कोई भी बीमार नहीं होना चाहता मगर 25 से 50 की उम्र के बीच किसी भी मौके पर अस्पताल का दौरा आपको 50 हजार रुपये से ज्यादा की चोट एक बार में दे सकता है। डेंगू या ऐसी किसी और बीमारी की चपेट में आए जिसमें कुछ ज्यादा दिन अस्पताल में रहना पड़ा तो ऊपर की राशि में दस-बीस हजार रुपये और जोड़ दीजिए। ऐसे में कम से कम एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेना आपके लिए अनिवार्य है क्योंकि ऐसे किसी भी झटके के समय वह आपके मेहनत से बचाए गए पैसे को खर्च होने से रोकता है। बीमारी की गंभीरता से यह तय होता है कि आपको एक से अधिक पॉलिसी की जरूरत है।
पॉलिसी का चयन: जब आप स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी का चयन करने निकलते हैं तो कई तरह की पॉलिसी दिखती है। इनमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा, टॉप अप प्लान, गंभीर बीमारी, क्रलोटर, वरिष्ठ नागरिक योजनाएं शामिल हैं। इनमें से अपने लिए योजना चुनना मुश्किल भरा हो सकता है बशर्ते आप इन सभी की मूल खूबियां न जानते हों। अगर आप सही चुनते हैं तो आपके पास बीमारियों से लडऩे का एक व्यापक आर्थिक सुरक्षा कवच होगा। हालांकि इतने सारे विकल्पों के बावजूद अधिकांश लोगों के पास या तो कोई बीमा कवर नहीं होता या बिलकुल कम राशि का बीमा होता है जो आड़े वक्त ज्यादा मददगार नहीं होता। अधिकांश लोग बीमा पॉलिसी के बदले लगने वाले एकमुश्त प्रीमियम की वजह से बीमा से दूर भागते हैं। इस प्रीमियम की गणना कंपनियां बीमित व्यक्ति की उम्र, पॉलिसी में शामिल व्यक्तियों की संख्या, जिस शहर में इलाज होना है उस शहर के प्रकार और किस तरह के हॉस्पिटल में इलाज होगा इसे ध्यान में रखकर करती हैं। बड़े शहरों में और ज्यादा उम्र में बीमा लेने पर प्रीमियम की राशि स्वाभाविक रूप से ज्यादा होती है।
जीवन बीमा के उलट, जहां शुरुआत में आपकी सालाना आय या खर्च के दस गुना तक की बीमा राशि को पर्याप्त माना जाता है, स्वास्थ्य बीमा में ऐसी कोई सुविधा नहीं है क्योंकि यहां हर व्यक्ति की जरूरत अलग होती है। इसलिए प्रीमियम पर नजर डालने से पहले पॉलिसी की खूबियों, बीमारियों में पॉलिसी की सीमाएं, खर्च किस तरह बंट कर मिलेगा और भुगतान की प्रतीक्षा अवधि क्या होगी, इनकी जानकारी जुटाएं। इसके अलावा सही बीमा कंपनी का चयन पॉलिसी से भी ज्यादा महत्वपूर्ण कारक है। साथ दिए गए बॉक्स में जिन प्लानों की चर्चा की गई है कमोबेस ये सभी प्लान निजी और सरकारी दोनों तरह की बीमा कंपनियां देती हैं। ऐसे में प्लान लेते समय आपको बीमा कंपनी के क्लेम निपटान हिस्ट्री और बीमा में ऑफर की जा रही खूबियों पर ध्यान देना चाहिए।
स्मार्ट मूव: यूं तो अलग-अलग तरह के बीमा उत्पाद समय के साथ प्रासंगिकता खोते चले जाते हैं मगर स्वास्थ्य बीमा हमेशा आपके साथ बना रहता है। आप युवा हों या वृद्ध बीमारी कभी भी आपको घेर सकती है। इसलिए किसी भी उम्र में पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा जरूरी होता है। वास्तव में आपको हर गुजरते वर्ष के साथ अपनी स्वास्थ्य बीमा की समीक्षा करनी चाहिए। यदि आप युवावस्था में स्वास्थ्य बीमा लेने से चूक गए हैं तो वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी बीमा उत्पाद मौजूद हैं। निश्चित रूप से ऐसे उत्पादों का प्रीमियम महंगा है और कई बीमारियां भी इनसे बाहर हो जाती हैं फिर भी आपको स्वास्थ्य बीमा लेने के बारे में विचार करना चाहिए। बढ़ती जीवन आयु और महंगी होती स्वास्थ्य सेवाओं ने इसे जरूरी बना दिया है।
