Advertisement

सेहत के अधिकार की ओर

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 से होगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का कायाकल्प और सबको मिलेगी उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा
कार्ययोजना पेश करते पीएम नरेन्द्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री नड्डा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वस्थ भारत का नारा तभी फलीभूत हो सकता है जब स्वास्थ्य को स्कूली शिक्षा की तरह ही बुनियादी अधिकार बना दिया जाए। पिछले सप्ताह केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिस राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति पर अंतिम मुहर लगाई उससे कम से कम यह मंशा जरूर जाहिर हुई है। स्वास्थ्य प्रेक्षकों ने स्वास्थ्य नीति में देश की सार्वजिनक स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने एवं हर एक केलिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करने की बचनबद्धता के शुमार को एक बेहद सकारात्मक कदम करार दिया है। हालांकि सार्वजनिक स्वास्थ्य के मद में सरकारी खर्च को फ्मश: बढ़ा कर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत करने की बात भी कही गई है लेकिन भारत की आबादी के लिहाज से इतना भी ऊंट के मुंह में जीरे जैसा ही होगा। अभी तक यह प्रतिशत महज 1.04 ही है।

नीति से यह जाहिर हो रहा है कि केंद्र सरकार देश में ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) की तर्ज पर ही भारत में भी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने की मंशा रखती है। ब्रिटेन में केवल 20 प्रतिशत लोगों को ही स्वास्थ्य सेवा के खर्चीले द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की जरूरत पड़ती है। 80 प्रतिशत लोगों की इलाज संबंधी समस्याओं का हल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मिल जाता है। लेकिन ब्रिटेन के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र यहां के सरकारी अस्पतालों को भी मात करते हैं। वहीं भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति इतनी जर्जर है कि वहां मामूली रोगों का इलाज भी संभव नहीं। भारत की नई स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के ढांचे के कायाकल्प को लक्ष्य के रूप में पेश किया गया है।

भारत में सबके लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा मुहैया (यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज) करने की संकल्पना के शुरुआती प्रणेताओं में से एक पद्ब्रिलक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के चैयरमैन डॉ. श्रीनाथ रेड्डी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की प्रशंसा की है। आउटलुक हिंदी से बात करते हुए उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के जरिए एक ऐसी स्पष्ट रूपरेखा जरूर पेश की गई है जो देश की स्वास्थ्य सेवा को फ्मश: सर्वव्यापी स्वास्थ्य कवरेज की ओर ले जाएगी।

डॉ. रेड्डी ने स्वास्थ्य के मद में सरकारी खर्च को बढ़ा कर 2025 तक जीडीपी का 2.5 प्रतिशत किए जाने का भी स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह वृद्धि 2020 तक कर देना आदर्श स्थिति होती लेकिन फिर भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च की अनिवार्यता को स्वीकृति देना एक स्वागतयोग्य कदम है। इसमें व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को उच्च प्राथमिकता दिया जाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडरों का सृजन भी सही दिशा में उठाया जाने वाला कदम होगा। स्वास्थ्य नीति अच्छी है लेकिन असल चुनौती इसे शब्दश:लागू करना है क्‍योंकि इसे लागू करने की ज्यादा बड़ी जिम्मेवारी राज्यों पर होगी। डॉ. रेड्डी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में स्वास्थ्य नीति एक बहुत अच्छी शुरुआत है। सतत विकास का लक्ष्य है सबों के लिए हर उम्र में अच्छी सेहत और सबका कल्याण।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 को तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में सलाहकार राजेंद्र प्रताप गुप्ता ने हिंदी आउटलुक से कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से शुरू होता है। स्वास्थ्य नीति में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ करने की जो योजना पेश की गई है, उस हिसाब से देखें तो इस नीति के पेश होने के साथ ही भारत में लोगों को स्वास्थ्य का अधिकार मिल गया। गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत के नारे को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री ने इस नीति के पेश होने पर कहा-स्वस्थ भारत बनाने की हमारी कोशिशों में स्वास्थ्य नीति का पेश होना एक ऐतिहासिक क्षण है जब हर एक के लिए उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा मयस्सर होगा।

घर में एक बार कोई बीमार पड़ जाए तो आम आदमी के घर का बजट बुरी तरह बिगड़ जाता है। घर के किसी एक भी आदमी को कोई बड़ी बीमारी हो गई तो इलाज में इतना खर्च हो जाता है कि अच्छा खाता-पीता गरीबी रेखा के नीचे धंस जाता है। हर साल देश में लाखों लोग जेब से खर्च कर इलाज कराने की वजह से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। इस खर्च में दवा और जांच का खर्च 70 प्रतिशत होता है। ऐसे में स्वास्थ्य नीति में हर एक के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा, मुफ्त जांच, मुफ्त इमरजेंसी एवं आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने जैसी वचनबद्धता शामिल की गई है तो इससे बेहतर और क्‍या हो सकता है। स्वास्थ्य की यह नीति 15 साल के बाद आई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने कहा कि इस नई स्वास्थ्य नीति का लक्ष्य विकास की सभी नीतियों में रोकथाम एवं स्वस्थ रहने को प्रोत्साहन देना है ताकि सभी उम्र के लोगों को स्वास्थ्य और सेहत के लिए अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

निजी क्षेत्र के साथ मजबूत साझेदारी को भी रेखांकित किया गया है। हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों के जरिए आश्वासन आधारित व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का पहले से बड़ा पैकेज मुहैया करने की बात इसका महत्वपूर्ण पहलू माना जा रहा है। इस पैकेज में बड़े गैर संक्रामक रोग (एनसीडी), मानसिक रोग, बुजुर्ग स्वास्थ्य सेवा, दर्द निवारक

(पैलियेटिव) और पुनर्वास सेवा शामिल हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को दुरुस्त करने में संसाधन का बड़ा हिस्सा आवंटित करने का लक्ष्य रखा गया है और मंशा 1000 की आबादी पर 2 बेड उपलब्ध करने की भी है।  

Advertisement
Advertisement
Advertisement