भारतीय टेनिस स्टार रोहन बोपन्ना ने हाल में अपने साथी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी के साथ अपना पहला ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष युगल खिताब जीता। दो दिन बाद ही, बोपन्ना युगल रैंकिंग में विश्व नंबर एक पर पहुंच गए। इन दोनों की ही इस उपलब्धि को अगर कोई बात कीमती बनाती है, तो वह है रोहन बोपन्ना की उम्र। रोहन ने 43 साल की उम्र में इस कामयाबी को हासिल किया है। ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाले रोहन सबसे उम्रदराज खिलाड़ी हैं। लिएंडर पेस और महेश भूपति के बाद यह कारनामा करने वाले वे तीसरे भारतीय हैं। टेनिस शारीरिक क्षमता को हर सेकंड जांचने का खेल है। 35 की उम्र के बाद शरीर थकने लगता है। मगर, जीत की जिद हो, तो नामुमकिन लक्ष्य भी मुमकिन बन जाता है। संन्यास लेने की उम्र में टेनिस जैसे खेल में वापसी और बुलंद हौसलों को नतीजों में बदलने की कहानी का नाम ही ‘रोहन बोपन्ना’ है।
कर्नाटक के कुर्ग में चार मार्च 1980 को जन्मे बोपन्ना खूबसूरत कॉफी बागानों के बीच पले-बढ़े हैं। रोहन बचपन से टेनिस के प्रति आकर्षित थे और इस खेल को सबसे ज्यादा पसंद करते थे। उनका परिवार खेलप्रेमी था इसलिए उन्हें इसका फायदा भी मिला। पिता के कहने पर रोहन ने ग्यारह वर्ष की आयु से टेनिस खेलना शुरू कर दिया। उन्नीस वर्ष की उम्र में रोहन ने अपने शौक को ही पेशा बनाने का निर्णय ले लिया। वैसे भी खेल के प्रति उनके संकल्प और उत्साह से यह तो स्पष्ट था कि उनका भविष्य उज्ज्वल है। देखते ही देखते बोपन्ना के खेल को पहचान भी मिलने लगी।
रोहन की प्रतिभा कम उम्र में ही नजर आने लगी थी। जूनियर लेवल में भारतीय टेनिस परिदृश्य में उनकी पहचान बननी शुरू हो गई थी। कोर्ट पर उनकी प्रतिभा का जादू ही था जो उन्हें अमेरिका के मिसिसिपी विश्वविद्यालय ने छात्रवृत्ति दे दी। इस अवसर का उन्होंने पूरा फायदा उठाया और अपने करिअर को आगे बढ़ाने, खुद को कॉलेजिएट टेनिस खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में इसका उपयोग किया। कॉलेज की ओर से एटीपी टूर के साथ ही रोहन बोपन्ना के टेनिस करियर ने उड़ान भरी।
बोपन्ना युगल टेनिस के प्रणेता माने जाते हैं। उनके कुछ साथी तो चर्चा का विशेष कारण रहे। बोपन्ना की एक जोड़ी का नाम, इंडो-पाक एक्सप्रेस रखा गया था। रोहन और पाकिस्तान के ऐसाम-उल-हक कुरेशी की जोड़ी ने 2010 में यूएस ओपन मिश्रित युगल फाइनल में पहुंचकर बड़ा मुकाम हासिल किया था। इसे भी बोपन्ना के करिअर का अहम टर्निंग पॉइंट कहा जाता है। बोपन्ना ने कई बार अपने शानदार प्रदर्शन से ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों के क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में जगह बनाई। विंबलडन में क्वार्टर फाइनल और यूएस ओपन में पुरुष युगल फाइनल में प्रवेश किया। 2007 में होपमैन कप में सानिया मिर्जा के साथ मिश्रित युगल में शानदार प्रदर्शन से उन्होंने सबका ध्यान खींचा। यह जोड़ी स्पेन के बाद उपविजेता रही थी।
