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खिसक गया रुमानी ख्‍यालों का गलियारा

जिस क्षेत्र को हम लाल गलियारे के रूप में जानते हैं आज वहां विकास की कहानी लिखी जा रही है। झारखंड के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के नक्‍सल प्रभावित जिलों में जिस तरह से विकास हुआ है इससे यह कहा जा सकता है कि यहां के मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह विकास के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद पीएचडी करने की तैयारी कर रहे हैं।
सरयू राय

इस क्षेत्र में हमारे यहां भी काफी काम हुआ है। हम टेन प्लस टू करके यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे हैं। रुमानी ख्‍यालों से बना लाल गलियारा आज खिसक गया है। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के रास्ते नेपाल तक जाने वाले इस गलियारे के कई नायकों ने अपनी भूमिका बदल दी है और शेष इसके बारे में विचार कर रहे हैं। पशुपति से लेकर तिरुपति तक फैले इस क्षेत्र में लाल क्रांति की शुरुआत आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम में 1961 में हुई। 1967 में नक्‍सलबाड़ी से यह आंदोलन प्रसिद्ध हुआ। कम्‍युनिस्टों ने इस दौर की राजनीतिक स्थिति को क्रांति के लिए अनुकूल माना था। यह वही समय था जब चीन का चेयरमैन हमारा चेयरमैन और चीन की विचारधारा ही हमारी विचारधारा की सोच बढ़ रही थी। इस समय हम लोग कालेज के छात्र थे। बड़ी संख्‍या में मेधावी छात्रों ने इस विचारधारा को अपनाया। जब इनके छात्रावास में पुलिस की रेड पड़ती थी तो पता चलता था कि ये

नक्‍सली विचारधारा से जुड़ा है। जम्‍मू-कश्मीर के उड़ी में हुए हमले के बाद देश भक्ति का ज्वार बढ़ा। देश में बड़े लोगों ने चीनी सामान नहीं खरीदने की अपील की। इस पर चीन के पीपुल्स डेली ने कहा कि यह यह राष्ट्रभक्ति का ज्वार है जो जल्द ठंडा पड़ जाएगा। भारत के लोग फिर से चीनी सामान खरीदने लगेंगे। बाद में विरोध करने वाले लोगों ने अपने घरों में दिवाली पर चीनी लडिय़ां लगाईं। ऐसे लोगों के कथनी और करनी का अंतर, व्यक्तित्व का दोहरापन भी लाल गलियारे को मजबूत करने में योगदान देता है।

झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार में विकास के सहारे पूरे क्षेत्र को हरे गलियारे के रूप में बदलने की कोशिश की जानी चाहिए। यह क्षेत्र खनिज और वन संपदा से भरा है। देश का 65 फीसदी खनिज यहीं है। यहां कोख में अमीरी है पर गोद में गरीबी। यहां जब विकास होगा तो उसका असर पर्यावरण पर भी पड़ेगा। खनिज निकाला जाएगा, माइनिंग होगी तो इससे नदियां भी प्रदूषित होंगी। हम लोग सारंडा में काम करते हैं। यहां लौह अयस्क का भंडार है। यहां खनन के बाद भंडारण के चलते कोयल और कारो नदियों का पानी लाल हो रहा है। यहां जब नक्‍सलवाद अपने पूरे जोर पर था तब लोग पूछते थे लाल पानी ज्यादा खतरनाक है या लाल सलाम। हमें कहना पड़ता था लाल पानी ज्यादा खतरनाक है। इस क्षेत्र में लाल पानी को ठीक करने की जरूरत है। विकास के साथ पर्यावरण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। कृषि योग्य भूमि, खनिज और वन के इस्तेमाल से विकास के लिए समन्वित योजना बननी चाहिए।

इस क्षेत्र के विकास नहीं हो पाने के ऐतिहासिक कारण हैं। दक्षिण के चार राज्यों ने अपनी दबंगई के बल पर अपने यहां सार्वजनिक निवेश कराया जिसकी वजह से यहां विकास हुआ। मुंबई के आसपास महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, मध्यप्रदेश में विकास की लहर चली है और दिल्ली-एनसीआर के निकट पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में हरित क्रांति के सहारे विकास हुआ पर झारखंड समेत देश के पूर्वी हिस्सा आज विकास से काफी पीछे है। भारत सरकार ने देश के पूर्वी राज्यों के विकास के लिए पूर्वी जोन घोषित किया है। दो बैठकें गृहमंत्री की अध्यक्षता में हो चुकी हैं। पहले की सरकारों के दौरान इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई। 1983 में रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर मनमोहन सिंह ने अर्थशास्त्री एसआर सेन की अध्यक्षता में इस बात का पता लगाने के लिए कमेटी बनाई कि पूर्वी भारत में हरित क्रांति क्‍यों नहीं पहुंच सकी। 1984 में इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी पर इस पर न तो राज्य सरकार ने अमल किया और न ही राज्य सरकारों ने।

इस क्षेत्र के विकास की काफी संभावनाएं हैं। यहां से व्यापार दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों के साथ व्यापार बढ़ाया जा सकता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी ऐसी ही इच्छा है। यहां कोलकाता, धामरा, हल्दिया और पारादीप के बंदरगाह हैं। इस क्षेत्र रिम ऑफ वेस्ट बंगाल कहा जाता है। यहां की सडक़ों को इन बंदरगाहों से जोडऩे के लायक बनाया जाना चाहिए। ऐसा होने से पूर्वी देशों के साथ व्यापार बढ़ेगा। इसका फायदा विशाखापत्तनम, चेन्नई से लेकर कांडला तक को होगा। यहां सार्वजनिक ही नहीं निजी निवेश को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। इस क्षेत्र से 128 सांसद और 450 से ज्यादा विधायक हैं। यदि ये सभी एकजुट होकर भारत की सरकार से अपना हिस्सा लेने की बात कर सार्वजनिक निवेश बढ़ाने के लिए दवाब डालते हैं तभी इस क्षेत्र का भाग्य बदल सकता है।

(आउटलुक संवाद में दिए गए संबोधन का संपादित अंश)

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