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देश में बस शांति का हरा गलियारा ही रह जाएगा

आउटलुक हिंदी ने पिछले दिनों दिल्ली में 'लाल गलियारे में विकास’ विषय पर संवाद का आयोजन किया जिसे केंद्रीय मंत्रियों, मुख्‍यमंत्री, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संबोधित किया। यहां हम अतिथि वक्‍ताओं के विचार प्रकाशित कर रहे हैं।
डॉ. रमन सिंह

'लाल गलियारे में विकास’ विषय को मैं दूसरे संदर्भ में लेता हूं। आखिर लाल गलियारा है क्‍या? ये क्षेत्र उपेक्षित रहा किसी ने इस क्षेत्र की ओर ध्यान नहीं दिया। सडक़, पुल, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा से इस इलाके को दूर रखा गया, विकास नहीं हुआ। लाल गलियारा इसलिए बना क्‍योंकि हमने इस क्षेत्र को काट कर रखा। आज भी अबूझमाड़ की स्थिति यह है कि उसे काट कर रखा गया। लेकिन आज हम उस इलाके में सर्वे कर रहे हैं। वहां की व्यवस्था में परिवर्तन ला रहे हैं ताकि इस क्षेत्र में बदलाव हो सके। और इस व्यवस्था के परिवर्तन की जिम्‍मेवारी हम सबकी है। छत्तीसगढ़ का दायित्व मिलने के बाद लगा कि उस क्षेत्र के विकास से ही समस्या का समाधान किया जा सकता है। हमारी जो लड़ाई नक्‍सलवाद से है इसके लिए हमने रणनीति बनाई कि जो नक्‍सलवाद से प्रभावित इलाके हैं उसमें सबको साथ लेकर चला जाए। नक्‍सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित बस्तर और सरगुजा थे, आज सरगुजा में शांति है बस्तर भी उस दिशा में आगे बढ़ रहा है। अब सीमित एरिया नक्‍सलवाद के प्रभाव में रह गए। पहले जिला मुख्‍यालय तक नक्‍सलियों की पहुंच थी, जेल लूटे गए, थाने लूटे गए लेकिन आज वहां स्थिति भिन्न है। आज से 13 साल पहले जब मैं छत्तीसगढ़ का मुख्‍यमंत्री बना तो मेरी सोच साफ थी विकास ही एकमात्र रास्ता है जिससे इस समस्या को दूर किया जा सकता है।  आज भी मैं उसी सोच पर कायम हूं। मुझे लोग कहते थे इसका समाधान नहीं हो सकता जबरदस्ती सिर पटक रहे हो। मैंने कहा कि इसका समाधान शत-प्रतिशत हो सकता।  मैंने कहा कि बस्तर के लोग विकास चाहते हैं, शांति चाहते हैं उस बस्तर के क्षेत्र में दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा आदि के अंदरूनी इलाके में जाकर काम किया, अबूझमाड़ में जाकर लोगों से पूछा कि उनको क्‍या चाहिए। सबका एक ही जवाब था स्कूल चाहिए, अस्पताल चाहिए, सडक़, पुलिया चाहिए फिर मैं पूछता हूं कि इसको रोकता कौन है? तो इसका जवाब कोई नहीं देता क्‍योंकि सभी को विकास के लिए साधन चाहिए। उनकी वकालत करने वालों से भी मैं पूछता हूं वसूली के सिवाय नक्‍सलियों का कोई काम नहीं है। क्‍योंकि बस्तर जैसे इलाके में पिछले तीस-चालीस सालों में किसी ने विकास की बात नहीं किया।

आज बस्तर को बेहतर करने की दिशा में लगातार प्रयास किया। इसके लिए चार चीजों रोड, रेल, एयर, बिजली की सुविधा उपलब्‍ध कराने के लिए कार्ययोजना बनाकर दिया। मोबाइल टावर के लिए भी हमने कार्य योजना बनाई। सात जिलों में बस्तर नेट के नाम से अभियान शुरू किया। उस दूरस्थ अंचल में ब्रांडबैंड कनेञ्चिटविटी मिली। एक समय था जब सडक़ बनाने के लिए जवानों की शहादत देनी पड़ती थी लेकिन आज वहां सडक़ आसानी से बन रही है। पूरे बस्तर इलाके में सडक़ बनाने का काम चल रहा है। एक समय था कि एक टेंडर नहीं खुलता था। आज एक-एक सडक़ बनाने के लिए दस-दस ठेकेदार आ रहे हैं। हमारी कमियां क्‍या है? इस ओर हमने ध्यान दिया। जो पुलिस बल सामान्य लॉ आर्डर के लिए बनाया था। यदि उसी पुलिस के ऊपर यह जवाबदारी देकर मुकाबले के लिए तैयार किया तो इससे भी समस्या का समधान हुआ। पहले  25 हजार जवान थे आज उनकी संख्‍या दोगुना हो गई। उनको आधुनिक तरीके से प्रशिक्षित करके एक बेहतर टीम तैयार की गई। स्वास्थ्य, शिक्षा और पीडीएस की समस्या जो बस्तर के इलाके में थी उसको दूर किया गया। आज अबूझमाड़ के आखिरी गांव तक पीडीएस पहुंचता है। चावल और चावल के साथ नमक की सुविधा लोगों को मुहैया कराई गई। नमक बस्तर, सरगुजा के लोगों के लिए सबसे कीमती चीज  रहा है। हमारे आदिवासी भाई कीमती वनोत्पादों के बदले नमक लेते थे। इसलिए हमने हर परिवार को दो किलो फ्री नमक देने का काम शुरू किया। एक रुपये किलो चावल के साथ चना भी देने का अभियान चलाया ताकि भोजन की जो पहली लड़ाई है वह दूर हो। हम केवल नक्‍सल की समस्या की लड़ाई नहीं लड़ रहे है बल्कि कुपोषण के खिलाफ भी लड़ रहे हैं, शिशु मृत्यु दर कम हो मातृ मृत्यु दर कम हो। इसके लिए भी अभियान चलाया। पीडीएस के जरिए पिछले आठ सालों में छत्तीसगढ़ में चमत्कार हुआ। सडक़ बनने से फर्क साफ नजर आने लगा। एंबुलेंस और महतारी एक्‍सप्रेस की पहुंच आसान हो गई। जिससे लोगों को लाभ हुआ।

