उत्तराखंड का नाम लेते ही जेहन में हिमालय पर्वतमाला की ऊंची हिम आच्छादित चोटियों, कई प्राकृतिक झीलों, घने जंगलों, खूबसूरत घाटियों, प्रसिद्ध मंदिरों और ऐसी ही न जाने कितनी तस्वीरें हमारे जेहन में घूमने लगती हैं। इसके साथ ही कुछ खास नाम जैसे कि मसूरी, नैनीताल, अल्मोड़ा, हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, रानीखेत, कौसानी, औली, गंगोत्री, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, राजाजी नेशनल पार्क आदि भी अचानक सामने आ जाते हैं क्योंकि ये सभी देश ही नहीं पूरी दुनिया के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जो कि उत्तराखंड की शान भी कहे जाते हैं। मगर उत्तराखंड बस इतने नामों तक ही सीमित नहीं है। हकीकत यह है कि राज्य में इतने अधिक अनछुए खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं कि उनमें से कई तक तो आम पर्यटक पहुंच भी नहीं पाते। उत्तराखंड की वर्तमान सरकार ऐसे ही कई अनछुए पर्यटक स्थलों तक अब लोगों को लाने के प्रयास में जुटी है और इसके लिए इन जगहों पर मूलभूत सुविधाएं जुटाने के साथ-साथ पर्यटकों को लुभाने के लिए अतिरिक्त उपाय भी किए जा रहे हैं।
चिलियानौला
रानीखेत उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है जहां से हिमालय की हिम आच्छादित चोटियां अपनी पूरी खूबसूरती में दिखती हैं। रानीखेत का गोल्फ कोर्स तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसी रानीखेत से महज छह किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा सा शांत कस्बा है चिलियानौला। अभी तक इसे रानीखेत के एक उप पर्यटन स्थल के रूप में माना जाता था यानी जो पर्यटक रानीखेत आते थे वो चिलियानौला तक भी घूमने जा सकते थे। अब सरकार ने इस जगह को स्वयं में एक परिपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है। चिलियानौला का हेड़ाखान मंदिर सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि आस-पास के राज्यों में भी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की प्रसिद्धि इतनी है कि मशहूर फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा तकरीबन हर वर्ष नवरात्र में यहां दर्शन के लिए आती हैं।
इस मंदिर तथा यहां मौजूद बाबाजी आश्रम को समेटते हुए यहां पर्यटकों को आकर्षित करने की तैयारी सरकार ने की है और इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया गया है। चिलियानौला की स्थिति ऐसी है कि यहां से नंदा देवी पर्वत सबसे स्पष्ट रूप में दिखाई देता है जो कि पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। ऐसे पर्यटक जो महानगरों की भीड़-भाड़ से दूर पहाड़ पर शांति के लिए आते हैं उन्हें प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर वह शांति नहीं मिल पाती क्योंकि वहां भी भीड़ का आलम शहरों जैसा ही हो गया है। ऐसे में चिलियानौला जैसी जगहों पर लोगों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति हासिल होती है।
चिलियानौला में पर्यटकों के लिए ठहरने की भी कोई समस्या अब नहीं रह गई है। कुमाऊं मंडल विकास निगम यानी केएमवीएन के गेस्ट हाउस के अलावा कई निजी होटल यहां खुल गए हैं जिनमें उचित कीमत पर डीलक्स सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस जगह के भ्रमण के लिए यूं तो पूरे साल जा सकते हैं लेकिन गर्मियों में अप्रैल से मध्य जून और जाड़ों में बेहतरीन समय सितंबर से नवंबर तक का है। अक्टूबर एवं नवंबर में आसमान साफ रहता है जिसके कारण हिमालय की चोटियां आपको बिलकुल साफ दिखती हैं। हालांकि इसके बाद मौसम में ठंड बढ़ जाती है जिसके कारण आम पर्यटकों को परेशानी हो सकती है। हालांकि रोमांच के प्रेमियों के लिए तो कोई भी समय बुरा नहीं होता।
कैसे पहुंचें: काठगोदाम स्टेशन तक ट्रेन से और वहां से रानीखेत और फिर चिलियानौला तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।
कहां ठहरें: केएमवीएन के हिमाद्री गेस्टहाउस चिलियानौला के अलावा कुछ निजी होटल भी उपलब्ध हैं।
द्वारहाट