हालांकि, 2012 में बोपन्ना ने ओलंपिक से पहले जिताऊ साझेदारी बनाने के लिए हमवतन महेश भूपति के साथ मिलकर खेलने का फैसला किया। लंदन 2012 बोपन्ना के लिए अच्छी सीख साबित हुई। हालांकि भारतीय जोड़ी ओलंपिक में दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ सकी, लेकिन कुछ महीने बाद पेरिस मास्टर्स खिताब पर दावा करने में दोनों खिलाड़ी सफल रहे। चार साल बाद रियो 2016 में बोपन्ना मिश्रित युगल प्रतियोगिता में सानिया मिर्जा के साथ ओलंपिक पदक जीतने के बेहद करीब पहुंच गए थे। ऑस्ट्रेलियाई सैम स्टोसुर और जॉन पीयर्स पर शुरुआती दौर में जीत के बाद, मिर्जा और बोपन्ना ने पुरुष ओलंपिक चैंपियन एंडी मरे और हीथर वॉटसन पर प्रभावशाली जीत दर्ज की। सानिया-बोपन्ना की जोड़ी ने कोर्ट में कई कमाल दिखाए।
इस बीच परिवार ने बोपन्ना में विश्वास बनाए रखा और पूरा समर्थन दिया। उसी की प्रेरणा से वे आगे बढ़ते रहे। सहयोगी परिवार, अनुकूल परिवेश रोहन बोपन्ना के जीवन की संजीवनी रहा है। ‘बोप्स’ उपनाम से मशहूर रोहन बोपन्ना अपने टेनिस करिअर के शुरुआती दिनों में स्वीडिश आइकन स्टीफन एडबर्ग को अपना आदर्श मानते थे। रोहन बोपन्ना के माता-पिता एम.जी. बोपन्ना और मलिका बोपन्ना ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ाया। गृहणी मां ने संबल दिया तो कॉफी बागान मालिक पिता ने किसी चीज की कमी नहीं होने दी। कोडागु जिले में रहने वाले इस परिवार में हमेशा खेल को लेकर बातें होती रहती थीं। अब पत्नी सुप्रिया अन्नैया और बेटा त्रिधा बोपन्ना भी उन्हें उतना ही सहयोग करते हैं। ऑस्ट्रेलियाई ओपन की ऐतिहासिक जीत के बाद रोहन ने अपने पूरे परिवार के साथ किस तरह जश्न मनाया, ये पूरी दुनिया ने देखा।
दुनिया के सबसे निपुण और सफल खिलाड़ियों में से एक रोहन बोपन्ना अपने दृढ़ संकल्प, रणनीतिक प्रतिभा की विशेषता के लिए जाने जाते हैं। 2002 से भारत की डेविस कप टीम के सदस्य, रोहन बोपन्ना ने लंबे करिअर में दो ग्रैंड स्लैम खिताब और पांच एटीपी मास्टर्स 1000 खिताब जीते हैं। इस अनुभवी और कुशल खिलाड़ी ने ओलंपिक के 2012 और 2016 संस्करणों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। 2017 में बोपन्ना ने पहली बार ग्रैंड स्लैम जीता था। 2018 में और अधिक खुशी आई, क्योंकि बोपन्ना ने 2018 एशियाई खेलों में हमवतन दिविज शरण के साथ पुरुष युगल में स्वर्ण पदक जीता। वह सानिया मिर्जा के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन 2023 में मिश्रित युगल फाइनल में पहुंचे। बाद में 2024 वर्ष में भारतीय दिग्गज रोहन बोपन्ना ने अपने जोड़ीदार मैट एबडेन के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल मुकाबले में इटली के सिमोन बोलेली और वावसोरी को 7-6, 7-5 से शिकस्त दी।
