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2024 सेमीफाइनल/राजस्थान: ‘गहलोत-पायलट में टकराव नहीं’

बड़े पैमाने पर जनहित के कार्य करने वाली गहलोत सरकार की लोकप्रियता के आगे भाजपा कहीं नहीं टिकती
राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा

राजस्थान में दूसरी पारी के लिए जोरशोर से तैयारी कर रही कांग्रेस के प्रभारी और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा मानते हैं कि हिमाचल के बाद कर्नाटक की जीत ने पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भरा है। हाल ही में नवगठित कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए रंधावा मानते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने देश भर में बड़े पैमाने पर लोगों को कांग्रेस के साथ जोड़ा है जिसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। रंधावा से आउटलुक के हरीश मानव की बातचीत के प्रमुख अंश:

 

राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति फिलहाल कैसी है?

बिलकुल बेहतर है। चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया जोरों पर है। इस बार कांग्रेस सबसे पहले उम्मीदवारों की घोषणा करेगी।

गहलोत सरकार के खिलाफ एंटी इन्केम्बेंसी कांग्रेस की राह मुश्किल कर सकती है?

कांग्रेस लगातार दूसरी बार सरकार बनाने की स्थिति में हैं। बड़े पैमाने पर जनहित के कार्य करने वाली गहलोत सरकार की लोकप्रियता के आगे भाजपा कहीं नहीं टिकती।

गहलोत और पायलट खेमे में टकराव कांग्रेस को कमजोर करेगा?

टकराव जैसी कोई बात नहीं हैं। कांग्रेस के मंच पर सभी कार्यकर्ता एकजुट हैं। चुनाव के लिए सभी वरिष्ठ नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं और सभी जुटे हैं।

हाल ही में कर्नाटक हिमाचल में कांग्रेस की जीत को आगामी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में कैसे देखते हैं?

कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का ही नहीं, बल्कि पार्टी में बागी नेताओं का भी विश्वास बढ़ा है। जो भाजपा में शामिल होने के लिए पंख फड़फड़ा रहे थे अब वही पक्के कांग्रेसी होने का दम भरते हैं। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार दोहराएगी और मध्य प्रदेश में छल से कांग्रेस से छीनी गई सरकार इस बार जनता पूर्ण बहुमत के साथ वापस लौटाने के मूड में है।

कांग्रेस कई राज्यों में उभर रही है, लेकिन पंजाब में ऐसा क्या हुआ कि कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ सरीखे दिग्गजों ने कांग्रेस को डूबता जहाज कह कर भाजपा का दामन थाम लिया?

ये तमाम तथाकथित दिग्गज चुके हुए कारतूस हैं। 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में इनमें से कोई भी अपनी जमानत नहीं बचा सका था। नौ साल तक कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री बनाया। कांग्रेस से निकलने के बाद उनका सियासी वजूद ही खत्म हो गया। उनकी बनाई पंजाब लोकहित पार्टी के उम्मीदवार एक भी सीट पर जमानत नहीं बचा पाया। कैप्टन भाजपा में शामिल हुए पर उन्हें वहां कोई नहीं पूछता जबकि कांग्रेस ने उन्हें आसमान पर पहुंचाया था।

आपको भी नवगठित कांग्रेस कार्यसमिति में सदस्य बनाया गया है। इस साल राज्यों के विधानसभा चुनाव अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के शीर्ष संगठन में हुए इस बदलाव को कैसे देखते हैं?

सभी जुझारू नेताओं को इसमें शामिल किया गया है। निस्‍संदेह कांग्रेस 2019 की तुलना में 2024 में कहीं बेहतर प्रदर्शन करेगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से बड़े पैमाने पर लोग कांग्रेस से जुड़े हैं। इसका असर चुनाव नतीजों में भी साफ दिखने लगा है।

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