परीक्षाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण मार्च के महीने में राजधानी दिल्ली की सड़कों पर छात्र और पुलिस आमने-सामने थे। दो महत्वपूर्ण परीक्षाओं के पेपर लीक हुए तो युवाओं के सब्र का बांध टूटने लगा। केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की 17 से 22 फरवरी के बीच हुई कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) परीक्षा का पेपर लीक हुआ तो सीबीएसई की 10वीं के गणित और 12वीं के अर्थशास्त्र के प्रश्नपत्र भी इम्तिहान से पहले ही वाट्सएप पर घूमते नजर आए। गत 27 फरवरी से 16 मार्च तक दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एसएससी मुख्यालय के सामने छात्रों का हुजूम डटा रहा। इन छात्रों के समर्थन में आगे आए स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनुपम का कहना है कि पेपर लीक होने के अलावा भी परीक्षाओं में कई तरह की धांधलियां हो रही हैं। इसलिए परीक्षार्थी एसएससी की सभी परीक्षाओं की सीबीआइ जांच की मांग कर रहे हैं। शुरुआत में सरकार ने इन प्रदर्शनकारियों को अनदेखा किया, लेकिन पांच मार्च को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सीबीआइ जांच का आश्वासन देना पड़ा। अनुपम बताते हैं कि सरकार ने बड़ी चालाकी से सीबीआइ जांच का भ्रम फैलाया। एसएससी की सिर्फ सीजीएल परीक्षा के लीक हुए पेपर की जांच सीबीआइ से कराने की बात सरकार ने कही है। लेकिन परीक्षार्थी इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनकी मांग है कि यह जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो और 2013 के बाद हुई एसएससी की सभी परीक्षाओं और पूरी प्रणाली की जांच की जाए। इन मांगों को लेकर परीक्षार्थी 18 दिनों तक धरने पर बैठे रहे लेकिन सरकार ने पूरी मांग नहीं मानी। सरकार के इस रुख को देखते हुए प्रदर्शनकारियों ने 31 मार्च को संसद मार्ग पर “हल्ला बोल” मार्च निकालने का फैसला किया। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी कनॉट प्लेस की ओर बढ़ने लगे तो पुलिस ने उन्हें रोका और कई प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की खबरें आईं। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने बल प्रयोग करने के आरोपों से इनकार किया है।
इस प्रदर्शन में शामिल होने आए इलाहाबाद के ब्रजेश कुमार मौर्य बताते हैं कि जब से एसएससी की परीक्षाएं ऑनलाइन होने लगी हैं, पेपर लीक और धांधलियों के मामले बढ़ गए हैं। आरोप है कि कोचिंग और एग्जाम सेंटर से जुड़े लोग परीक्षा प्रणाली में सेंधमारी कर अपने उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाते हैं। जाहिर है, ऐसा मोटी रकम के एवज में होता है। इन गड़बड़ियों का सबसे ज्यादा खामियाजा ईमानदारी से परीक्षा देने वाले छात्रों को उठाना पड़ रहा है। अगर पेपर लीक का भंडाफोड़ हो जाए तब भी परीक्षाएं निरस्त होने की मार भी ऐसी छात्रों पर ही पड़ती है।
हर साल लाखों छात्रों के भविष्य का फैसला करने वाली एसएससी की परीक्षाओं में धांधली का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि इस साल 17 और 22 फरवरी के दौरान हुई कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल परीक्षा की दूसरे चरण की ऑनलाइन परीक्षा के पहले ही प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर लीक होने लगे थे। दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले छात्रों का आरोप है कि पेपर लीक और परीक्षा धांधलियों में एसएससी और ऑनलाइन परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के लोग शामिल हैं। शुरू में एसएससी ने इन आरोपों को खारिज किया। मामला खुलने लगा तो पता चला कि एसएससी ने जिस एजेंसी को परीक्षा कराने का ठेका दिया था, वह भी संदेह के घेरे में है। एसएससी में पेपर लीक का यह पहला मामला नहीं है। 2013 में भी एसएससी सीजीएल में बड़े पैमाने पर नकल का मामला सामने आया था, जिसकी वजह से टियर-2 की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। एसएससी की ऑनलाइन परीक्षा में खामियों के बावजूद सिफी नामक एजेंसी को ही इसका जिम्मा मिलना बड़ा सवाल है।
