Advertisement

नर्मदा किनारे गोवा के नजारे

मध्यप्रदेश में हनुवंतिया टापू ने कम समय में पर्यटन के नक्शे पर अलग पहचान बना ली है
नर्मदा का नजारा

जल भराव के लिहाज से एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील इंदिरा सागर का एक टापू हनुवंतिया सैलानियों के लिए गोवा के नजारे पेश कर रहा है। मध्यप्रदेश के लोगों को भी अपने ही राज्य में सैर-सपाटे के लिए एक नयामुकाम मिल गया है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने नर्मदा घाटी में बने सबसे बड़े बांध इंदिरा सागर में टापुओं को खोजकर उन टापुओं को पर्यटन स्थल बनाने की योजना पर काम करते हुए हनुवंतिया टापू को विकसित किया है। पिछले साल ही इसका उद्घाटन हुआ था। नए साल के पहले ही निगम ने महीने भर का जल महोत्सव आयोजित कर इस पर्यटन केंद्र को नया मुकाम देने की ओर कदम बढ़ा दिया है। पंद्रह दिसंबर से 15 जनवरी के बीच आयोजित इस जल महोत्सव के दौरान 7 लाख से ज्यादा सैलानी यहां के दिलकश नजारों का लुत्फ उठा चुके हैं। हनुवंतिया टापू पर पर्यटन निगम ने 8 सुईट की स्थायी व्यवस्था कर रखी है। इनमें बैठकर विशाल इंदिरा सागर बांध के नजारे देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही दो शिकारे भी हैं जिनमें 6 विशाल सूईट  में रुकने और सागर में घूमने-फिरने के शाही इंतजाम हैं। लेकिन जल महोत्सव के दौरान पहुंचने वाले सैलानियों के लिए पर्यटन निगम ने 126 स्विस कॉटेज भी बनवाए हैं। सर्वसुविधा संपन्न इन स्विस कॉटेजों में ठहरने से लेकर नर्मदा के नजारे लेने और शाकाहारी भोजन के इंतजाम किए गए हैं। निगम ने इसके लिए एक इवेंट कंपनी को सारा जिम्‍मा दिया है। बांध किनारे पैरासिलिंग, पैरामोटर के जरिए हवाई एडवेंचर के इंतजाम भी हैं, तो हॉट एयर बैलून, पैराग्लाइडिंग की व्यवस्था भी वहां मौजूद है। नर्मदा सरोवर में बड़े क्रूज के साथ ही मोटर बोट और स्पीड बोट से जल क्रीड़ाओं के आनंद का पूरा अवसर यहां है। जल महोत्सव के दौरान लोगों को प्राचीन भारत के पारंपरिक परिवहन साधनों ऊंट, घोड़े और बैलगाडिय़ों का भी इंतजाम किया गया है। शिकारे में ठहरे इंदौर के एक कारोबारी अरविंद बाहेती कहते हैं कि इंदौर से 150 किलोमीटर की दूरी पर गोवा जैसा टूरिस्ट स्पॉट हमें मिल गया है। भोपाल से भी 6 से 7 घंटे का सफर कर यहां पहुंचा जा सकता है। हालांकि एक सैलानी सुनील भंडारी ने कहा कि यदि सरकार आष्टा से कन्नौद होते हुए इंदिरा सागर बांध तक की जर्जर हो चुकी सडक़ बनवा दे तो भोपाल के आसपास के लोग भी 3-4 घंटे में वहां पहुंच सकते हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल इस सडक़ को बनवाने का वादा किया था, लेकिन लोक निर्माण विभाग इस सडक़ को नए सिरे से बनाने की बात तो दूर उसकी मरम्‍मत तक नहीं करवा सका। अभी भोपाल से हनुवंतिया पहुंचने के लिए दो ही रास्ते हैं। भोपाल से खंडवा और खंडवा से इंदौर रोड पर स्थित मूंदी होते हुए हनुवंतिया पहुंचा जाए। दूसरा विकल्प भोपाल से इंदौर फिर वहां से ओंकारेश्वर होते हुए मूंदी से आगे हनुवंतिया पहुंचें। लेकिन हनुवंतिया का नाम साल भर के भीतर मध्यप्रदेश ही नहीं महाराष्ट्र और गुजरात के भी सैलानियों को आकर्षित कर रहा है। जल महोत्सव के दौरान बड़ी संख्‍या में महाराष्ट्र के जलगांव, भुसावल, धूल, मनमाड, औरंगाबाद आदि इलाकों से लोग पहुंचे। इंदौर-अहमदाबाद हाईवे के हालात बेहद खराब हैं वरना गुजरात के सैर सपाटा प्रेमी सैलानी हनुवंतिया के पर्यटन स्थल को और कामयाब बना देते।

पर्यटन निगम के प्रबंध संचालक हरिरंजन राव कहते हैं, 'जल-महोत्सव का विशेष आकर्षण केरल की तर्ज पर हनुवंतिया में संचालित दो हाउस बोट हैं।’ इनके साथ ही साहसिक और रोमांचकारी खेलों की विस्तृत शृंखला भी यहां है, जिसमें जल, जमीन और आकाश के साहसिक खेल आयोजित होते हैं। एक माह के जल-महोत्सव के दौरान दूर-दूर से आए पर्यटकों ने हनुवंतिया वॉटर स्पोट्र्स कॉम्‍प्लेक्‍स परिसर में विकसित सुविधाओं का लाभ उठाया। वहीं मौसम अनुकूल होने पर पानी के विशाल जल भंडार में सैर का लुत्फ भी उठाया। खास तौर से सप्ताहांत और नववर्ष का स्वागत करने तथा अन्य अवकाश दिवसों में पर्यटकों की भारी आवाजाही रही। यह इस बात का प्रतीक है कि जल-पर्यटन के क्षेत्र में हनुवंतिया ने अपना एक विशिष्ट स्थान बना लिया है। पर्यटन निगम ने इस क्षेत्र में निजी भागीदारी से होटल आदि खोलने के लिए भी पहल की है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement