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3 फरवरी 2025 · FEB 03 , 2025

झारखंड: वोट के बाद नोट का मोर्चा

चुनाव के बाद अब बकाये पर केंद्र से हेमंत की रार, लाभकारी योजनाओं का बोझ पड़ रहा भारी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

राज्‍य में वोट के मोर्चे पर किला फतह करने के बाद हेमंत सोरेन सरकार का नोट के मोर्चे पर केंद्र के साथ संघर्ष शुरू हो गया है। राज्‍य सरकार ने केंद्र के पास कोयला रॉयल्‍टी और केंद्रीय उपक्रमों के पास बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया भुगतान का दावा कर रखा है। दिसंबर में बिहार के सांसद पप्‍पू यादव के इससे जुड़े सवाल पर केंद्रीय वित्‍त राज्‍यमंत्री पंकज चौधरी ने अपने लिखित जवाब में केंद्र के पास बकाया से इनकार कर सियासी संग्राम की आग में घी डालने का काम किया। चुनावी पराजय से बौखलायी राज्‍य में विपक्षी भाजपा भी केंद्र के सुर में सुर मिलाने लगी। हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने तो यहां से देश में खनिज की आपूर्ति ठप कर देने की धमकी तक दे डाली।

साठ लाख से अधिक महिलाओं को मंइयां सम्‍मान योजना, 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, किसानों का दो लाख रुपये तक कर्ज माफी, 25 लाख लोगों को राज्‍य योजना से तीन कमरे का पक्‍का मकान जैसी योजनाओं ने राज्‍य के खजाने पर करीब तीस-चालीस हजार करोड़ रुपये सालाना का बोझ बढ़ा दिया है। इनमें कुछ फैसले विधानसभा चुनाव के दौरान लिए गये। बकाया का महत्‍व इस बात से समझा जा सकता है कि यह राज्‍य के सालाना बजट से भी काफी बड़ी राशि है। मुख्‍यमंत्री ने कैबिनेट की पहली बैठक में ही केंद्र से बकाया की वसूली के लिए कानूनी लड़ाई की खातिर कमेटी के गठन का फैसला किया।

संसद में केंद्र ने झारखंड के बकाया से इनकार किया तो भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया एक्‍स पर पोस्‍ट कर बकाया का पूरा हिसाब देने की बात उठाई और ठोस प्रमाण पूरे दस्‍तावेजों और तथ्‍यों के साथ मांगे। इस पर हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘हम झारखंडियों की मांग हवा-हवाई नहीं है। हम अपना हक अवश्‍य लेंगे। राज्‍य के विकास के लिए इस बकाया राशि का मिलना बेहद जरूरी है।’’

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी

सोरेन पहले भी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री को कई पत्र लिख चुके हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी चौक-चौराहों पर ‘‘कब दोगे’’ की बड़ी-बड़ी होर्डिंग लगाई गई थी। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले 24 सितंबर को सोरेन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बकाया भुगतान की मांग की थी। पत्र में उन्होंने कहा था कि कानून में प्रावधान और न्‍यायिक घोषणाओं के बावजूद कोयला कंपनियां भुगतान नहीं कर रही हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्‍त मंत्रालय और नीति आयोग सहित विभिन्‍न मंचों पर उन्होंने ये सवाल उठाए हैं मगर भुगतान नहीं किया गया है। उन्‍होंने कोयला कंपनियों के पास मार्च 2022 तक 1 लाख 36 हजार 42 करोड़ रुपये बकाये का दावा किया था। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में हेमंत सोरेन ने बताया था कि कोयला कंपनियों ने झारखंड में 32 हजार एकड़ से अधिक जीएम लैंड और 6600 एकड़ जीएम जेजे लाड का अधिग्रहण किया है मगर भूमि अधिग्रहण मुआवजे के तहत खनिजों का बकाया भुगतान नहीं किया गया है। धुले हुए कोयले की रॉयल्‍टी के रूप में बकाया 2900 करोड़ रुपये है। 2014 के कॉमन कॉज रिट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से कोयला कंपनियों के पास 32 हजार करोड़ रुपये का दावा किया गया है।

2019 में हेमंत सोरेन के झारखंड की कमान संभालते ही कोरोना का संकट आ गया था। उसी समय डीवीसी (दामोदर वैली कारपोरेशन) के राज्‍य पर बिजली बिल बकाया मद की कई सौ करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार ने सीधे राज्‍य के खजाने से काट ली थी। उस दौरान भी हेमंत सोरेन ने केंद्रीय कोयला मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि राज्‍य को पैसे की अभी जरूरत है और जिस कोयले से बिजली कंपनियों का चक्‍का चलता है उन कोयला कंपनियों के पास राज्‍य का अरबों रुपये रायल्‍टी आदि मद में बकाया है, उससे राशि एडजस्‍ट की जानी चाहिए थी। तब के केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि राज्‍य की बकाया राशि का जल्‍द भुगतान किया जाएगा।

राज्‍य के राजस्‍व एवं भूमि सुधार विभाग ने भी पत्र लिखकर कोल इंडिया से स्थिति स्‍पष्‍ट करने को कहा है। झारखंड के पूर्व मुख्‍य सचिव सुखदेव सिंह ने भी कोल बियरिंग एक्‍ट के तहत जमीन अधिग्रहण मुआवजे की जांच में पाया था कि झारखंड को मुआवजा राशि नहीं मिली। कतिपय मामले अदालत में लंबित हैं।

 

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