- मेडिसिन में पूरी तरह रम जाएं या फिर डॉक्टर न बनें।
- बेहतरीन उपचारों का कोई मतलब नहीं अगर ज्यादातर लोग उनका खर्च न उठा सकें।
- जब तक हमारे पास मेडिकल कॉलेजों की कमी होगी, गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।
जिस हल का खर्च उठाना मुश्किल हो, वह कोई हल नहीं है। जब मैं एक युवा डॉक्टर था तो मैं स्वास्थ्य के क्षेत्र में होने वाली आशाजनक प्रगति से उत्साहित होता था। मैं हृदय की सर्जरियों के नतीजों को देखकर हैरान था कि किस तरह मरीज अपनी बीमारी से उबरकर सामान्य जीवन जी पाते थे। जब मैं दुनिया को बदलने के पूरे जोश और उत्साह से भरकर इंग्लैंड से लौटा तो मेरा सामना हकीकत की दुनिया से हुआ। मैंने महसूस किया कि हृदय रोग या कैंसर उपचार में आधुनिक प्रगति का ढिंढोरा पीटने का कोई मतलब नहीं है, अगर भारत की 90 फीसदी आबादी इन उपचारों का खर्च नहीं उठा सकती। इसने मेरी पूरी भावी रणनीति को बदल दिया।
इससे मुझे जिम्मेदारी का एहसास हुआ और मैं पैसे की कद्र करने लगा। मैंने महसूस किया कि चैरिटी को मापा नहीं जा सकता मगर उचित कारोबारी सिद्धांतों को तय किया जा सकता है। साथ ही, पैसे के बिना कोई मिशन सफल नहीं हो सकता। आज मैं एक सादा जीवन बिताने की कोशिश करता हूं, जबकि मैं पैसे से खरीदे जाने वाले बहुत से ऐशोआराम का खर्च उठा सकता हूं। जब मैं कोई महंगी शर्ट या ट्राउजर्स खरीदता हूं तो मुझे अपराधबोध होता है क्योंकि उस पैसे से कुछ जिंदगियां बच सकती हैं। मुझे लगता है कि इस सोच ने मुझे एक बेहतर इनसान और एक बेहतर डॉक्टर बना दिया है।
सभी डॉक्टरों को मेडिकल जर्नल पढ़ने चाहिए और नई प्रगतियों से खुद को अवगत कराते रहना चाहिए। इंटरनेट से कहीं भी होने वाली किसी नई प्रक्रिया को दुनिया भर के डॉक्टर तुरंत देख सकते हैं। पुराने दिनों में मुझे सर्जनों को ऑपरेशन करते देखने और नई तरकीबें सीखने के लिए दुनिया भर में घूमना पड़ता था। आज मैं अपने बेडरूम में बैठकर अपने मोबाइल फोन पर ये ऑपरेशन देख सकता हूं। आज डॉक्टरों के पास खुद को बेहतर करने के लिए बहुत समय है।
भारत में 500 नए मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है। मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए। चाहे मेडिकल विद्यार्थियों को जो भी कूड़ा-कचरा परोसा जा रहा हो, मेडिकल सीटों और कॉलेजों की बहुत कमी है। विद्यार्थियों के पास इन कॉलेजों को इसी रूप में स्वीकार करने के सिवा कोई चारा नहीं है। जब बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेज खुलेंगे और विद्यार्थियों के पास विकल्प होंगे तो स्थितियां बदलेंगी। मेडिकल शिक्षा को सुधारने का यही एक तरीका है। जब तक कॉलेजों की कमी होगी, हम कभी गुणवत्ता नहीं ला पाएंगे।
मेडिसिन का पेशा हमेशा से मुश्किल रहा है और आगे भी रहेगा। जो लोग काम और जीवन के बीच संतुलन चाहते हैं, उन्हें मैं इस पेशे में आने की सलाह नहीं दूंगा। कड़ी मेहनत के बाद किसी बच्चे का मुस्कराता चेहरा और उसके माता-पिता का दमकता चेहरा हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। इस दुनिया में मानव जीवन से कीमती कुछ नहीं है। ईश्वर ने हमें मानव जीवन को प्रभावित करने का अवसर दिया है। मैं दुनिया में किसी भी चीज के लिए अपनी मौजूदा स्थिति से समझौता नहीं कर सकता। चाहे मुझे सौ बार जन्म लेना पड़े, मैं एक डॉक्टर ही बनना चाहूंगा। मैं रोगियों को छूना और ठीक करना चाहूंगा और उनके जीवन में एक नायक बनना चाहूंगा। डॉक्टर होने का आनंद यही है, वह असली जीवन का नायक बन सकता है।