Advertisement

कलह से बिखरता कुनबा

पारिवारिक भितरघात ने चुनाव से पहले इनेलो को बनाया कमजोर
बगावतः जींद में आयोजित रैली के दौरान अपने समर्थकों के बीच अजय चौटाला

हरियाणा के इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कुनबे का अस्तित्व संकट में पड़ गया है। पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के वंशजों के भितरघात ने इनेलो को 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले ही कमजोर कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला के पोते और सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय और पिता अजय सिंह चौटाला को इनेलो से निकाल दिया गया है। पार्टी से निष्कासित यह कुनबा अब नौ दिसंबर को जींद की रैली में अलग पार्टी की घोषणा करने जा रहा है। उनके साथ कई पुराने दिग्गज नेता भी नई पार्टी में शामिल होने की विधिवत घोषणा करेंगे। 17 नवंबर को जींद में अजय चौटाला की बैठक में शामिल हुए तीन विधायकों के बाद कई विधायक अजय और दुष्यंत के समर्थन में पार्टी की बैठकों से गायब होते जा रहे हैं।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सतबीर कादियान, राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी बांगड़ समेत पांच विधायकों ने इनेलो से किनारा कर लिया है। अजय चौटाला का कहना है कि 2013 में उनके और उनके पिता के जेल जाने पर छोटे भाई अभय को जो इनेलो सौंपी गई थी, उस पर उन्होंने कब्जा कर लिया है। इसलिए उन्होंने इनेलो और उसकी ऐनक (चुनाव चिह्न) छोटे भाई बिल्लू (अभय चौटाला) को उपहार के तौर पर दे दी है। वहीं, अभय चौटाला का कहना है कि उनके लिए यह बहुत पीड़ादायक था कि बेटों के मोह में उनके जीते जी उनके बड़े भाई (अजय चौटाला) ने उनकी सत्रहवीं (मरणोपरांत संस्कार) कर दी है। आउटलुक से बातचीत में अभय सिंह चौटाला ने कहा कि परिवार में कलह की पहल भतीजे दुष्यंत और दिग्विजय के साथ भाभी नैना चौटाला ने की थी। इसे बड़े भाई अजय ने आगे बढ़ाया है। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने कहा है कि इन लोगों ने पार्टी तोड़ने की साजिश पहले ही रच ली थी। इसलिए दोनों भतीजों ने भाजपा प्रदेश प्रभारी अनिल जैन और कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा से मुलाकात की।

देवीलाल ने जिस पार्टी की कमान अपने सबसे बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला को सौंपी थी, उस विरासत को वे नहीं बचा पाए।

जनवरी 2013 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेबीटी टीचर्स भर्ती घोटाले में चौटाला बड़े बेटे अजय के साथ जेल क्या गए इनेलो की उलटी गिनती शुरू हो गई। इनकी गैरमौजूदगी में छोटे बेटे अभय चौटाला ने पिछले पांच साल तक पार्टी की कमान संभाली। आज वह पार्टी पारिवारिक कलह के कारण बिखर गई।

इन नए सियासी समीकरणों का भाजपा और कांग्रेस अपने हित में अलग मायने निकाल रही हैं। दुष्यंत चौटाला केंद्रीय मंत्री और गुरुग्राम से भाजपा सांसद राव इंद्रजीत समेत कई बागी भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी में बिखराव के पीछे कहीं-न-कहीं भाजपा और कांग्रेस की रणनीति काम कर रही है। 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए इनेलो ने बसपा से गठबंधन किया है, तो अजय की पार्टी अपना भविष्य भाजपा में तलाश सकती है। हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बगैर किसी गठजोड़ के चुनाव की बात दोहराते हैं। इनेलो के बिखराव को कांग्रेस के लिए फायदेमंद मानते हुए रोहतक के कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इनेलो चौटाला परिवार की कलह की भेंट चढ़ चुकी है। इनेलो के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता कांग्रेसी नेताओं से संपर्क साध रहे हैं।

अभय चौटाला की तुलना में अजय चौटाला की पार्टी की पूरे प्रदेश में कहीं अधिक पैठ है। दुष्यंत और उनके छोटे भाई दिग्विजय के पार्टी से निष्कासन के बाद उनकी विधायक मां नैना चौटाला भी प्रदेश भर में इनेलो कार्यकर्ताओं के बीच जाकर बैठकें कर रही हैं। इधर, अभय चौटाला ने पार्टी विधायकों से लेकर बसपा के नेताओं से बैठकों के दौर बढ़ा दिए हैं। उन्होंने अपने दोनों बेटों कर्ण और अर्जुन को भी सियासी पिच पर उतार दिया है।

अभय इस कोशिश में हैं कि इनेलो में चल रही उठापटक के बावजूद हाथी हरियाणा में इनेलो के ही संग रहे, क्योंकि यदि पार्टी दो फाड़ होती है तो बसपा के लिए भी संकट खड़ा हो जाएगा कि वह मौजूदा हालात में किसके साथ रहे।

Advertisement
Advertisement
Advertisement