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अनछुए ठिकानों पर मौज मेला

देश के कोने-कोने में ऐसे पर्यटनस्थल उपलब्ध हैं जो न सिर्फ देखने में खूबसूरत हैं बल्कि दुनिया के कई पयर्टन स्थलों से भी बेहतर हैं, बस जरूरत है तो उस जगह को तलाश करने की
टिहरी झील में नौकायन

जीवन की आपाधापी के बीच कुछ पल सुकून की तलाश हर कोई करना चाहता है। इस तलाश में कोई अध्यात्म खोजता है तो कोई रहस्य और रोमांच तो कोई प्रकृति के नजदीक जाना चाहता है। प्रकृति का अपना रोमांच है और रोमांच की प्रकृति भी अलग-अलग होती है। चिड़ियों के कलरव का अपना रोमांच है तो पहाड़ों में पैराग्लाइडिंग प्रकृति के इतना नजदीक ले आती है कि लगता है कि आपकी मुट्ठी में आसमां है। हिमालय की वादियां जहां पर्यटकों को लुभाती हैं वहीं इन वादियों के बीच बसे पर्यटन स्थल भी लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। हिमाचल प्रदेश से लेकर उत्तराखंड के बीच कई ऐसे स्थल हैं जो पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं। आज इन स्थलों पर ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं कि स्विट्जरलैंड जाने की बजाय देश में ही पर्यटक घूमना पसंद करता है। पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत में पर्यटन स्थलों की धूम है। समुद्र, पहाड़, जंगल से लेकर देश में ऐसे कई दुर्गम लेकिन मनोरम इलाके हैं जहां हर कोई जाना चाहता है और दो पल सुकून के, दो पल रोमांच के महसूस करना चाहता है। पर्यटन का अपना सांस्कृतिक महत्व भी कई है। कई बार पर्यटक किसी देश, राज्य या क्षेत्र की संस्कृति को जानना चाहते हैं इसलिए वह उन इलाकों का रुख करते हैं जहां पर उनकी रुचि है। वहीं कुछ समुद्र के किनारे तो कुछ पहाड़ की वादियों की ओर रुख करते हैं। कुछ हिमालय की गोद में जाना चाहते हैं तो कुछ जंगलों के बीच। पर्यटकों की अलग-अलग रुचियों के बीच पर्यटन विभाग लोगों को आकर्षित करने के लिए तमाम तरह की योजनाओं का संचालन करता है ताकि उनके राज्य को पर्यटन का लाभ मिल सके। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, केरल, झारखंड, हिमाचल प्रदेश से लेकर देश के हर राज्य की अपनी पर्यटन नीति है। जहां की सरकारें पर्यटन को लेकर उत्साहित रहती हैं। कई राज्यों में तो पर्यटन से राजस्व में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं दुनिया के कई देश तो केवल पर्यटन के ही बल पर जिंदा है। यानी पर्यटक न आएं तो उन देशों में आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा। पर्यटन का अपना आनंद है तो अपनी परेशानियां भी हैं। इसलिए पर्यटक कहीं भी जाने से पहले दस बार सोचता है कि वह जिस स्थल पर जा रहा है वहां किस तरह का माहौल है। आने-जाने में किसी प्रकार की कठिनाई न हो या फिर वहां का वातावरण ऐसा खराब न हो कि पर्यटक जाने के बाद अपने को ठगा महसूस करे। इसलिए आज कोई भी देश हो या कोई भी राज्य सभी अपने पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने में जुटे हैं। कई राज्य अनजान और खूबसूरत पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने में जुटे हैं ताकि पर्यटक इन नए स्थलों का भी लुत्फ उठा सकें। हम उन पर्यटन स्थलों की बात करते हैं जहां के बारे में लोगों ने कम सुना है लेकिन एक बार जाने के बाद यहां लोग बार-बार जाना चाहेंगे। अनजान पर्यटन स्थलों की खूबी यह है कि इन स्थलों के विकास के लिए राज्य सरकारें तमाम तरह की योजनाएं संचालित कर रही हैं जो रोजगार की दृष्टि से बेहतर कही जा सकती हैं।

