पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों को कर्ज मुक्त करने का वादा किया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद कर्जमाफी का ऐलान भी किया गया। लेकिन, बीते साल छह जनवरी को अमल में लाई गई कर्जमाफी के दायरे में पांच एकड़ तक की जमीन वाले उन किसानों को ही रखा गया है जिन्होंने दो लाख रुपये तक का कर्ज ले रखा है। इसके तहत 10.25 लाख किसानों का सहकारी और सरकारी बैंकों का करीब 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ हो सकता है। अब तक 4.14 लाख किसानों के 3,414 करोड़ रुपये के कर्ज माफ हुए हैं। वैसे, प्रदेश के करीब 22 लाख किसानों पर निजी, ग्रामीण, सहकारी और सरकारी बैंकों के अलावा साहूकारों का तकरीबन 95,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का कहना है कि जल्द तीन लाख और किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे। लेकिन, इस आंशिक कर्जमाफी से किसानों में भारी रोष है। विपक्षी दल भी इसे छलावा बता रहे हैं। तीन जनवरी को पंजाब के गुरदासपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी को धोखा बताया। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल का कहना है कि एक भी किसान का कर्ज माफ नहीं हुआ है। भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है कि दो लाख रुपये तक की कर्जमाफी स्कीम भी सही तरीके से लागू नहीं की जा रही। छोटे किसानों के बजाय नौकरीपेशा लोग इसका लाभ ले रहे हैं।
इधर, बैंक नए कर्ज बांटने में कंजूसी करने लगे हैं। पंजाब राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के मुताबिक सिंतबर 2017 तक कृषि क्षेत्र का कुल 77,141 करोड़ रुपये था जो सितंबर 2018 में घटकर 72,063 करोड़ रुपये हो गया। कर्जमाफी के बाद से पंजाब में बैंकों का कृषि क्षेत्र में एनपीए 8,319 करोड़ रुपये बढ़ा है। बैंकों ने 1.72 लाख किसानों को डिफाल्टर घोषित किया है।
हरियाणाः मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर भी किसानों का कर्ज माफ करने का दबाव बढ़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर छह घंटे के भीतर कर्जमाफी की बात कही है। इंडियन नेशनल लोकदल और अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) भी इसे जोर-शोर से उठा रही है।