कोविड-19 महामारी के टीके के लिए जिन चुनिंदा दवा कंपनियों पर नजरें हैं, उनमें पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी एक है। वैक्सीन बनाने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। शुरुआती ट्रायल के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी के प्रोजेक्ट में इसकी हिस्सेदारी है। इसके अलावा दो अन्य प्रोजेक्ट में भी यह साथ है। अजय सुकुमारन के साथ ईमेल पर हुई बातचीत में सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने उम्मीद जताई कि भारत में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का ट्रायल जनवरी में पूरा हो जाएगा। बातचीत के मुख्य अंशः
इंग्लैंड में इमरजेंसी लाइसेंस के तहत ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजनेका कोविड-19 की वैक्सीन के कितने करीब है? भारत में जो ट्रायल चल रहे हैं उसके आंकड़े कब तक मिलने की उम्मीद है?
इंग्लैंड में ट्रायल पूरे होने ही वाले हैं और भारत में भी हमारा परीक्षण ठीक-ठाक चल रहा है। इसकी सुरक्षा और क्षमता को लेकर नियामक ओके आश्वस्त होने के बाद हम जनवरी 2021 से वैक्सीन उपलब्ध होने की उम्मीद कर सकते हैं।
तब तक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कितना स्टॉक तैयार कर लेगी? शुरू में वैक्सीन किन लोगों को दी जाएगी?
शुरू में हमारा लक्ष्य हर महीने छह से सात करोड़ डोज बनाने का है। बाद में हम इसे बढ़ाकर 10 करोड़ करेंगे। उम्मीद है कि ट्रायल सफल होने तक हमारे पास 20 से 30 करोड़ डोज का स्टॉक होगा।
वैक्सीन की क्षमता को लेकर आपकी क्या उम्मीद है?
दुनिया भर में परीक्षण चल रहे हैं और अभी हमारे पास कोई सटीक डाटा नहीं है। फिर भी अब तक उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि वैक्सीन को लेकर तत्काल चिंता की कोई बात नहीं है। अभी तक भारत और दूसरे देशों में हजारों लोगों को यह वैक्सीन दी जा चुकी है, और उनमें किसी तरह की समस्या नहीं दिखाई दी है। हालांकि वैक्सीन का दीर्घकालिक असर सामने आने में दो से तीन साल लगेंगे।
अगले वर्ष भारत में कितने डोज की आवश्यकता होगी, इसका कोई अनुमान है? सरकार की तरफ से वैक्सीन खरीदने की कोई पहल हुई है?
भारत की आबादी और शुरू में कोविड-19 मरीजों के करीब रहने वालों, बुजुर्गों और छोटे बच्चों को वैक्सीन देने की योजना को देखते हुए अगले वर्ष भारत में करोड़ों डोज की आवश्यकता होगी। वैक्सीन की खरीद के लिए सरकार के साथ हमारी बातचीत चल रही है।
वैक्सीन की कीमत का कोई अंदाजा आप दे सकते हैं?
अभी कीमत के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हम सरकार से बात कर रहे हैं। इतना तो तय है कि वैक्सीन सबको कम कीमत पर उपलब्ध होगी।
आप नोवावैक्स वैक्सीन पर भी काम कर रहे हैं, उसके बारे में कुछ बताएंगे?
भारत में नोवावैक्स वैक्सीन के लिए हमारे पास एक्सक्लूसिव अधिकार हैं। ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन इम्युनाइजेशन (जीएवीआइ) और गेट्स फाउंडेशन के साथ समझौते के तहत हम 92 देशों में नोवावैक्स वैक्सीन उपलब्ध कराएंगे। समझौते के मुताबिक दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल और नियामकों की मंजूरी मिलने के बाद हम करीब दो अरब डोज बनाकर इन देशों में वितरित करेंगे।
कोविड-19 वैक्सीन के लिए दुनिया भर से आपके पास जो ऑर्डर हैं, उन्हें देखते हुए सीरम इंस्टीट्यूट के लिए 2021 कैसा लग रहा है?
हम ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की दवा कोवीशील्ड के ट्रायल के अंतिम चरण में हैं। नोवावैक्स और कोडाजेनिक्स वैक्सीन के शुरुआती ट्रायल के नतीजों का इंतजार है। विभिन्न अथॉरिटी की मंजूरी के बाद हमें वैक्सीन की स्थिति का पता चलेगा। इसके बाद हम विभिन्न देशों से ऑर्डर मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। अभी तो हम अपने जोखिम पर कोवीशील्ड वैक्सीन का स्टॉक तैयार करने में जुटे हैं, ताकि नियामकों की मंजूरी मिलने के बाद जीएवीआइ देशों को देने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्टॉक हो।
कोविड-19 वैक्सीन के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ने अभी तक कितना निवेश किया है?
अभी तक हमने करीब 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। यह निवेश उत्पादन सुविधा बढ़ाने, प्रौद्योगिकी और संसाधनों पर किया गया है। इसके अलावा जीएवीआइ का हिस्सा बनने पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से 30 करोड़ डॉलर मिले हैं।