छत्तीसगढ़ के जो बेस्ट युवा आईएएस, आईपीएस हैं मैं उनको बस्तर के इलाके में भेजता हूं। पहले क्‍या था जिस अधिकारी को सजा देनी हो उसे बस्तर भेज दो। आज बस्तर नाराजगी का विषय नहीं बल्कि विकास का विषय है, प्रतिष्ठïा का विषय है,  मुख्‍यमंत्री की गरिमा का विषय है। ये सोच में जब परिवर्तन आया  तो इसकी साफ वजह यही है कि बस्तर के इलाके में हमारी सर्वश्रेष्ठ टीम काम कर रही है। जगदलपुर रेलमार्ग से जुडऩे जा रहा है। इससे वहां की इलोनॉमी में फर्क आया है। दंतेवाड़ा में पांच हजार बच्चों का आवासीय विद्यालय है। सुकमा में हम एजुकेशन हब बना रहे हैं। क्‍योंकि आदिवासी एरिया में आवासीय विद्यालय ही सफल हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण यही है कि आदिवासी छात्र पचास-सौ किलोमीटर दूर रोज चलकर नहीं आ सकता। छात्रों को प्रयास के माध्यम से कोचिंग का अभियान शुरू किया। प्रयास की सफलता यह है कि हमारे छात्र इंजीनियर, डॉक्‍टर बन रहे हैं, दिल्ली में प्रयास के बच्चे पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं 27 बच्चों का आईआईटी में सलेक्‍शन भी हुआ है और इसकी संख्‍या सौ तक पहुंचाने की हमने तैयारी भी कर ली है। पीढिय़ों का निर्माण हो रहा है। जिस परिवर्तन का बीज बोया उसकी शुरुआत हो चुकी है।

विकास ही मूल मंत्र है जिससे नक्‍सलवाद जैसी समस्या को खत्म किया जा सकता है। हम शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली से जिन इलाकों को नहीं जोड़ पाए थे उसके लिए दो साल की कार्ययोजना बनाई है। गांवों को चिन्हित किया जा रहा है। शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का काम किया जा रहा है।

तेरह साल पहले जो कल्पना की थी वह साकार हो रहा हैं। आज बस्तर, दंतेवाड़ा के लोगों से पूछता हूं, वे सडक़ की बात करते हैं, स्कूल की बात करते हैं अब वहां के लोग कहते हैं कि स्कूल में टीचर कम आ रहे हैं। आज उनके भी सोच में आया है। आज बस्तर के इलाके में लोग मोबाइल की बात करते हैं, टावर की बात करते हैं। अबूझमाड़ के लोग फोन पर बात करते हैं। ये कनेञ्चिटविटी का परिणाम है जिसकी वजह से विकास हो रहा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो नोटबंदी का फैसला लिया है उसका सबसे बड़ा असर नक्‍सलवाद पर होगा जो काले पैसे गड़ाए थे उनकी कमर टूट गई है। छत्तीसगढ़ से नक्‍सली हर साल 300 से 400 करोड़ रुपये वसूली करते हैं। अब उनको बदलने की स्थिति नहीं बन पाएगी और ये आतंकवाद और नक्‍सलवाद की कमर तोडऩे में सहायक होगा। नक्‍सली अब न एके-47 खरीद सकता है और न ही आरडीएक्‍स। अब नक्‍सली कैडर फोर्स को भी नहीं खड़ा कर पाएंगे। बस्तर में हमने रोजगार को प्राथमिकता दी है। पहले जिलों में भी होने वाली नियुक्तियों को छत्तीसगढ़ की राजधानी से निर्देश मिलता था। अब बस्तर के सात जिलों में नियुक्ति बोर्ड बनाया गया है। ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर सुलभ हो सके। बस्तर बटालियन ने भी वहां के युवाओं के बीचआत्मविश्वास पैदा किया है। बस्तर बटालियन में ऐसे जुझारू लोग हैं जो अन्य फोर्स के मुकाबले कहीं से कमजोर नहीं हैं। कौशल उन्नयन की ट्रेनिंग दी जा रही है। स्वरोजगार से बड़ी संख्‍या में लडक़े-लड़कियां जुड़ रहे हैं। बस्तर में आया यह परिवर्तन बस्तर के आम लोगो की लोकतंत्र, विकास और शांति के प्रति दृढ़ इच्छा के कारण ही संभव हो पाया है। यह गांधी और कबीर का देश है यहां हिंसा थोड़े दिन के लिए तो परेशान कर सकती है लेकिन उसका अंत निश्चित है।

(आउटलुक संवाद में दिए गए संबोधन का संपादित अंश)

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