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राज्यों के भवन बन रहे पारंपरिक खाने के ठिकाने

जायकेदार खाने का लुत्फ उठाने के लिए दिल्ली स्थित राज्यों के भवनों में जाते हैं लोग, कुछ राज्यों का पारंपरिक भोजन नहीं होता है उपलब्‍ध
महाराष्ट्र सदन, बिहार निवास, गुजरात भवन  आदि में राज्य के स्‍थानीय स्वाद की तलाश में पहुंचते हैं दिल्ली वाले

दि ल्ली में देश के कोने-कोने के लोग रहते हैं। ऐसे में उनको अपने राज्य के खाने की याद तो सताती ही है और इसका लुत्फ उठाने के लिए वे राज्यों के दिल्ली में स्थित भवनों में भी जाते हैं। हालांकि कुछ कैंटीन में राज्यों के खाने के विशेष व्यंजन उपलब्‍ध नहीं हैं इसलिए उन राज्यों की कैंटीन में उतनी रौनक भी नहीं रहती। लेकिन कुछ राज्यों के कैंटीन अपने जायकेदार खानों केलिए मशहूर हैं। इसलिए उन कैंटीनों में भीड़ भी रहती है। लेकिन कुछ राज्यों के निवासियों को अपने राज्य के पारंपरिक व्यंजन न मिल पाने का भी अफसोस होता है। उनके लिए भवनों के अलावा दिल्ली हॉट जैसी जगहों पर कुछ अलग खाने का ठिकाना ढूंढऩा पड़ता है। दिल्ली में प्रमुख राज्यों के भवनों की क्‍या स्थिति है। कहां किस प्रकार का व्यंजन मिलता है। इसी की पड़ताल करती रिपोर्ट-

 

गुजरात भवन

लुटियंस दिल्ली के कौटिल्य मार्ग पर कई भवनों के बीच गुजरात भवन की इमारत में गुजरात से आए नेताओं, अफसरों के बीच जो भीड़ रहती है वह वहां मौजूद कैंटीन के लिए होती है। वैसे तो कैंटीन कई सालों से चल रहा है लेकिन पिछले ढाई साल से मोहिनी कैटरर्स के दिलीप सिंह डोडिया इस कैंटीन को चला रहे हैं।

क्‍या है विशेषता

सुबह के नाश्ते में गरमागरम जलेबी, फाफड़ा खाना हो तो,:30 से 10:30 के बीच आपका स्वागत है। दोपहर के खाने में सामान्य खाना है, लेकिन गट्टे की सब्‍जी विशेष आकर्षण। रात के खाने में गुजराती कढ़ी और खिचड़ी के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। संक्रांति हो तो उंघियू का स्वाद भी आपको मिल जाएगा। खाने का बजट दो लोगों के लिए 200 से 300 रुपये तक का है।

महाराष्ट्र सदन

कस्तूरबा गांधी मार्ग पर राजमहल की तरह बने महाराष्ट्र सदन में जाने के लिए बहाना खोजने के बजाय बस सीधे कैंटीन में दाखिल हो जाइए। किसी राजसी ठाठ-बाट के माहौल में जब अंदर जाएंगे तो खाने की महक खुद ब खुद भूख को बढ़ा देगी।

क्‍या है विशेषता

पोहा, मिसळ पाव, उसळ खाना हो तो सुबह नाश्ते के वक्‍त चले जाइए। समय वही,:30 से 11.00। यहां आप चाहें तो मेन्यू कार्ड में से देख कर अपनी पसंद की कोई डिश मंगवाएं या फिर बुफे का आनंद लें। तरीका कोई भी हो लेकिन यहां आपको कोल्हापुरी, साउदी, मालवाणी, वराड़ी स्वाद का खाना मिलेगा। लाल तरी की कोल्हापुरी भाजी हो या गहरे रंग की वराड़ी तरी, हर खाने का स्वाद लाजवाब है।

 राजस्थान भवन

पृथ्वीराज रोड पर एकदम शांत सा कम हलचल वाले भवन का कैंटीन भी ऐसा ही है। अगर आप राजस्थानी खाने के मंसूबे बना कर इस भवन के कैंटीन में जाते हैं, तो निराश होंगे। यह कैंटीन बाहर वालों के लिए खुला तो है मगर ऐसा कोई आकर्षण नहीं जो लोगों को यहां तक खींच लाए।

क्‍या है विशेषता

प्रति सोमवार दोपहर के खाने में मिलने वाला दाल-बाटी, चूरमा। यहां भी खाने की थाली कम बजट में मिल जाती है।

 

बिहार निवास

चाणक्‍यपुरी इलाके में स्थित है, बिहार निवास। निवास का अपना कैंटीन भी है, जहां सादा घर जैसा खाना परोसा जाता है। बिहार में प्रचलित अलग-अलग प्रकार की भुजिया यानी सूखी सब्‍जी के साथ दिल्ली शैली का पनीर भी होता है। लेकिन यहां पॉट बैली रेस्टोरेंट की चमक बिहार का भोजन पसंद करने वालों को खींच लाती है।

