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एक्जिट पोल के घेरे में जागरण

यूपी चुनाव के पहले चरण के बाद अंग्रेजी वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट
जागरण पोस्ट पर छपी खबर

उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान से पहले ही एञ्चिजट पोल का प्रकाशन करना दैनिक जागरण को भारी पड़ गया। चुनाव आयोग ने यूपी के 15 जिलों में दैनिक जागरण के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दिया और मामले में दैनिक जागरणडॉटकॉम के संपादक शशांक शेखर त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया। मगर उन्हें तत्काल ही जमानत भी मिल गई क्‍योंकि ये एञ्चिजट पोल दैनिक जागरण डॉट कॉम पर अपलोड नहीं हुआ था। इसके बावजूद दूसरे स्थानीय संपादकों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। दरअसल दैनिक जागरण की अंग्रेजी वेबसाइट जागरण पोस्ट पर 11 फरवरी को मतगणना खत्म होने के करीब ढाई घंटे के बाद यह एञ्चिजट पोल अपलोड हुआ जिसमें कथित रूप से भाजपा की बढ़त दिखाई गई। जिस एजेंसी रिसोर्स डेवेलपमेंट इनिसिएटिव ने यह एञ्चिजट पोल किया उसके संचालकों की भाजपा से नजदीकी जगजाहिर है। चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार एञ्चिजट पोल यानी मतदान बाद सर्वेक्षण के प्रसारण या प्रकाशन पर अंतिम दौर के मतदान के समाप्त होने तक रोक लगी हुई है। एञ्चिजट पोल पर रोक इसलिए लगाई जाती है क्‍योंकि माना जाता है कि इससे आने वाले दौर के चुनावों के मतदाताओं का रुख बदल सकता है। जागरण के मामले में अखबार के मालिक और मुख्‍य संपादक संजय गुप्ता की गिरफ्तारी नहीं हुई है मगर गिरफ्तारी की तलवार उनपर भी लटक ही रही है।

इस बारे में पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त टी.एस. कृष्णमूर्ति का कहना है कि ऐसे मामलों में चुनाव आयोग की

शक्तियां सीमित हैं। आयोग के पास वैधानिक शक्ति नहीं है। जांच के बाद यदि आयोग को मामला सही लगता है तो आयोग एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे सकता है। इस मामले में यही किया गया है। इसके बाद जांच एजेंसियां और कानून को अपना काम करना होगा। यही विचार एक अन्य पूर्व मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त एन. गोपालसामी ने भी व्यक्‍त किए। उनके अनुसार कानून स्पष्ट है, एञ्चिजट पोल, चाहे वह किसी भी फॉर्म में हो, स्वीकार्य नहीं हैं। इस कानून का उल्लंघन करने वाली पार्टी को मतदाता को प्रभावित करने का प्रयास करने संबंधी अभियोग का सामना करना ही होगा। इसमें चुनाव आयोग उल्लंघन करने वाले के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज करवा सकता है।

वैसे दैनिक जागरण पहली बार विवाद में नहीं है।  प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने देश में पेड न्यूज से संबंधित तो जो जांच कराई थी उसमें अन्य अखबारों के साथ जागरण का नाम भी था। इस कमेटी में शामिल वरिष्ठ पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता के अनुसार 70 पन्नों की इस रिपोर्ट में पेड न्यूज की व्यापक पड़ताल की गई थी। इसके अलावा कई वर्ष पहले बसपा प्रमुख मायावती का नाम अखबार के नोएडा से प्रकाशित संस्करण में उनके नाम के साथ जातिसूचक शब्‍द के साथ छपा था। बसपा के कार्यकर्ताओं ने नोएडा में अखबार के दफ्तर को घेर लिया और जमकर पथराव किया। तब अखबार ने अपने निचले स्तर के कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर मामले को रफा-दफा किया था। इस बार भी यही तरीका अपनाया जा रहा है। जागरण के प्रबंधन ने उत्तर प्रदेश के मुख्‍य चुनाव अधिकारी को पत्र लिखकर बताया कि यह एञ्चिजट पोल को अखबार की अंग्रेजी वेबसाइट जागरण पोस्ट पर लगाने की अनुमति डिप्टी एडिटर वरुण शर्मा ने दी थी और प्रबंधन इस बारे में उचित कार्रवाई कर रहा है। जागरण ने अपनी सफाई में कहा है कि एञ्चिजट पोल सिर्फ अंग्रेजी वेबसाइट पर डाला गया, अखबार में नहीं। दैनिक जागरण के सीईओ और मुख्‍य संपादक संजय गुप्ता ने ये दावा किया इसे विज्ञापन विभाग ने वेबसाइट पर छापा था।

दैनिक जागरण अखबार की भारतीय जनता पार्टी से हमेशा करीबी रही है। अखबार के पूर्व संपादक दिवंगत नरेंद्र मोहन भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा के सदस्य रहे थे। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों की रिपोर्टिंग में अखबार की भूमिका संदिग्ध रही। आयोग ने जागरण को धारा 188 के उल्लंघन का आरोपी पाया है, इसके अलावा धारा 126 बी का भी आरोपी पाया है। धारा 126 ए के तहत अपराधी को दो साल के लिए जेल भेजा जा सकता है या फिर जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों हो सकता है।

 

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