आज जब बोपन्ना इस उम्र में एक ऐतिहासिक जीत के साक्षी बने हैं, हर कोई उनके कमबैक की बात कर रहा है। अब उनके कमबैक को खेल के इतिहास का सबसे शानदार और सफल कमबैक कहा जा रहा है। मगर एक दौर था, जब स्थितियां उनके हाथ से निकल रही थीं, आत्मविश्वास बिखर रहा था और वक्त फिसलता जा रहा था। इसका एक सबसे बड़ा कारण उनकी बढ़ती उम्र थी। 43 वर्षीय खिलाड़ी एक समय पर इस हद तक हतोत्साहित हो गए थे कि उन्होंने प्रदर्शन में कमी के कारण खेल छोड़ने का मन तक बना लिया था। इसके साथ ही रोहन घुटने की चोट के दर्द से भी बहुत परेशान थे। लेकिन कहते हैं न कि जैसे एक सैनिक कभी हथियार नहीं डालता वैसे ही एक खिलाड़ी कभी हार नहीं मानता। बोपन्ना ने फिर तैयारी की। लेकिन दुर्भाग्य से साल 2021 की शुरुआत बेहद खराब रही। उन्होंने जितने भी मैच खेले सभी में हार गए। इन मैचों में उन्होंने सिर्फ एक सेट जीता। रोहन बोपन्ना बताते हैं, उस समय वह अपने परिवार के बारे में सोचते हुए संन्यास पर विचार कर रहे थे। उन्होंने अपनी पत्नी से कह दिया था कि वह अब अपना रैकेट खूंटी पर टांग देंगे और संन्यास ले लेंगे। फिर भी उनके अंदर एक बार कुछ अलग करने की जिद बाकी थी और इसी जिद ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। वह खेल को अलविदा तो कहना चाहते थे, लेकिन हारकर नहीं। रोहन ने वापसी की और बाकी, जैसा कहा जाता है, सब ऐतिहासिक है।
एक उम्र के बाद भारत में ‘संन्यास’ का शोर उठने लगता है। कम लोग समझते हैं कि अनुभव उम्र के साथ ही आता है। खिलाड़ी फिट है तो हिट है। रोहन बोपन्ना का खुद पर विश्वास ही था, जो उन्होंने 43 साल की उम्र में ओपन एरा में ग्रैंड स्लैम युगल चैंपियनशिप जीतने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति बनकर केन रोजवेल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस जीत ने बोपन्ना के दृढ़ समर्पण के साथ अपनी तकनीक में बदलाव की क्षमता को साबित कर दिया। उनकी उम्र की संख्या भले ही बढ़ रही हो, लेकिन उम्र की रफ्तार बोपन्ना की गति को धीमा नहीं कर रही है। जीत के बाद बोपन्ना ने उम्र के सवाल पर पर मजाकिया अंदाज में कह भी दिया है कि वह 43 साल के नहीं हैं, लेवल 43 के हैं। इस जीत के साथ बोपन्ना ने उभरते टेनिस खिलाड़ियों को तो बड़ा संदेश दिया ही है यह उन लोगों के लिए भी सीख है, जिन्हें लगता है कि उम्र बढ़ने के साथ बहुत से काम हैं, जो नहीं किए जा सकते।
रोहन बोपन्ना के करिअर की कुछ उपलब्धियां
• 2003 में अफ्रो-एशियाई खेलों के युगल और टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते
• 2005 में कर्नाटक सरकार के एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया
• 2008 लॉस एंजिल्स ओपन के विजेता
• एरिक बुटोरैक के साथ मिलकर 2008 कंट्रीवाइड क्लासिक में पुरुष युगल का खिताब जीता
• 2010 में, बोपन्ना ऐसाम-उल-हक कुरेशी के साथ विंबलडन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे (यह उनका पहला ग्रैंड स्लैम इवेंट था)
• 2010 दक्षिण अफ्रीका टेनिस ओपन के विजेता
• 2010 में आर्थर ऐश ह्यूमैनिटेरियन ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित
• 2010 में पीस एंड स्पोर्ट्स द्वारा इमेज ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित
