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बाल अधिकारों के लिए संकल्प

नोबेल पुरस्कार विजेताओं और विश्व नेताओं ने लॉरिएट्स एंड लीडर्स सम्‍मेलन में जताई प्रतिबद्घता, बच्चों के अधिकार के लिए प्रस्ताव हुए पारित
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी एवं कैलाश सत्यार्थी अन्य गणमाण्य लोगों के साथ

राष्ट्रपति भवन के सेरेमोनियल हॉल में जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लॉरिएट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन 2016 की शुरुआत की, तो विश्व भर से जुटे नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं और विश्व नेताओं की तालियों की गडग़ड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्‍मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा संचालित सत्यार्थी फांउडेशन की ओर से पहली बार भारत मेंबाल अधिकारों को लेकर कार्यफ्म का आयोजन हुआ। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्‍मानित धर्मगुरु दलाई लामा मोनैको की प्रिसेंस शार्लीन, जॉर्डन के प्रिंस अली बिन अल हुसैन, नीदरलैंड की प्रिसेंस लॉरेन्टाइन, यूनेस्को से होसे-रैमोस-होर्टा, पनामा की फस्र्ट लेडी लॉरेना कैस्टिलो द वेरेला, ऑस्ट्रेलिया की पूर्व प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड, ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकॉनमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट के महासचिव एंजेल गुरिया जैसी हस्तियां शामिल हुईं। सभी ने एक स्वर में बाल अधिकारों की वकालत की और बच्चों की समस्याओं को खत्म करने का आह्वïान किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें स्कूलों में बदमाशी जैसी कम गंभीर समस्याओं से लेकर यौन उत्पीडऩ के मामले, बाल विवाह एवं बाल तस्करी जैसी गंभीर समस्याएं शामिल हैं। विश्व के कई हिस्सों में बच्चों को पढ़ाई से भी वंचित रखा जाता है। अभी भी उन्हें कुपोषण का शिकार होना पड़ता है और वैसी बीमारियों से उनकी मौतें हो रही हैं जिनकी रोकथाम की जा सकती है। यूनिसेफ के अनुसार, 80 फीसदी शिशु मौतें दक्षिण एशिया एवं उप-सहारा अफ्रीका में होती हैं। सशस्त्र संघर्षों, हिंसा एवं अराजकता प्रभावित क्षेत्रों में सबसे अधिक बच्चे ही सफर करते हैं। विस्थापितों के बीच ऐसे कई बच्चे हैं जिनके सामने एक अनिश्चित भविष्य है। राष्ट्रपति ने इस बात की वकालत भी की कि बच्चों के लिए कार्यफ्मों एवं कदमों को राष्ट्रीय नीति निर्माण का केंद्रीय हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी विषमताओं को काम करने की हमारी साझा जिम्‍मेदारी है जो किसी अन्य आयु समूह की तुलना में वंचित वर्गों के बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं।

दो दिवसीय सम्‍मेलन के दूसरे दिन प्रणब मुखर्जी ने '100 मिलियन के लिए 100 मिलियन’ अभियान का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वंचित वर्गों के 100 मिलियन बच्चों के बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए 100 मिलियन युवकों को प्रेरित करने का यह वैश्विक प्रयास बदलाव की ऐसी शुरुआत है जो लंबे समय से विलंबित था। '100 मिलियन के लिए 100 मिलियन’ अभियान का लक्ष्य अगले पांच वर्षोंे में बाल श्रम, बाल दासता, बच्चों के खिलाफ हिंसा से बचाकर उन्हें सुरक्षित माहौल देना है। कैलाश सत्यार्थी ने इस आयोजन के बारे में कहा कि भारत प्रेम और करुणा की धरती है। इसलिए हमारा प्रयास है कि प्रेम और करुणा की इस धरती से बच्चों के अधिकारों के लिए सबसे बड़ी पहल की शुरुआत हो। सत्यार्थी ने कहा कि आज जरूरी है कि बच्चों के अधिकारों के लिए पूरी दुनिया एक साथ काम करे। इसलिए विश्व के नेताओं को एक मंच पर बुलाया गया ताकि बाल अधिकारों के लिए विश्वव्यापी मुहिम की शुरुआत हो सके। उन्होंने कहा कि सम्‍मेलन का प्रमुख उद्देश्य यही है कि बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने के लिए एक मजबूत नैतिक ताकत तैयार हो रही है। उन्होंने कहा कि यहां जुटे लोगों ने बच्चों की आवाजों को सुना, उनकी समस्याओं पर गौर किया और साथ मिलकर काम करने का वादा किया।

सम्‍मेलन में अलग-अलग समूहों में विशेषज्ञों ने इस बात पर चर्चा की कि बच्चों की जो समस्याएं हैं उसे कैसे दूर किया जाए। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, यूएनएड्ïस जैसी विश्व की संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी सुझाव रखे कि इस समस्या को कैसे दूर किया जाए। नोबेल पुरस्कार से सम्‍मानित धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि बच्चों के अधिकारों के लिए जो पहल हुई है वह अनूठी है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि दुनिया के एक बड़े मुद्दे को लेकर लोग चिंतन कर रहे हैं। पनामा की फस्र्ट लेडी लॉरेना कैस्टिलो ने कहा कि हम भविष्य की चुनौतियों के निर्णय के लिए यहां आए हैं। बच्चों की तस्करी, बाल मजदूरी और अन्य समस्याओं के समाधान के बारे में हमें आगे सोचना है। शांति के नोबेल पुरस्कार प्राप्त संस्थान की तवक्‍कुल करमान ने कहा कि हमें यह सोचने की आवश्यकता है कि हम बच्चों के अधिकारों की विश्व में किस तरह से रक्षा कर सकते हैं। ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया ने कहा कि विश्व का कोई भी बच्चा दासता, अशिक्षा सहित किसी तरह के शोषण का शिकार न हो, इसके लिए विश्व के देशों को प्रतिबद्धता जतानी होगी।

सम्‍मेलन में जो विश्व भर से जुटे प्रतिनिधियों के सुझाव आए उसको लेकर एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया जिसमें बच्चों के अधिकारों के हक में हुई प्रगति और काम को आगे बढ़ाने की पहल शामिल है। इसी तरह का अगला सम्‍मेलन साल 201। में यूनाइटेड अरब अमीरात में कराने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। विशेषज्ञों ने इस अभियान को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्यफ्मों के आयोजन पर भी जोर दिया। ऑस्ट्रेलिया की पूर्व प्रधानमंत्री जुलिया गिलार्ड ने कहा कि बच्चे देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनको शिक्षित करना सबका कर्तव्य है। गिलार्ड ने इस बात पर जोर दिया कि भारत से शुरू हुए इस अभियान को अब विश्वव्यापी बनाया जाए। कैलाश सत्यार्थी ने इस बात पर जोर दिया कि बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए संकल्प लिया जाए और जब तक यह समस्या खत्म नहीं होती तब तक यह अभियान जारी रखा जाए। सत्यार्थी के साथ वैश्विक नेताओं ने भी इस बात का संक्‍ल्प लिया कि बाल दासता एवं नाबालिगों के प्रति हिंसा की समाप्ति जल्द हो।

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