आखिरकार उम्र बढऩे के साथ स्वास्थ्य पर जोखिम बढ़ता जाता है और इसके साथ ही प्रीमियम भी बढ़ता है। दो लाख रुपये का बीमा जहां छोटे शहर और छोटे अस्पताल के लिए पर्याप्त है वहीं यह राशि बड़े अस्पतालों के लिए बेहद कम साबित हो सकती है। हालांकि यदि आपने कम राशि का बीमा ले रखा है तो परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि आप टॉप अप प्लान लेकर अपना बीमा कवर बढ़ा सकते हैं। यह टॉप अप प्लान तब क्रियाशील होता है जब आपके बेसिक प्लान की राशि पूरी तरह खर्च हो चुकी होती है। इसे इस प्रकार समझें, आपने पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा टॉप अप कराया। इसमें से तीन लाख रुपये आपके वर्तमान बेसिक बीमा से जाएगा और जब अस्पताल का खर्च इस तीन लाख की सीमा को पार कर लेगा तो शेष दो लाख टॉप अप पॉलिसी से जाएगा। टॉप अप के अलावा सुपर टॉप अप प्लान भी आप ले सकते हैं। जहां टॉप अप प्लान एक बार अस्पताल में भर्ती होने का खर्च देता है वहीं सुपर टॉप अप एक बार से अधिक बार अस्पताल में भर्ती होने पर भी लागू होता है।
जहां तक बीमा दावों की बात है तो आजकल अधिकांश भुगतान कैशलेस हो चुका है। बीमा कंपनियां थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (टीपीए) के जरिए अस्पतालों के नेटवर्क से सीधे जुड़ी होती हैं और ये टीपीए आपके योजनाबद्ध इलाज की पूरी सुविधा मुहैया कराते हैं। हालांकि आपात स्थिति में भर्ती होने पर भी टीपीए को सूचना दिया जाना चाहिए ताकि आपको अपने जेब से भुगतान की नौबत न आए। बीमा कंपनियां, टीपीए और अस्पताल के नेटवर्क आजकल 24 घंटे काम करते हैं और आपात स्थिति में भी चंद घंटों में बीमा कंपनी से इलाज की मंजूरी मिल जाती है।
स्वास्थ्य बीमा के और क्या फायदे हैं? आप इसके जरिए आयकर कानून की धारा 80 डी के तहत 25 हजार से लेकर 30 हजार रुपये तक कर छूट हासिल कर सकते हैं। खुद के लिए, पत्नी, बच्चों और माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा के मद में भुगतान किया गया प्रीमियम इस धारा के तहत कर छूट के दायरे में आता है। हिंदू अविभाजित परिवार भी इसके तहत कर छूट का दावा कर सकता है। हालांकि आपको कोई पॉलिसी सिर्फ इसलिए नहीं खरीद लेनी चाहिए क्योंकि इससे कर छूट मिल रही है। हो सकता है कि कभी आपको आपात स्थिति में अस्पताल में भर्ती होना पड़े तो आपके बीमा के कागजात ऐसी जगह होना चाहिए कि आसानी से दूसरे लोग उसे हासिल कर सकें। इसलिए परिवार के लोगों को भी इसके बारे में बता कर रखें। कई बार बीमा कंपनियां क्लेम देने में देर करती हैं या मना ही कर देती हैं। अधिकांश बार ऐसा बीमित व्यक्ति की किसी गलती से ही होता है इसलिए स्वास्थ्य बीमा लेते समय पूरी सावधानी बरतें।