• 2010 यूएस ओपन ग्रैंड स्लैम डबल्स इवेंट में उपविजेता
• 2011 हाले ओपन के विजेता
• 2011 स्टॉकहोम ओपन के विजेता
• भारतीय टीम को ब्राजील के विरुद्ध डेविस कप जिताने में महत्वपूर्ण योगदान दिया
• महेश भूपति के साथ मिलकर 2012 का पेरिस मास्टर्स कप जीता
• 2012, 2014 और 2015 दुबई टेनिस चैंपियनशिप के विजेता, 2013 में एटीपी द्वारा नंबर 3 पर रहते हुए अपने करिअर की उच्चतम रैंकिंग पर पहुंचे
• फ्लोरिन मर्जिया के साथ मार्सिन मैटकोव्स्की और नेनाद जिमोनजिक के खिलाफ साझेदारी करके 2015 मटुआ मैड्रिड ओपन का डबल्स जीता
• अपनी जोड़ीदार गैब्रिएला डाब्रोव्स्की के साथ 2017 फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल खिताब के विजेता
• 2017 वियना ओपन के विजेता
• 2018 एशियाई खेलों में अपने साथी दिविज शरण के साथ पुरुष युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता
• 2018 ऑस्ट्रेलियन ओपन ग्रैंड स्लैम मिश्रित युगल स्पर्धा में उपविजेता
• 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित
• 2020 कतर ओपन के विजेता
खेल में अब तक के बेस्ट कमबैक
माइकल जॉर्डन
1995 में एनबीए में विजयी वापसी से पहले, जॉर्डन 17 महीने के लिए बास्केटबॉल से संन्यास ले चुके थे। वे अगले चार साल और तीन एनबीए चैंपियनशिप के लिए लौटे और 1999 में फिर रिटायर हो गए। बाद में, 2001 में दो और वर्षों के लिए फिर से लौटे और फिर अंततः वाशिंगटन विजार्ड्स के साथ दो सीजन के बाद 2003 में हमेशा के लिए रिटायर हो गए। खेल जगत आज भी उन्हें याद करता है
आंद्रे अगासी
टेनिस के इस महान खिलाड़ी का नाम कौन नहीं जानता। आंद्रे अगासी का करिअर भी बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1995 में विश्व रैंकिंग में 1 से 1998 की शुरुआत में 141 पर पहुंच गए आगासी ने 1999 के अंत तक, जीवटता दिखाए हुए शानदार वापसी की और फिर नंबर 1 पर आ गए
बॉब सिम्पसन
1977-78 में भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा 41 वर्षीय बॉब सिम्पसन के लिए याद किया जाता है। सिम्पसन ने 1968 में खेल से संन्यास ले लिया था। फिर एक दशक बाद वे रिटायरमेंट से वापिस आए और टीम की कमान संभाली। दोबारा उन्होंने खेल की कमान संभाली और छा गए
महेश भूपति
2016 में महेश भूपति की उम्र 41 साल हो गई थी। पिछले दो साल में उन्होंने मुश्किल से कोई टूर्नामेंट खेला था। लेकिन 2016 में वापसी की और तीन साल के अंतराल के बाद अपना पहला खिताब जीता, जब युकी भांबरी के साथ दिल्ली ओपन पर कब्जा कर जीत का जश्न मनाया
माइकल फेल्प्स
अब तक के सबसे सम्मानित ओलंपिक खिलाड़ी माइकल फेल्प्स ने 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के बाद संन्यास लेने का फैसला कर लिया था। 30 वर्ष की आयु में 2016 में रियो ओलंपिक खेलों के लिए उन्होंने शानदार वापसी की। तब उन्होंने पांच स्वर्ण और एक रजत पदक जीता। यह उनके करिअर का शानदार साल रहा। उन्होंने कुल 28 पदक जीते थे