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थाली होगी और पौष्टिक

दाल, आटा, चावल आदि मूल भोजन संबंधी नये नियम जल्द होंगे लागू
खाने की गुणवत्ता बढ़ेगी

अब रैपर में लिपटी गोलियों में ही विटामिन, आयरन या मिनरल नहीं मिलेंगे बल्कि रोजमर्रा के भोजन में भी पहले से अधिक पोषक तत्व (फोर्टिफाइड फूड) पाए जाएंगे। इनमें आटा, तेल, दूध, नमक और चावल जैसे प्रतिदिन के खाद्य पदार्थ शामिल हैं। सरकार रोजाना के खाने को पौष्टिक बनाने जा रही है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) इस पर नियम बनाने जा रहा है कि मूल खाद्य पदार्थों में पहले से ज्यादा पोषक तत्व होने चाहिए। नियमों में दूर-दराज के क्षेत्रों की आटा चक्कियां तक शामिल हैं कि उन्हें इस बारे में कैसे जागरूक किया जाए। पॉलिसी बनकर लागू होने के बाद प्रतिदिन के भोजन में तयशुदा पोषक तत्व शामिल करने जरूरी हो जाएंगे।

ड्राफ्ट गाइडलाइन के मुताबिक नमक में आयरन भी मिलाया जा सकेगा। इसके अलावा दूध और खाने के तेल में विटामिन ओ और विटामिन डी जबकि आटे में आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी-12 मिलाया जाएगा। सरकार एक लोगो भी जारी करेगी जो हर फोर्टिफाइड फूड के पैकेट पर लगाया जाएगा। सरकार का मानना है कि फोर्टिफाइड फूड के जरिए आपको आटा, चावल, दूध जैसी आम चीजों में पहले से ज्यादा पोषक तत्व मिलेंगे और आपको अलग से सप्लिमेंट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मगर कई विशेषज्ञों को इसे लेकर चिंता भी है। एक्सपर्ट्स की चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं फोर्टिफाइड फूड के जरिए लोग आर्टिफिशियल न्यूट्रीशन्स पर ज्यादा निर्भर न हो जाएं। एक और चिंता कीमतों को लेकर भी है। फोर्टिफाइड होने के बाद फूड आइटम की कीमत थोड़ी ज्यादा होगी। शुरुआती रिस्पान्स देखने के बाद सरकार फोर्टिफाइड फूड को अनिवार्य भी बना सकती है और इसकी शुरुआत मिड-डे मील और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम से हो सकती है।

देश की 70 फीसदी से ज्यादा आबादी आज भी अनुशंसित पोषक पदार्थों की 50 फीसदी से कम मात्रा का सेवन करती है। इसका नतीजा यह निकल रहा है कि स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो रही हैं। इसके लिए बड़े स्तर पर सरकार की ओर से की जा रही कोशिशों में से एक है कि मूल खाद्य पदार्थों को फोर्टिफाइड किया जाए। इस संदर्भ में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने फूड फोर्टिफिकेशन पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रेग्यूलेशंस -2016 का गठन किया है। यह विनियम खाद्य सुरक्षा के लिए मानदंड स्थापित करते हैं और सुरक्षित खाद्य पदार्थों के उत्पादन, निर्माण, वितरण, बिक्री और सेवन को बढ़ावा देते हैं। विनियम खाद्य सुरक्षा को अनिवार्य करने में एफएसएसएआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। एफएसएसएआई इस संदर्भ में नौ केंद्रीय मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इनमें मुख्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पशुपालन एवं डेयरी, मछलीपालन, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग आदि प्रमुख हैं। 

 

‘यह एक बड़ी चुनौती है’

एफएसएसएआई के सीईओ, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पवन अग्रवाल का कहना है कि फूड फोर्टिफिकेशन में जनता का जागरूक होना जरूरी है इस पूरी योजना पर उनसे बातचीत:

 

समिट में क्या फैसला लिया?

पौष्टिक भोजन पर पहली दफा सुनियोजित रुप से और इतने बड़े पैमाने पर समिट हुआ। इसमें तय किया गया है कि पौष्टिक भोजन के स्टैंडर्ड क्या होंगे। बाकायदा फोर्टिफाइड फूड के लिए एक लोगो जारी किया गया है ताकि फोर्टिफाइड फूड बनाने वाले इसे अपने खाद्य पदार्थों पर लगा सकें।

आपकी तैयारी क्या है?

फोर्टिफाइड फूड को जरूरी करना है या नहीं करना है, सरकार इस पर विचार कर रही है। एफएसएसएआई उसके स्टैंडर्ड तय कर रही है। सप्लाई साइड की तैयारी हो जाए, हमारा मुख्य फोकस उस पर है। इसकी मांग जनता पर निर्भर करती है कि वह कितनी जागरूक है कि फोर्टिफाइड फूड ही खाए। सरकारी स्तर पर उन मंत्रालयों और विभागों को यह फैसला लेना है कि वह अपने यहां फोर्टिफाइड फूड लागू करें।

खुली चीजों की बिक्री पर क्या करेंगे?

यह गंभीर समस्या है कि हमारे यहां फूड क्षेत्र बड़े स्तर पर असंगठित हैं। बहुत सारी चीजें खुले में बिकती हैं। इसके लिए जनता को जागरूक करना ही होगा।   

योजनाएं कैसी हैं? 

फूड फोर्टिफिकेशन के जो स्टैंडर्ड हमने बनाए हैं इनमें पांच चीजे हैं आटा-मैदा, चावल, तेल, दूध और नमक। अलग-अलग भोजन में अलग-अलग तरह के सूक्ष्म पोष्क तत्व और विटामिन डाले जाएंगे। इसके लिए स्टैंडर्ड तय किए जा रहे हैं। पैकेज फूड फोर्टिफाइड हो इसके लिए नियमों पर विचार किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि आटा चक्की वाले भी अपना आटा फोर्टिफाइड करें। यह चुनौती भी है हमारे लिए। इसके लिए उपभोक्ता को जागरूक होना है इसकी सफलता का सबसे बड़ा रास्ता वही है।

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