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मुकाबले में सिर्फ कांग्रेस दूसरा कोई नहीं

गुटबंदी की शिकार हरियाणा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से पहले एकजुट करने के लिए पार्टी आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद की अगुआई में हफ्ता भर पहले कांग्रेसियों को एक बस में प्रदेश भर के दौरे पर भेजा। आलाकमान के इस प्रयास से क्या नेता एकजुट हो पाए? नेताओं को एकजुट करने की चुनौती के बीच चुनाव में कांग्रेस की स्थिति और रणनीति के बारे में आउटलुक के सीनियर असिस्टेंट एडिटर हरीश मानव ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से बातचीत की। प्रमुख अंश:
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा

प्रदेश के तमाम कांग्रेसी नेता हाल ही में परिवर्तन यात्रा के दौरान हफ्ते भर बस में साथ रहे, क्या कांग्रेसी नेताओं की गुटबंदी खत्म हुई?

हरियाणा में कांग्रेस एकजुट है, कोई गुटबाजी नहीं है। गुटबंदी तो भाजपा में है। कैबिनेट की बैठक में कोई फैसला होता है तो बाहर आकर एक मंत्री फैसले पर मुहर लगाता है, दूसरा मंत्री इनकार करता है। कांग्रेस के साथ भारी जनसमर्थन है। सब मिलकर भाजपा का सफाया कर देंगे।

परिवर्तन यात्रा के दौरान आप प्रदेश भर में लोगों के बीच गए, माहौल-मिजाज कैसा है?

प्रदेश की जनता बदलाव चाहती है। मौजूदा भाजपा सरकार से हर वर्ग के लोग परेशान हैं। कई जगहों पर देखा कि रात के तीन बजे तक लोग हमारी परिवर्तन बस यात्रा का इंतजार कर रहे थे।

जींद उपचुनाव में कांग्रेस के हैवीवेट उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला तीसरे और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दिग्विजय चौटाला दूसरे स्थान पर रहे। इस नतीजे से संकेत गया कि लोकसभा चुनाव में भी मुकाबला भाजपा और जेजेपी के बीच होगा?

मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। जेजेपी-आप गठबंधन और इनेलो कहीं नजर नहीं आएगी। विपक्ष की भूमिका निभाने के बजाय भाजपा के मुख्य सहयोगी दल की भूमिका निभाने वाली इनेलो परिवार की लड़ाई में खत्म हो चुकी है। इनेलो का जनाधार खत्म हो चुका है, लोकसभा चुनाव में इसे एक सीट के भी लाले पड़ेंगे।

आप कांग्रेस को एकजुट, मजबूत बता रहे हैं, जबकि अशोक तंवर की अध्यक्षता में अभी तक प्रदेश कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा खड़ा नहीं हो पाया?

भले ही ब्लॉक और जिला स्तर पर कांग्रेस अध्यक्षों और उनकी टीमों का गठन नहीं हो पाया है, पर धरातल पर कांग्रेस मजबूत है और भाजपा के सफाए में सक्षम है।

लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा थी। क्या अब यह आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले होगा?

बदलाव की जरूरत नहीं है। लक्ष्य केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनाना है।

कांग्रेस की 10 में से कितनी सीटें आएंगी?

कांग्रेस की 2009 में 9 सीटें आई थीं। इस बार सभी दस सीटें आएंगी। भाजपा के मुकाबले हमारे उम्मीदवार अधिक लोकप्रिय हैं। भाजपा ने पांच ऐसे चेहरे उतारे हैं जिन्होंने सांसद रहते क्षेत्र की उपेक्षा की।

चुनाव में जनता के समक्ष क्या मुद्दे लेकर जा रहे हैं?

मौजूदा भाजपा सरकार के कार्यकाल में हरियाणा जला है। जाट आरक्षण आंदोलन और राम-रहीम प्रकरण के वक्त प्रदेश की जनता ने मौत का ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं’ का नारा देने वाली भाजपा के कार्यकाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं रहीं। प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के साथ गैंगरैप के मामले तेजी से बढ़े। कर्ज के बोझ से दबे किसानों को सरसों के 4,200 रुपये एमएसपी की तुलना में 3,000 रुपये क्विंटल मिल रहा है। व्यापारी नोटबंदी और जीएसटी की मार से नहीं उबर पाए हैं। बेरोजगार युवाओं को रोजगार और भत्ते नहीं मिले।

भाजपा ने कांग्रेस, इनेलो और जेजेपी के जाट उम्मीदवारों के मुकाबले गैर-जाट चेहरा उतार कर जींद उपचुनाव जीता। अब लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 10 में से आठ गैर जाट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं?

सत्ता के लिए चुनावों में जाति ध्रुवीकरण की भाजपा की कोशिश हरियाणा की जनता को मंजूर नहीं है। सत्ता के लिए भाजपा का काम तोड़ने का है।

भाजपा बालाकोट एयर-स्ट्राइक के जरिए राष्ट्रभक्त होने का संदेश दे रही, जबकि इसके विरोध में उतरी कांग्रेस पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि वह राष्ट्रभक्त नहीं?

पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए पूरा देश एक साथ खड़ा था। ऐसे में कांग्रेस ने भी भाजपा का पूरा समर्थन किया। कांग्रेस के लिए संकट के वक्त देश पहले है पर शहादत के नाम पर होने वाली सियासत गलत है। भाजपा द्वारा इसे चुनाव में भुनाना शहीदों का अपमान है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि सीमा पर शहीद होने वालों की शहादत से सियासी फायदा लिया जाए।

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