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19 अगस्त 2024 · AUG 19 , 2024

ब्रिटेनः गरमा रही हैं लंदन की सड़कें

ब्रिटेन में दक्षिणपंथ तथा नस्लवाद के उभार से लेबर सरकार चौकस
नए उभारः चरमपंथी नेता रॉबिनसन के बुलावे पर ट्रैफलगर स्कवायर पर जमा भीड़

लंदन के ट्रैफलगर स्कवायर पर शनिवार 27 जुलाई को 50 हजार से ज्यादा लोग जमा थे। ऐसी भीड़ पिछले कुछ साल में लंदन में नहीं देखी गई। दो समानांतर रैलियां हुईं। एक धुर दक्षिणपंथी और इस्लाम-विरोधी एक्टिविस्ट टॉमी रॉबिनसन ने आयोजित की थी। दूसरी रैली उसके विरोध में लेबर पार्टी के पूर्व नेता जेरेमी कार्बिन के पीस ऐंड जस्टिस प्रोजेक्ट ने की थी। ब्रिटेन में लेबर पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद यह बड़ी राजनीतिक घटना थी, जिसमें शामिल होने के लिए ब्रिटेन के चारों राज्यों इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और नॉर्दन आयरलैंड से लोग जमा हुए थे। इस रैली के बाद टॉमी रॉबिनसन को आतंकवाद निरोधक कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया।

देशभक्ति के नाम पर प्रवासियों के विरोध में रैली करने वाले टॉमी रॉबिनसन का असली नाम स्टीफन क्रिस्टॉफर याश्ली लेनन है। टॉमी रॉबिनसन ब्रिटेन की फासिस्ट पार्टी ब्रिटिश नेशनल पार्टी के सदस्य और यूके इंडिपेंडेंस पार्टी के नेता जेराल्ड बेटन के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं।

उनकी रैली में आए एक बिजनेसमैन ऑल्टर ने कहा कि अगर हमारी पीढ़ी अपने देश को चरमपंथियों से बचाने के लिए एकजुट होकर सड़क पर नहीं उतरेगी, तो अगली पीढ़ी सड़क पर चलने से घबराएगी। उनके नेता टॉमी ब्रिटेन में इस्लामी चरमपंथ और जिहाद के खतरे को गंभीर मुद्दा मानते हैं।

टॉमी रॉबिनसन ब्रिटेन में भले ही विवादास्पद हैं लेकिन वे काफी प्रभावशाली हैं। रॉबिनसन लंबे समय से इस्लामी चरमपंथ के खतरे के खिलाफ मुखर रूप से बोलते रहे हैं। इस मुखरता का खमियाजा भी उनको भुगतना पड़ा है। वे 2005 से 2019 के बीच चार बार धोखाधड़ी और अन्य अपराधों के आरोप में जेल काट चुके हैं। अपनी पहचान और आपराधिक अतीत छुपाने के लिए उन्होंने नाम बदला था। लेकिन 2010 में एक पत्रिका में यह नया नाम भी उजागर हो गया। उसके बाद उन्होंने चार और नाम रखे। 

रॉबिनसन के अनुसार, ब्रिटेन को अपनी संस्कृति और सुरक्षा की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ संघर्ष को केवल सरकार पर नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि नागरिकों को भी इस संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। साथ ही सरकार को सुरक्षा उपायों को और भी सख्त करना होगा।

उनके मुताबिक आतंकवाद विरोधी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना और सुरक्षा बलों की क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है। ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियों को अपने निगरानी तंत्र को और मजबूत करना होगा। चरमपंथी संगठनों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी और समय रहते प्रभावी कदम उठाने होंगे। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी इसके लिए बहुत आवश्यक है ताकि चरमपंथी नेटवर्क तोड़ा जा सके।

ब्रिटेन में इस्लामी चरमपंथी ताकतों के बढ़ते प्रभाव के लिए किसी विशेष नेता को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराना थोड़ा मुश्किल है, हालांकि कुछ नेताओं की नीतियां और कार्य इस समस्या को बढ़ाने या कम करने में भूमिका निभा सकती हैं। यह समस्या कई जटिल कारकों का परिणाम है, जिनमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय नीतियां, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां, और समुदायों के बीच के संबंध शामिल हैं।

दूसरी ओर टॉमी जैसे नेताओं का उभार और लोकप्रियता ब्रिटेन में बढ़ते दक्षिणपंथ और नस्लवाद को दिखाता है, जिसके खिलाफ जेरेमी कॉर्बिन जैसे नेता मुखर हैं। रॉबिनसन की रैली में रिफॉर्म यूके के नेता निगेल फरागे को आना था लेकिन वे नहीं आए। दरअसल, रॉबिनसन ने रैली के बीच में अपने समर्थकों से पूछा कि उन्होंने किसे वोट दिया है। लेबर और टोरी कहने पर किसी ने हाथ नहीं उठाया लेकिन रिफॉर्म कहने पर सबका हाथ एक साथ उठा।

इससे समझ आता है कि रॉबिनसन धुर दक्षिणपंथ से चुने गए पांच सांसदों के सहारे दक्षिणपंथी ताकतों को एकजुट करने की उम्मीद बांधे हुए हैं। इस बार रिफॉर्म यूके के फरागे सहित चार और सांसद धुर दक्षिणपंथी धड़े से चुनकर संसद में आए हैं।

इस खतरे की गंभीरता को जेरेमी कॉर्बिन जैसे नेता और ब्रिटेन के युवा समझ रहे हैं। उनकी रैली में पांच हजार से ज्यादा लोग आए और उन्होंने नफरत और नस्लवाद के खिलाफ नारे लगाए। इस रैली में ट्रेड यूनियन, धार्मिक संगठनों और आंदोलनों से जुड़े लोग शामिल रहे। बेशक, दक्षिणपंथ का उभार नई लेबर सरकार के लिए सरदर्द बन सकता है।

(लेखक पत्रकार औऱ ब्रिटिश संस्था गांधियन पीस सोसायटी के चेयरमैन हैं)

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