केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना को साकार करने में जुटे हुए हैं। छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने वाले प्रधान की भारतीय जनता पार्टी के संगठन में मजबूत पकड़ है। इसलिए उन्हें मंत्रालय के साथ-साथ उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महत्वपूर्ण जिम्मेवारी भी मिली है। आज देश में उज्ज्वला योजना से लेकर गैस पाइप लाइन और एलपीजी सब्सिडी को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर धर्मेंद्र प्रधान से आउटलुक के विशेष संवाददाता कुमार पंकज ने विस्तार से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना का क्रियान्वयन आपके मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। अभी इसकी क्या स्थिति है?
प्रधानमंत्री जी का यह बिल्कुल ही नया विजन है और सामाजिक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम भी। आजादी के बाद पहली बार किसी सरकार ने देश के लोगों, खासकर महिलाओं, के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए इतना बड़ा कदम उठाया है। सरकार का लक्ष्य है कि हर गरीब परिवार को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिया जाए ताकि हर घर को इसका लाभ मिल सके।
योजना कब तक पूरी करनी है?
सरकार का लक्ष्य है कि अगले तीन साल में इस योजना का लाभ हर गरीब परिवार को मिले। इसके लिए राज्यों के सहयोग से योजना का क्रियान्वयन तेजी से किया जा रहा है।
लेकिन देखने में आया है कि अभी कई जगहों पर इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है?
योजना के लाभ के लिए हम राज्यों से लगातार संपर्क में हैं और राज्यों द्वारा बनाई जा रही सूची के आधार पर योजना का लोगों को लाभ दिया जा रहा है। यह संभव है कि कुछ लोगों तक अभी योजना की पहुंच नहीं हो पाई हो लेकिन आने वाले समय में योजना के लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित कर लाभ दिया जाएगा।
सरकार एलपीजी पर सब्सिडी देने के साथ-साथ लोगों से छोड़ने की अपील कर रही है। इसकी क्या वजह है?
मैं भी अपील कर रहा हूं कि जो संपन्न लोग हैं वह सब्सिडी छोड़ें ताकि उसका लाभ उन गरीब परिवारों को दिया जा सके जिनके पास एलपीजी की सुविधा नहीं है। आज बहुत से संपन्न लोग हैं जो कि सब्सिडी ले रहे हैं। उनसे मैं अपील करता हूं कि सब्सिडी छोड़ें।
लेकिन अभी एक बड़ी समस्या एलपीजी के वितरण को लेकर है। अब भी कई इलाके हैं जहां एलपीजी वितरण ठीक से नहीं हो पा रहा है। लोगों को एलपीजी लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है?
इस समस्या का भी निदान जल्द ही कर लिया जाएगा। कई बार बरसात के समय में रास्ते टूट जाते हैं समय से गाड़ियां नहीं पहुंच पाती हैं। इसलिए एलपीजी के वितरण में देरी होती है। हमारा प्रयास है कि हर सेंटर पर दो से तीन महीने का स्टॉक हो ताकि आपात स्थिति में किसी प्रकार के संकट का सामना न करना पड़े। इसके साथ ही हम बॉटलिंग प्लांट की कैपसिटी भी बढ़ा रहे हैं ताकि ज्यादा सिलेंडर भरे जा सकें।
क्या नए एलपीजी वितरण केंद्र खोलने की भी योजना है?
बिलकुल है और सरकार का प्रयास है कि ग्रामीण इलाकों में वितरण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए। इसके लिए सरकार ने महिलाओं को एलपीजी के वितरण में 33 फीसदी आरक्षण देने का भी प्रावधान किया है। यानी जो नए वितरण केंद्र खुलेंगे उसमें 33 फीसदी केंद्र महिलाओं के लिए होंगे।
अभी कितने वितरण केंद्र खोले जाने की योजना है?
अगले तीन साल में सरकार आठ हजार वितरण केंद्र खोलने की योजना बना रही है। इसमें सर्वाधिक एक हजार उत्तर प्रदेश में खोले जाएंगे।
उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों में एलपीजी वितरण को लेकर काफी दिक्कतें आती हैं सरकार इसके लिए क्या उपाय कर रही है?
दो-तीन साल में वहां की समस्या भी खत्म हो जाएगी। कई बार सियासी कारणों से भी एलपीजी की दिक्कत होती है तो कई बार प्राकृतिक कारणों से। सरकार इसका समाधान खोज रही है कि उत्तर-पूर्व के राज्यों के ऐसे संगठन हैं वह जब प्रदर्शन करते हैं या बंद का आह्वान करते हैं तो एलपीजी वितरण की दिक्कत आती है। इसके लिए उपाय ढूंढ़े जा रहे हैं। इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में एलपीजी वितरण की दिक्कत को जल्द ही खत्म कर लिया जाएगा।
एलपीजी सस्ती हो और लोगों को आसानी से उपलब्ध हो यह कैसे संभव है?
इस सरकार के आने के बाद एलपीजी के दामों में लगातार कमी आई है। विश्व भर गैस किस स्थिति में है। देश में गैस का कारोबार कैसे आगे बढ़ाया जाए इस दिशा में लगातार काम हो रहा है। इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में एलपीजी और सस्ती होगी और आसानी से लोगों के लिए उपलब्ध होगी।
सार्वजनिक उपफ्म की कंपनी ओएनजीसी और रिलायंस गैस को लेकर विवाद है। इसमें सरकार का क्या रुख होगा?
सरकार ने इसकी जांच के लिए जो समिति बनाई थी उसकी रिपोर्ट आ गई है और उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
आपके पास महत्वपूर्ण मंत्रालय के साथ-साथ उत्तराखंड जैसे राज्य की भी जिम्मेदारी है जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। इस जिम्मेदारी को आप किस रूप में देखते हैं?
जो भी जिम्मेदारी मिली है उसको ठीक तरह निभाना ही हमारी प्राथमिकता है।