसकी कीमत उन्हें जान गंवा कर चुकानी पड़ती है। ‘ऑनर किलिंग’ की दिल दहला देने घटनाएं अदालत, सरकार और पुलिस प्रशासन को बौन साबित करती रहती हैं। ऐसी घटनाओं से लगता है कि खाप पंचायतें परिजनों की मर्जी से बड़ी हैं। इस तरह का अपराधिक दृष्टिकोण चिंताजनक है, लेकिन इस पर कभी ठोस नीति नहीं बनाई गई है। आक्रोश में परिवार की झूठी शान की खातिर हत्या के खिलाफ कानूनी सख्ती की मांग फाइलों में दबी है। खाप पंचायतें अपना दबदबा और बढ़ाने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में संशोधन की मांग कर रही हैं। तीन महीने बाद अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सियासी दलों के गले की फांस बन सकता है क्योंकि सभी पार्टियां खाप पंचायतों के मामले में सीधे दखल से हमेशा बचती रही हैं। 

ऑनर किलिंग के मामलों को देखते हुए हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकार को परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वाले और लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों की सुरक्षा के लिए पंजाब एवं ‘सेफ हाउस’ में शरण देने का सुझाव दिया था। लेकिन इसका भी कोई असर दिखाई नहीं दे रहा।

ऐसी हत्याओं के लिए खापों पर ही सबसे पहले दोषारोपण किया जाता है। इससे बचने के लिए खाप नेताओं ने कई पंचायतों से ऐसे अपराधों में शामिल न होने की अपील की थी। अपील के बेअसर होने के बाद ऑनर किलिंग रोकने के लिए प्रेम विवाह या अंतरजातीय विवाह में माता-पिता की सहमति शामिल करने की नई मांग उठाई जा रही है। जिला जींद की माजरा खाप के समुंदर फौर आउटलुक से कहते हैं, “खापें ऑनर किलिंग में शामिल नहीं हैं। माता-पिता की मर्जी के खिलाफ घर से भाग कर शादी करने वाली लड़कियों से नाराज उनके घरवाले और करीबी रिश्तेदार ऐसी घटनाओं में शामिल होते हैं। भारत में नया कानून बनाकर प्रेम विवाह में माता-पिता की सहमति अनिवार्य किए जाने के बाद शायद ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।’’ उनका मानना है कि जो माता-पिता बेटी को पाल कर बड़ा करते हैं, वे उन्हें घर से भागते हुए नहीं देख सकते। इसलिए ये हत्याएं पीड़ित लड़की या लड़के के माता-पिता का व्यक्तिगत मामला है। 

इस बीच खाप पंचायतों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात कर हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग की है, ताकि एक ही गांव या गोत्र, अगल-बगल के गांवों के जोड़ों के विवाह पर प्रतिबंध लगाया जा सके। प्रेम विवाह पंजीकरण के लिए माता-पिता की सहमति, लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष बनाए रखने और लिव-इन संबंधों पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की है। मलिक खाप प्रमुख अशोक मलिक ने कहा, “केवल हरियाणा में हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन हो। चूंकि यह राष्ट्रीय अधिनियम है और संभव है अन्य राज्यों में स्थिति यहां जैसी न हो। पंचायतें चाहती हैं कि सरकार तीन ‘ग’ यानी गांव, गवांड (पड़ोसी गांव) और गोत्र के भीतर विवाह को वर्जित करे।’’ 

हरियाणा की सबसे बड़ी चौबीसी खाप पंचायत महम के एक सदस्य नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहते हैं, “समय से बदल रहा है लेकिन खापों का रुतबा कायम है। जाति के बाहर शादी ठीक नहीं। हम हिंसा के पक्ष में नहीं हैं लेकिन विवाह जैसी पारंपरिक और पवित्र प्रथा में मर्यादा बनाए रखना जरूरी है।”

जींद, कैथल, हिसार, सोनीपत, रोहतक, भिवानी, दादरी को खापलैंड के नाम से जाना जाता है। ये जिले गांव, गवांड और गोत्र के अलावा अंतरजातीय विवाह के विरोध में अपने कड़े फरमानों के लिए जाने जाते हैं। हालांकि ऐसे फरमान जारी करने का इनके पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि शादी के मामले में खाप पंचायतों की दखलअंदाजी गैरकानूनी है। 

ऑनर किलिंग के बहुत से मामले परिवार, समाज और गांव स्तर पर दबा दिए जाते हैं और पुलिस के पास दर्ज नहीं होते। 2023 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया था कि हरियाणा में 2017 से 2021 के बीच ऑनर किलिंग के मात्र 14 मामले दर्ज किए गए। बाद में फरवरी 2024 में हरियाणा विधानसभा के पटल पर तत्कालीन गृहमंत्री अनिल विज के अनुसार 2019 से 2023 के बीच राज्य पुलिस ने ‘ऑनर किलिंग’ के 24 संदिग्ध मामले दर्ज किए हैं। जबकि वास्तविक मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है।

