इस साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ‘सुक्खू’ की चौदह महीने पुरानी सरकार भारतीय जनता पार्टी की तख्तापलट की कोशिशों के सामने बाल-बाल बच गई थी जब भाजपा ने बड़ी सफाई से राज्यसभा के चुनाव में सुक्खू के विधायकों से क्रॉस वोटिंग करवा लिया था। इस चक्कर में सत्तारूढ़ कांग्रेस अप्रत्याशित उठापटक का शिकार हो गई थी। युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के इस्तीफे ने संकट को और बढ़ा दिया। पार्टी के भीतर चले सत्ता-संघर्ष के बीच मुख्यमंत्री सुक्खू ने गजब का धैर्य दिखाया और उन्होंने उत्तर भारत में कांग्रेस की इकलौती सरकार को अस्थिर करने की तमाम कोशिशों को धता बता दिया। अब लोकसभा चुनाव और छह विधानसभा सीटों पर हो रहा उपचुनाव उनके लिए लिए नई चुनौती है। आउटलुक के अश्वनी शर्मा ने राज्य में चुनावी परिदृश्य और उसके बाद की संभावनाओं पर उनसे बात की।
सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस की सरकार राजनीतिक रूप से कितने मजबूत है?
मुझे या मेरी सरकार को कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस ने 2022 के चुनाव में 40 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी। मामूली पृष्ठभूमि से उठकर मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचना न तो सत्ता का सुख लेने की आकांक्षा से जुड़ा है और न ही मुझे अपना कोई राजनीतिक साम्राज्य खड़ा करना है। जिनकी राजनीति केवल बेईमानी, धनबल और अवैध खनन आदि पर टिकी है, उन्होंने एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। अब वे (छह अयोग्य ठहराए गए विधायक) भाजपा का गमछा पहनकर उपचुनाव में खड़े हैं। उन्होंने अपनी जनता को धोखा दिया है, अपनी आत्मा को बेच डाला है। उन्होंने देवभूमि हिमाचल को गंदा किया है। मैं जनता से कहूंगा कि वह उन्हें उनकी सही जगह दिखाए।
भाजपा ने 68 सदस्यों वाले सदन में केवल 25 के बल पर राज्यसभा की सीट अपने नाम कर ली। ऐसे में आपको नहीं लगता कि आप कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास से भरे हुए हैं?
नहीं, जनता की नब्ज पर मेरी अच्छी पकड़ है। लोग देख चुके हैं कि कैसे सत्ता की भूखी भाजपा ने कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने के लिए अलोकतांत्रिक तरीके अपनाए थे। भाजपा के पास विधायकों को खरीदने के लिए तो पैसा है, लेकिन राज्य को देने के लिए नहीं है। केंद्र ने हिमाचल को विकास अनुदान नहीं दिया है। सबसे बड़ी कुदरती आपदा के बावजूद कोई विशेष राहत पैकेज नहीं दिया गया। इसके बावजूद मैं साहस के साथ उस त्रासदी में प्रभावित परिवारों के साथ खड़ा रहा। हमने मुख्यमंत्री राहत कोष के माध्यम से पैसा जुटाया। मैंने अपनी जिंदगी की कुल जमा बचत इस फंड में दान कर दी। राज्य सरकार ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए 4500 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया। सरकार हर प्रभावित परिवार के पास पहुंची।
आपके मुख्यमंत्री रहते हुए यह पहला आम चुनाव है। आपके मुताबिक इस चुनाव का केंद्रीय मुद्दा क्या है?
जहां तक मेरी राय है, यह चुनाव ईमानदारी और बेईमानी के बीच हो रहा है। भाजपा ने अपना जमीर बेच देने वाले बागी विधायकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। यह तो जबरदस्त बेईमानी थी। उन्हें क्रॉस वोटिंग के लिए अच्छे पैसे दिए गए। फिर जब अयोग्य ठहराए जाने के बाद उनकी विधायकी चली गई तो भाजपा ने उन्हें अपना लिया। अब उसने अपने ही नेताओं के दावों को ठुकराते हुए उन बागियों को उपचुनाव में टिकट दे दिए हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। हमने भाजपा में गए बागियों को टिकट दिए जाने का विरोध किया था।
भाजपा कहती है कि विधायकों की बगावत के लिए खुद मुख्य्मंत्री ही जिम्मेदार हैं और उसे ऑपरेशन लोटस करने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं अच्छे से जानता हूं कि सरकार को अस्थिर करने के लिए किसने क्या किया है। यह भाजपा की लिखी हुई पटकथा थी। बागी विधायक भाजपा के नेतृत्व के साथ नियमित रूप से गुपचुप बैठकें कर रहे थे। इन्हें एक ही शिकायत थी कि मैंने इन्हें मंत्री नहीं बनाया। दो विधायक सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा असली खिलाड़ी थे। इन्होंने ही बाकी को राज्यसभा चुनाव से पहले क्रॉस वोटिंग के लिए तैयार किया था। इन्हें उम्मीद थी कि या तो सरकार गिर जाएगी या कांग्रेस मुख्यमंत्री बदल देगी। मेरी खुशकिस्मती रही कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मैं बच गया। अब मेरी सरकार कार्यकाल पूरा करेगी।
विक्रमादित्य सिंह ने भी क्रॉस वोटिंग के बाद इस्तीफा दे दिया था, फिर भी उन्हें मंडी से टिकट दे दिया गया।
उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दिया, इस पर मैं कुछ नहीं कहना चाहता लेकिन हकीकत यही है कि मैंने उन्हें कैबिनेट में अहम पद दिया था और सरकार के अहम सदस्य के रूप में उनके पास काम करने का अच्छा अवसर था। मेरी तरफ से कोई दिक्कत नहीं थी। अपनी गलती को स्वीकार कर ही उन्होंने अगले दिन इस्तीफा वापस ले लिया था। अब निवर्तमान सांसद और पीसीसी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने मंडी से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया तो विक्रमादित्य ही उपयुक्त प्रत्याशी बच रहे थे जिनकी भाजपा की प्रत्याशी अभिनेत्री कंगना रनौत को हराकर मंडी सीट जीतने की संभावना बहुत प्रबल थी।
भाजपा कहती है कि वह मोदी फैक्टर के सहारे 2014 और 2019 के बाद इस बार भी चारों सीटें जीतकर हैटट्रिक लगाएगी।
सावन के अंधे को हरा ही दिखता है। सच्चाई यह है कि चारों सीटों पर भाजपा को कांग्रेस अच्छी टक्कर दे रही है। मंडी सीट हमने 2021 के उपचुनाव में जीती थी और उसे बचा लेंगे। इसके अलावा एकाध सीट और हम जीतेंगे।
भाजपा ने मंडी में हिंदुत्व का चेहरा रही अभिनेत्री कंगना को उतारा है। आपको इसकी चिंता नहीं है?
कंगना रनौत बॉलीवुड की कामयाब अभिनेत्री हैं। वे हिमाचल की बेटी हैं, राज्य का गौरव हैं। जयराम ठाकुर किन्हीं कारणों से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे, तो उन्होंने ही कंगना का नाम सुझाया था। जयराम के निर्देशन में कंगना को नई भूमिका निभाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है। राजनीति हर किसी के बस की बात नहीं है। ठीक है, उन्हें आजमाने दीजिए, लेकिन उनका हिंदुत्व वाला चेहरा जमीन पर बहुत काम नहीं आएगा।