हिमाचल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 1998 से 2008 तक अध्यक्ष रह चुके और हमीरपुर की नादौन सीट से तीन बार के विधायक सुखविंदर सुक्खू मुख्यमंत्री पद की दौड़ में एक अहम चेहरा हैं। यह वही सीट है जहां से भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेस कुमार धूमल आते हैं। सुक्खू पार्टी संगठन के ऊपर अपनी मजबूत पकड़़ से वीरभद्र सिंह जैसे कद्दावर नेताओं को असहज कर चुके हैं। एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत एनएसयूआइ से करने वाले सुक्खू यूथ कांग्रेस अध्यक्ष के पद से होते हुए पहले शिमला के पार्षद बने और फिर विधायक बने। राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रचार समिति की कमान संभालने वाले सुक्खू ने पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर अश्वनी शर्मा से बातचीत की।
हिमाचल में कांग्रेस की संभावनाओं को आप कैसे देखते हैं?
लोग मौजूदा सरकार से बहुत दुखी हैं। भाजपा के नारे- रिवाज बदल रहा है- को लोगों ने ठुकरा दिया है। अब तो रिवाज नहीं राज बदल रहा है। जिस दिन चुनाव के नतीजे आने हैं वह दिन जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्रित्व काल का आखिरी दिन होगा।
आपके आत्मविश्वास का आधार क्या है?
उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद से ही रुझान हमारे पक्ष में हैं। भाजपा मुख्यमंत्री के गृहजिले मंडी में ही लोकसभा की सीट हार गई। इसके अलावा नौकरशाही पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
कांग्रेस के पक्ष में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। पुलिस में सिपाहियों की भर्ती का मामला तो साबित हो चुका है। मुख्यमंत्री ने सीबीआइ से जांच करवाने की बात कही थी लेकिन उन्होंने कभी इसकी सिफारिश केंद्र से नहीं की। पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा भी कांग्रेस के हक में जाएगा।
पार्टी के भीतर धड़ेबाजी है।
कांग्रेस में कोई धड़ेबाजी नहीं है। वीरभद्र सिंह के साथ उसकी मौत हो चुकी है। वे जब जिंदा थे तो एक धड़े की अगुवाई करते थे और दूसरा धड़ा मेरा था। अब केवल एक धड़ा है, जिसका नाम है कांग्रेस पार्टी।
कांग्रेस, सत्ताधारी भाजपा की ताकत और संसाधनों से कैसे लड़ेगी?
यह सच है कि भाजपा के पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है लेकिन वह वोट नहीं खरीद पाएगी। हिमाचल के मतदाता बिकाऊ नहीं हैं। इस बार जनता की भावना हमारे साथ खड़ी है।
राज्य के खजाने पर पहले से ही 72000 करोड़ का कर्जा है, ऐसे में वादे पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा?
हम लोग संसाधन जुटाएंगे। पहले साल में एक लाख नौकरियां दी जाएंगी चूंकि सरकार के भीतर ही 63000 पद खाली पड़े हैं। कैबिनेट की पहली बैठक में हमने ओपीएस को बहाल करने की गारंटी दी है।
भाजपा ‘डबल इंजन’ वृद्धि की बात कह रही है।
‘डबल इंजन’ एक झूठ से ज्यादा कुछ नहीं है। सारा मामला नेतृत्व की मजबूती का होता है। विकास पर उसकी दृष्टि मायने रखती है।
आपको नहीं लगता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा ही काफी होगा।
मोदीजी ने अगर हिमाचल के लिए 10,000 करोड़ का वित्तीय पैकेज दे दिया होता तो लोग वास्तव में उनकी इज्जत करते और उन्हें प्यार देते। आखिर वे हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं। मोदीजी से हम 2024 में निपट लेंगे।
कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन है?
कोई नहीं।
आप मु्ख्यमंत्री पद के दावेदार हैं?
मेरे भीतर भी महत्वाकांक्षा है मुख्यमंत्री होने की, लेकिन मेरा पहला काम यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी को आसानी से बहुमत मिल जाए।
बाकी प्रतिद्वंद्वियों, जैसे पीसीसी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह या मुकेश अग्निहोत्री के बारे में आपकी क्या राय है?
प्रतिभा सिंह तो कहीं नहीं हैं। वीरभद्र सिंह की मौत से उपजी सहानुभूति का फायदा लेने के लिए उन्हें पीसीसी का अध्यक्ष बनाया गया था। वे तो चुनाव भी नहीं लड़ रही हैं।