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में ही स्थित द्वारहाट ऐतिहासिक महत्व के कई मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां सदियों पुराने मंदिरों के अवशेष मिले हैं जिसके कारण इस जगह का ऐतिहासिक महत्व बढ़ गया है। इसके बावजूद पर्यटन मानचित्र पर इसे जितनी चर्चा मिलनी चाहिए उतनी नहीं मिल पाई है। अब सरकार ने इस जगह को नए सिरे से विकसित करने और पर्यटकों को यहां तक आकर्षित करने के लिए पूरा जोर लगाया है। चिलियानौला की ही तरह द्वारहाट भी रानीखेत तहसील का ही हिस्सा है। यह शांत और बेहद खूबसूरत जगह रानीखेत शहर से करीब 32 किलोमीटर दूर है। यहां 8वीं से 13वीं शती तक के अनेक मंदिरों के अवशेष मिले हैं। कहते हैं कि यहां के कत्यूरी राजाओं ने इन मंदिरों का निर्माण कराया था। यहां करीब 65 मंदिरों के अवशेष मिलते हैं। कुछ मंदिर वैश्यों द्वारा बनवाने की बात भी कही जाती है। इन मंदिरों को तीन तरह से वर्गीकृत किया गया है। कचहरी, मनिया तथा रत्नदेव। इसके अतिरिक्त बहुत-से मंदिर प्रतिमाविहीन हैं। ‘गूजरदेव का मंदिर’ द्वारहाट का सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंदिर है। इस मंदिर के चारों ओर की भित्तियों को कलापूर्ण शिलापटों से अलंकृत किया गया है। द्वारहाट का शीतला मंदिर भी बेहद खास है। वैशाखी के दिन द्वारहाट में भव्य मेला लगता है और यह पूरा इलाका जीवंत हो उठता है।
कैसे पहुंचें: काठगोदाम स्टेशन तक ट्रेन से और वहां से रानीखेत और फिर द्वारहाट तक सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।
कहां ठहरें: पर्यटकों की ज्यादा संख्या नहीं होने के कारण द्वारहाट में होटलों की संख्या ज्यादा नहीं है। जो गिने-चुने होटल हैं उनमें पहले ही बुकिंग कराना ठीक रहेगा।
कुंजापुरी
उत्तराखंड में धार्मिक स्थल जगह-जगह बिखरे पड़े हैं। इनमें भी हरिद्वार और ऋषिकेश सबसे मशहूर हैं। मगर इसके अलावा भी कई जगहें ऐसी हैं जहां लोगों की आवाजाही तेजी से बढ़ रही है। सरकार अब प्रयास कर रही है कि ऐसी जगहें रोमांच के प्रेमियों को भी लुभाएं। इसके लिए रोमांचक गतिविधियों की पहुंच बढ़ाई जा रही है। यह रोमांच के प्रेमियों के लिए आकर्षक स्थल के रूप में उभर रहा है। ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग और बंजी जंपिंग जैसी गतिविधियां तो पहले से ही लोगों को लुभाती रही हैं मगर कुंजापुरी जैसे अल्पज्ञात पर्यटन स्थल पर पैराग्लाइडिंग जैसे अत्यंत रोमांचक खेल ने पर्यटकों को एक नया विकल्प मुहैया करा दिया है। कुंजापुरी में पैराग्लाइडिंग करते वक्त शिवालिक की चोटियों को साफ-साफ देखा जा सकता है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के खूबसूरत नजारे के अलावा स्वर्गा रोहिणी, चौखंबा, गंगोत्री और बंडेरपंच की ऊंची-ऊंची चोटियां साफ नजर आती हैं। उत्तराखंड के अन्य पर्यटन स्थलों की तरह कुंजापुरी भी पहले धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर ही नजर आता था क्योंकि यहां मां कुंजादेवी का प्रसिद्ध मंदिर है जो देवी के पूरे देश में फैले 52 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थनगरी ऋषिकेश से टिहरी राजमार्ग पर पहले लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हिन्डोलाखाल नामक एक छोटे से पहाड़ी बाजार तक का सफर तय करना पड़ता है, जहां से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है माता कुंजापुरी मंदिर। हिन्डोलाखाल से मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क तथा पैदल मार्ग दोनों हैं।
शक्तिपीठ होने के कारण यहां भक्तों का तांता पहले भी लगता रहा है मगर अब उत्तराखंड सरकार इस जगह को हरिद्वार और ऋषिकेश की तरह पूर्ण विकसित पर्यटन स्थल में बदलने का प्रयास कर रही है। इस काम में देवी के शक्तिपीठ और पैराग्लाइडिंग दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है क्योंकि इससे धार्मिक के साथ-साथ यह रोमांचक पर्यटन स्थल के रूप में भी लोगों को लुभा सकता है। वैसे कुंजापुरी में पैराग्लाइडिंग के लिए अब भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं मगर हिमाचल के बीर बिलिंग या गोवा के समुद्र तट जैसी प्रसिद्धि अभी इसकी नहीं हो पाई है और सरकार इसे आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास कर रही है।
कैसे जाएं: हरिद्वार तक ट्रेन से और उसके बाद ऋषिकेश और उससे ऊपर हिन्डोलाखाल या नरेन्द्र नगर और मंदिर तक सड़क मार्ग से
कहां ठहरें: कुंजापुरी में ठहरने के लिए बेहतर विकल्प फिलहाल आपको उपलब्ध नहीं होंगे। नजदीकी नरेन्द्र नगर में कुछ होटल हैं मगर बेहतर है कि आप ऋषिकेश के ऊपरी हिस्से में ही किसी होटल में ठहरें।