क्‍या है विशेषता

पॉट बैली में बिहार का स्वाद भरपूर है। चाहे लिट्टी-चोखा हो या फिर बगिया बास्केट। यहां थाली भी है जो परंपरागत बिहारी स्वाद के अनुसार तैयार की जाती है। तीसी (अलसी) की चटनी के यहां बहुत से कद्रदान हैं जो खिंचे चले आते हैं।

 

आंध्र भवन

दिल्ली के अशोक रोड पर आंध्र भवन को किसी पहचान की जरूरत नहीं। दिल्ली में कम ही भोजनभट होंगे जो इस भवन के कैंटीन को न जानते होंगे। यहां पर शाकाहार के साथ-साथ मांसाहर भी बहुत प्रसिद्ध है। आंध्र भवन सुबह नाश्ते के वक्‍त से जो गुलजार होता है तो देर रात तक भोजन के मुरीदों से पटा रहता है।

क्‍या है विशेषता

यदि मांसाहार खाना चाहें तो यहां का चिकन बहुत प्रसिद्ध है। दक्षिण भारतीयों को छोडि़ए, उत्तर भारतीय तक यहां की मोल्गा पूड़ी यानी गन पाउडर के दीवाने हैं। गरमागरम चावल पर चम्‍मच भर गन पाउडर और देसी घी का स्वाद अलग ही आनंद देता है। केसरी हलवा और सांभर के लिए भी लोग दूर-दूर से चले आते हैं यहां। अरहर दाल का परंपरागत स्वाद भी यहां खाने वालों की संख्‍या को बढ़ाता है।

 

तमिलनाडु हाउस

अगर आप तमिल खाने के शौकीन हैं तो आपको एक बार तमिलनाडु हाउस जरूर जाना चाहिए। चाणक्‍यपुरी स्थित तमिलनाडु हाउस की कैंटीन की बनावट भी आपको आकर्षित करेगी। यहां तमिलवासियों के अलावा भी लोग खाने का लुत्फ उठाने के लिए जाते हैं। यहां की कैंटीन का संचालन निजी हाथों में है लेकिन तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों की नजर खाने की क्‍वालिटी पर रहती है।

क्‍या है विशेषता

यहां साउथ इंडियन, नॉनवेज, चाइनीज, तंदूर हर तरह का खाना मिलता है। लंच में साउथ इंडियन थाली, नॉर्थ इंडियन थाली, बिरयानी, परांठा, चिकन चेट्टीनाड और डिनर में ये सारी चीजें मिलती हैं। मीठे के आइटम भी यहां के लाजवाब हैं।

 

उत्तर प्रदेश भवन

सरदार पटेल रोड स्थित उत्तर प्रदेश भवन में भी कैंटीन है लेकिन खाने की बहुत ज्यादा वेरायटी नहीं होने के कारण बाहरी लोग कम ही जाते हैं। फिर भी सुबह से लेकर शाम तक कैंटीन में रौनक रहती है।

क्‍या है खास

कम बजट में खाना खाना हो तो उत्तर प्रदेश भवन सबसे बेहतर है। क्‍योंकि यहां खाने की बहुत वेरायटी भले ही नहीं हो, लेकिन सादा भोजन उपलब्‍ध रहता है, जिसे लोग पसंद करते हैं।

 

केरला हाउस

जंतर-मंतर रोड पर स्थित केरला हाउस कम बजट में बेहतर खाने के लिए मशहूर है। केरला हाउस ऐसी जगह पर स्थित है जहां आसपास सरकारी कार्यालयों की संख्‍या है। ऐसे में लंच के समय यहां भीड़ भी रहती है।

क्‍या है खास

कम बजट में खाने की कई वेरायटी मिल जाएगी। नाश्ते से लेकर दोपहर का भोजन और रात के खाने के लिए अलग-अलग मेन्यू उपलब्‍ध है। यहां की लंच थाली काफी पसंद की जाती है, जिसमें मोटा ब्राउन केरल का चावल, सांभर, अवियल, अचार, रायता, एक गिलास छाछ होती है। नॉनवेज खाने वाले लोग जायकेदार बीफ फ्राई (नारियल के टुकड़ों के साथ) व मसालेदार फिश फ्राई का यहां लुत्फ उठा सकते हैं।

 

हरियाणा भवन

कॉपरनिकस मार्ग मंडी हाउस के पास स्थित हरियाणा भवन कम बजट खाने के लिए मशहूर है। यहां का लंच और डिनर दोनों ही लोगों को आकर्षित करता है।

क्‍या है खास

हरियाणवी छाछ और खीर यहां का लोकप्रिय व्यंजन है। खाने की थाली भी सस्ती है इसलिए लोग थाली को पहली प्राथमिकता देते हैं।

 

उड़ीसा निवास

चाणक्‍यपुरी स्थित उड़ीसा निवास में उडिय़ा खाने का आनंद लिया जा सकता है। ओडिशा की मशहूर डिस दालमा भी मिल जाती है। पहले यहां की कैंटीन राज्य सरकार द्वारा संचालित होती थी लेकिन बाद में दालमा नामक रेस्टोरेंट समूह हो दे दिया गया।

क्‍या है खास

यहां उडिय़ा संगीत के साथ खाने का लुत्फ उठाया जा सकता है। यहां उडिय़ा खाने की अलग-अलग वेरायटी उपलब्‍ध है।

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