उत्तराखंड में पर्यटन का रोमांच

देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड में पर्यटन का अपना रोमांच है और इस रोमांच को हर कोई महसूस करना चाहता है। यहां न केवल अध्यात्म बल्कि साहसिक पर्यटन को लेकर भी पर्यटकों का पूरे साल आना-जाना लगा रहता है। उत्तराखंड की वादियां तो पर्यटकों को लुभाती ही हैं, साथ ही राज्य सरकार की योजनाएं भी पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। केदारनाथ की त्रासदी के बाद ऐसा लगा कि राज्य का पर्यटन पटरी से उतर गया है लेकिन सरकार की तत्परता से इस संकट से निपटने में समय नहीं लगा और आज राज्य को पर्यटन से बड़े राजस्व की प्राप्ति हो रही है। उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना को बढ़ावा देने में जुटा है। वहीं कई नए पर्यटन स्थलों को भी विकसित किया जा रहा है ताकि पर्यटक इन जगहों पर आ सकें। कई बार देखने में आया है कि बड़े पर्यटन स्थलों पर भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि लोगों को असुविधा होने लगती है। ऐसे में राज्य सरकार ने उन स्थलों का चयन किया जहां पर्यटकों को ज्यादा सुकून और रोमांच मिल सके।

उत्तराखंड में मसूरी, नैनीताल, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, जिम कार्बेट, रानीखेत आदि का नाम तो लोगों की जुबान पर है लेकिन कई ऐसे स्थल हैं जो खूबसूरती और रोमांच के लिहाज से अपनी अलग जगह बना रहे हैं। इसी दृष्टि से टिहरी झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जा रहा है जहां पर्यटक न केवल नौकायान, पैराग्लाइडिंग का लुत्फ उठा सकें बल्कि अन्य साहसिक पर्यटन का भी आनंद ले सकें। टिहरी में राजीव गांधी राष्ट्रीय एडवेंचर अकादमी शुरू हो रही है जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही हर साल यहां झील महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है ताकि देश-विदेश में इसका प्रचार-प्रसार हो सके। 15-16 अक्टूबर को टिहरी झील महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आए और रोमांचकारी क्षणों का आनंद लिया। पैराग्लाइडिंग से लेकर जेट स्कीइंग, कैनोइंग, कायकिंग आदि प्रतियोगिताओं का भी आयोजन इस महोत्सव के दौरान हुआ। जिसमें दिल्ली, गोवा, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड की टीमों ने हिस्सा लिया। इस नए पर्यटन स्थल के विकसित होने से माना जा रहा है कि इसके आसपास के करीब बीस हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी तरह से राज्य में कई और पर्यटन स्थलों का विकास किया जा रहा है। राज्य सरकार पर्यटन को लेकर लगातार योजनाओं का विस्तार कर रही है। ‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ योजना के तहत 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के बुजुर्गों को नि:शुल्क बद्रीनाथ, गंगोत्री, रीठा साहिब, नानकमत्ता एवं निजामुद्दीन औलिया की यात्रा करा रही है। इसके साथ ही साल भर चारधाम यात्रा संचालित किये जाने के लिए शीतकालीन चारधाम यात्रा नीचे के गद्दी स्थलों के लिए प्रारंभ की गई है। प्रदेश में दो वर्षों से जागेश्वर धाम में अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। वहीं सहस्त्रधारा हेलीपैड से हिमालय दर्शन योजना तथा हल्द्वानी से झील दर्शन योजना भी प्रारंभ की गई है। हेलीकाप्टर से हल्द्वानी, मुन्सयारी के लिए हवाई सेवा प्रारंभ की गई है और केदारनाथ में भी हेलीकाप्टर के माध्यम से केदारनाथ दर्शन योजना प्रारंभ की गई है। जो यात्री पैदल यात्रा नहीं कर सकते उनको सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से गोविन्द घाट से हेमकुंड साहिब रोप-वे चालू करने के लिए निजी निवेशक का चयन किया गया है।