महिला अधिकार कार्यकर्ता जगमती सांगवान कहती हैं, “ऑनर किलिंग के सरकारी आंकड़ें असल मामलों से मेल ही नहीं खाते। अधिकतर मामले या तो रिपोर्ट नहीं किए जाते या मामला कुछ और ही बना दिया जाता है। जैसा, सिरसा की सरवजीत कौर के मामले हुआ। ऑनर किलिंग को परिजनों ने पुलिस को आत्महत्या बता गुमराह किया। कैथल के एक परिवार ने बहन के कत्ल में नाबालिग को आगे कर दिया क्योंकि नाबालिग के लिए सजा का प्रावधान कम है।

यह भी विडंबना है कि यहां की बेटियों ने ही पहलवानी, बॉक्सिंग में एशियन, कॉमनवेल्थ से लेकर ओलंपिक तक मैडल जीत कर देश के नक्शे पर हरियाणा का नाम रोशन किया है। अंतरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला करनाल से थी। लेकिन ऐसे कुछेक अपवाद छोड़ दें, तो खेतों और चौके में काम करने वाली असंख्य लड़कियों के पास खुशहाल जिंदगी कोई विकल्प नहीं है।

आज भी यहां के गांवों में कई परिवारों में एक या दो लड़कियों के बाद जन्म लेने वाली अनचाही लड़कियों को माफी, बोहती, बथेरी और काफी (बहुत ज्यादा) जैसे नाम देने का प्रचलन है। कुदरत ने भले ही इन बेटियों को खूबसूरत मुस्कान दी हो लेकिन परिवार अपनी झूठी शान के लिए उनकी मुस्कान छीनने में जरा वक्त नहीं लेता।

मामलों में इजाफा

22 अप्रैल, 2024ः शादी के दो महीने बाद गांव बडाला के 24 वर्षीय तेजबीर और सुल्तानपुर की 22 साल की मीना की हांसी के एक पार्क दो अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। दोनों एक ही जाति के लेकिन दूर के चेचरे भाई-बहन थे। सुरक्षा के लिए जोड़े ने पुलिस को अर्जी दी थी पर सुरक्षा नहीं मिली। हांसी पुलिस अधीक्षक मकसूद अहमद का कहना है, “जोड़े ने शादी के तुरंत बाद पुलिस सुरक्षा के लिए आवेदन किया था पर तीन दिन ‘सेफ हाउस’ में रहने के बाद उन्होंने आवेदन वापस ले लिया था।’’

3 जूनः पंद्रह दिन बीत जाने के बाद पुलिस की कार्रवाई से पता चला। नेजाडेला कलां गांव की 27 वर्षीय सरवजीत कौर की भाई और पिता ने हत्या कर दी। हालांकि दोनों एक ही जाति के थे लेकिन लड़की के माता-पिता गरीब परिवार के लड़के से शादी के लिए सहमत नहीं थे। मामला छुपाने के लिए लड़की को दिल का दौरा पड़ने की कहानी गढ़ी गई। बाद में पिता-पुत्र ने अपराध कबूल लिया।

9 जूनः भाग कर शादी करने वाला नारनौल का प्रेमी जोड़ा पुलिस पहरे में सुरक्षित है। लेकिन विवाह के कारण दोनों गांवों के लोगों ने एक-दूसरे का बहिष्कार कर दिया है। बिगोपुर गांव के निवासी अपने ही गांव के बस अड्डे और मुख्य सड़क पर नहीं जा सकते क्योंकि पड़ोसी गांव धोलेरा के लोगों ने उन्हें समाज से अलग कर दिया है। धोलेरा की परवीना के बिगोपुर के विकास के साथ शादी बाद एक ही जाति और एक से आर्थिक हालात वाले परिवारों से संबंधित इस जोड़े के विवाह से दोनों गांवों का भाईचारा टूट गया है। गांव वालों का कहना है कि दो किलोमीटर के फासले पर रहने वाला जोड़ा सामाजिक रूप से भाई-बहन है। दोनों गांव की पंचायतों ने शादी रद्द कराने और लड़की को वापस परिवार के पास भेजने का पुलिस पर दबाव बनाया हुआ है।

19 जूनः कैथल जिले में अनुसूचित जाति के लड़के के साथ बहन कोमल (20 वर्ष) के प्रेम विवाह से नाराज 17 साल के नाबालिग भाई ने बहन की गोली मारकर हत्या कर दी और बहन की सास और ननद को भी गंभीर रूप से घायल कर दिया। हत्या के कुछ ही मिनटों बाद इंस्टाग्राम पर लाइव आकर इस इस बारे शेखी बघारी। बाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। कैथल पुलिस के मुताबिक, “लड़की के परिवार ने हत्या की साजिश रची और नाबालिग को इसे अंजाम देने को कहा क्योंकि किशोर कानून के तहत कम सजा का प्रावधान है।”  

सितंबर 2023: कैथल के बालू गांव की 21 वर्षीय माफी की हत्या का सबूत मिटाने के लिए परिजनों ने फौरन अंतिम संस्कार कर दिया था। लड़की का नाम माफी इसलिए रखा था ताकि अगली संतान लड़का हो। दलित परिवार की लड़की दलित लड़के से ही शादी करना चाहती थी। लेकिन लड़की घर से भाग कर शादी न कर ले इससे पहले ही उसे मौत के घाट उतार दिया गया। प्रेमी रोहित अभी भी लापता है।

 

 

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