एसएससी की परीक्षाओं में गड़बड़ियों का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ था कि सीबीएसई की 10वीं और 12वीं के प्रश्नपत्र लीक हो गए। आनन-फानन में सीबीएसई ने गणित और अर्थशास्त्र की परीक्षाएं दोबारा कराने का ऐलान कर दिया। लेकिन मामले के तूल पकड़ने के बाद दोबारा परीक्षाएं कराने को लेकर असमंजस में पड़ गई। कक्षा 12 की अर्थशास्त्र की परीक्षा 25 अप्रैल को दोबारा कराई जाएगी, लेकिन दसवीं की गणित की परीक्षा जरूरी हुआ तो केवल दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में दोबारा कराने की बात कही गई है। इस अनिर्णय की स्थिति ने छात्रों की दुविधा को और बढ़ा दिया। हालांकि बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव अनिल स्वरूप ने कहा कि सीबीएसई की 10वीं की परीक्षा दोबारा नहीं होगी। इस बीच, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर खुद के अभिभावक होने के नाते पेपर लीक पर अफसोस जताते रहे और विपक्ष को सरकार पर हमलावर होने का एक नया मौका मिल गया।
कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर खूब निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इतने संवेदनशील मामले पर सरकार छात्रों की दुविधा दूर करने के बजाय लीपापोती करने में लगी है। कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। उधर, पेपर लीक मामले पर बुरी तरह घिरी सीबीएसई के परीक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी केएस राणा को निलंबित कर दिया गया है। दिल्ली पुलिस ने प्राइवेट स्कूल के दो टीचरों और एक कोचिंग सेंटर के संचालक को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, इन टीचरों ने सुबह सवा नौ बजे पेपर की तस्वीर ली और कोचिंग सेंटर के मालिक को भेज दिया। कोचिंग सेंटर मालिक ने इस पेपर को छात्रों को पास कर दिया। इतने खुलासों के बावजूद पेपर लीक का खुलासा करने वाले व्यक्ति की तलाश खबर लिखे जाने तक जारी थी। इस व्यक्ति ने ही 23 मार्च को सीबीएसई को फैक्स भेजकर वाट्सएप ग्रुपों पर पेपर लीक होने और इसमें एक कोचिंग सेंटर की मिलीभगत की जानकारी सीबीएसई को दी थी।
सीबीएसई पेपर लीक में शक की सुई बिहार के पटना और झारखंड के चतरा जिले की तरफ भी घूम रही है। चतरा पुलिस ने इस मामले में कथित तौर पर एबीवीपी से जुड़े दो लोगों सतीश पांडेय और पंकज सिंह समेत कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से दो लोग पटना से गिरफ्तार किए गए। पुलिस का कहना है कि 10वीं का गणित का पेपर चतरा में 27 मार्च को ही लीक हो गया था। पेपर लीक में एबीवीपी से जुड़े लोगों का नाम आने के बाद कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने भाजपा पर खूब तीखे वार किए। कोचिंग संचालक सतीश पांडेय पर आरोप है कि उन्होंने नवोदय विद्यालय के छात्रों को गणित का पेपर परीक्षा से पहले ही उपलब्ध करा दिया था।
ताज्जुब की बात है कि पेपर लीक होने की जानकारी समय रहते मिलने के बाद भी सीबीएसई ने 28 मार्च को 10वीं की गणित और 26 मार्च को 12वीं की अर्थशास्त्र की परीक्षा को तुरंत कैंसिल नहीं किया। बाद में जब ये परीक्षाएं दोबारा कराने की घोषणा हुई तो सीबीएसई ने तकनीकी गड़बड़ी का हवाला दिया जबकि मामला पेपर लीक का था। इस मामले ने सीबीएसई की साख पर बट्टा लगाया ही, करीब 28 लाख छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ भी किया है। सरकार के हाथ से निकलकर यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। गणित और अर्थशास्त्र की परीक्षाएं दोबारा कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी एचआरडी मिनिस्ट्री, सीबीएसई और दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजकर चार हफ्तों के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है।
दरअसल, मामला एसएससी या सीबीएसई के पेपर लीक से बढ़कर शिक्षा व्यवस्था में पनपे भ्रष्टाचार का है। एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक जे.एस. राजपूत बताते हैं कि यह अकेले सीबीएसई या एसएससी की समस्या नहीं है, यह पूरी व्यवस्था की समस्या है। जब से शिक्षा का व्यवसायीकरण हुआ है, तब से इसमें ऐसे तत्व आ गए हैं, जिनकी बच्चों में, शिक्षा की गुणवत्ता में और देश के भविष्य में कोई रुचि नहीं है। वे केवल पैसा बनाने में रुचि ले रहे हैं।