एशियन डेवलमेंट बैंक के सहयोग से पहली बार उत्तराखंड में पर्यटन स्थलों का चयन कर विकास का काम शुरू किया गया है। आज पर्यटकों को उत्तराखंड इसलिए भी लुभा रहा है कि देश की राजधानी से चंद घंटे की दूरी पर राज्य के कई इलाकों में आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसलिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल उत्तराखंड आते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पर्यटन को बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं। आउटलुक से बातचीत में रावत कहते हैं कि छोटा राज्य होने के कारण रोजगार के अवसर कम हैं। इसलिए पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि दिन-प्रतिदिन पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं राज्य के पर्यटन मंत्री दिनेश धनै पर्यटनको लेकर खासे उत्साहित हैं। आउटलुक से बातचीत में धनै कहते हैं कि राज्य के पर्यटन स्थलों को विश्वस्तरीय बनाना है (पढ़ें साक्षात्कार)। केंद्र सरकार भी राज्य में पर्यटन के बढ़ते अवसर को सहयोग देने में पीछे नहीं हट रही है। भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से साल 2015-16 से ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद’ योजना शुरू की गई। इसके अंतर्गत प्रदेश में पर्यटन स्थलों पर सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड के सीईओ शैलेश बागौली राज्य में पर्यटकों की बढ़ती संख्या और पर्यटन के नए केंद्र विकसित किए जाने को लेकर काफी आशान्वित हैं। बागौली के मुताबिक पर्यटन विकास बोर्ड आने वाले पर्यटकों की सुविधाओं पर विशेष जोर दे रहा है ताकि उत्तराखंड का पर्यटन स्थल देश के अन्य स्थलों से बेहतर बन सके। 

राज्य सरकार की पर्यटन के प्रति गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिथौरागढ़ किले के जीर्णोद्धार, नौकुचियाताल झील के सुधारीकरण, हरिद्वार में तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों के लिए पैदल मार्ग के निर्माण, रुद्रप्रयाग में कार्तिकेय स्वामी सर्किट में पर्यटन संरचना का विकास के साथ-साथ राज्य के अन्य जिलों में स्थित पर्यटन केंद्रों के विकास के लिए भी करोड़ों रुपये की राशि स्वीकृत हो गई है। इसमें कई जगहों पर कार्य शुरू कर दिया गया तो कुछ जगहों पर कार्य समाप्त भी हो गया है। राज्य सरकार की पर्यटन नीति का ही परिणाम है कि दिन-प्रतिदिन यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है और उसमें भी सबसे रोचक तथ्य यह है कि पूरे वर्ष यहां पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। 

 

‘उत्तराखंड की पहचान विश्व पटल पर हो’

देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री दिनेश धनै आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। टिहरी विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक धनै इलाके के विकास के साथ-साथ उतराखंड की पहचान विश्व पटल पर करना चाहते हैं। उन्होंने पर्यटन मंत्री बनने के बाद राज्य में पर्यटकों की संख्या को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए नए पर्यटन स्थलों के विकास के साथ-साथ सुविधाओं पर विशेष जोर दिया है। आज टिहरी झील को जिस तरह से विश्व स्तरीय पर्यटन के लिए तैयार किया जा रहा है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में पर्यटक विश्व के अन्य पर्यटनस्थलों पर जाने की बजाय इस नए स्थान की ओर रुख करेंगे। नई टिहरी में झील महोत्सव के आयोजन के दौरान दिनेश धनै से आउटलुक के विशेष संवाददाता कुमार पंकज ने विस्तार से बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश-

 

देवभूमि के नाम से मशहूर उत्तराखंड में पर्यटक गर्मियों के दिनों में आना ज्यादा पसंद करते हैं। सर्दियों में पर्यटक आएं इसके लिए सरकार क्या कर रही है?

अब तो उत्तराखंड में पूरे वर्ष पर्यटकों के लिए द्वार खुल गए हैं। अब केवल एक सीजन में नहीं बल्कि पूरे सीजन आप यहां की सुंदर वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। इसके लिए नए पर्यटन स्थलों का विकास किया जा रहा है। जो पुराने पर्यटन स्थल हैं वहां पर भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।

उत्तराखंड में पर्यटन के जरिए लोगों को बड़ा रोजगार मिला हुआ है। सरकार की ऐसी क्या योजना है जिससे इसको और बढ़ावा दिया जाए?

यह बात सही है कि पर्यटन के जरिए रोजगार बढ़ रहा है। इसी वजह से सरकार ने बजट में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अलग से प्रावधान भी किया है, ताकि पर्यटकों को लुभाने के लिए योजनाओं का विस्तार किया जा सके। ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले इसके लिए ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना शुरू की गई है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

ग्रामीण पर्यटन उत्थान योजना का मकसद गांवों को पर्यटन के हिसाब से विकसित करना है। क्योंकि बड़ी संख्या में पर्यटक शांति और सुकून की तलाश में गांव की ओर रुख कर रहे हैं। इसलिए ऐसे गांवों की पहचान कर उसे इस योजना के साथ जोड़ा जा रहा है। अभी पहले चरण में 38 गांवों को विकसित किया जा रहा है। इनमें से कई गांव पूरी तरह से विकसित हो गए हैं। सरकार की मंशा है कि पर्यटक गांव-गांव पहुंचें। इसके लिए निचले स्तर तक आवश्यक सुविधाएं जुटाई जाएं। जब पर्यटक बढ़ेंगे तो रोजगार भी बढ़ेगा। इसके लिए युवाओं को आसान किश्तों पर लोन और अनुदान भी दिया जा रहा है।

उत्तराखंड सरकार साहसिक पर्यटन के साथ-साथ योग पर जोर दे रही है, आखिर इसके पीछे मुख्य वजह क्या है?

योग हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। भविष्य में योग को लेकर अपार संभावनाएं हैं और उत्तराखंड तो योग का प्रमुख केंद्र भी है। आज पूरे विश्व में योग का प्रचार-प्रसार हो रहा है। इसलिए उत्तराखंड सरकार भी अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन कर पूरे विश्व के लोगों को यहां आमंत्रित करती है ताकि लोगों के बीच ज्यादा से ज्यादा प्रचार हो सके।

टिहरी से आप विधायक हैं और यहां की झील के विकास के लिए आपने बड़ा काम किया है जिससे कि स्थानीय लोगों को रोजगार मिले और इसकी पहचान विश्व पटल पर हो। इस बारे में आप क्या कहेंगे?

टिहरी झील को पर्यटकों के लिए एक बड़ा केंद्र बनाया जा रहा है। क्योंकि झील की जो भौगोलिक बनावट है उससे यहां साहसिक पर्यटन के साथ-साथ पर्यटकों के लिए एक सुकून भरा केंद्र भी है। इसलिए इसको इस तरह से विकसित किया जा रहा है कि यहां भारत ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी आएं और दूसरी बात कि हमारे पर्यटक दुनिया के और देशों में जाकर पर्यटन का जो आनंद लेते हैं वह आनंद टिहरी में मिले। इसके विकास के लिए काम तेजी से चल रहा है और यहां का प्रमुख आकर्षण झील महोत्सव है जिसको देखने के लिए देश-विदेश से लोग बड़ी संख्या में आते हैं।

चारधाम यात्रा उत्तराखंड की विशेष पहचान है। लेकिन एक खास समय पर होने के कारण बड़ी संख्या में पर्यटक नहीं पहुंच पाते हैं। इसके लिए सरकार क्या कर रही है?

चार धाम का अपना महत्व है और मौसम के कारण कुछ खास समय तक ही यहां यात्रा की इजाजत होती है। लेकिन अब सरकार पर्यटकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए इसे पूरे साल जारी रखेगी। बस अंतर इतना होगा कि जगह बदल जाएगी। यानी सर्दियों में स्थान बदल जाएगा और सभी देवता नीचे आ जाएंगे ताकि उस समय भी कोई दर्शन करना चाहे तो कर सके।

उत्तराखंड कुमायूं और गढ़वाल में बंटा हुआ है और दोनों जगहों के पर्यटन का अपना महत्व है। दोनों जगहों पर पर्यटकों का हुजूम बढ़े इसके लिए सरकार की क्या योजनाएं हैं?

पर्यटकों की भीड़ बढ़े यह सरकार का प्रमुख ध्येय है। इसके लिए सरकार कुमाऊं और गढ़वाल दोनों ही मंडलों में पर्यटन बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है और एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से विकास का काम भी कर रही है।

यहां इको टूरिज्म के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उत्तराखंड सरकार इस दिशा में क्या काम कर रही है?

राज्य सरकार के पास तो प्रस्ताव तैयार है लेकिन बड़ी दिक्कत भारतीय वन अधिनियम के कानून को लेकर है। ऐसे में सरकार उन जगहों का चयन कर रही है जहां कानूनी दिक्कत न हो। क्योंकि राज्य में कई दूर-दराज के इलाके ऐसे हैं जहां खूबसूरत लैंड है और इसे विकसित करने की योजना पर काम चल रहा है।

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