उत्तर प्रदेश में एक बार फिर गालियों और अपशब्दों के सहारे राजनीतिक जंग लड़ी जा रही है। बेशक ताजा शुरुआत भाजपाई नेता दया शंकर सिंह द्वारा बसपा सुप्रीमो मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी से हुई हो मगर प्रदेश की राजनीति में इस प्रकार के ओछे आरोप-प्रत्यारोप एक जमाने से लगते आ रहे हैं। भाजपा के निलंबित प्रदेश उपाध्यक्ष दया शंकर के एक बयान ने प्रदेश की राजनीति में तूफान ला दिया है। हालांकि पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा दिया मगर बात यहीं नहीं थमी। जवाब में बसपाइयों ने उनकी पत्नी और बेटी को लेकर अपशब्द कहे। इसको लेकर दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने आगे आकर बसपा को रक्षात्मक स्थिति में ला खड़ा किया। प्रदेश के एक बड़े अखबार ने बसपा के एक निष्कासित नेता का साक्षात्कार छापा था, जिसने मायावती के विवाहित होने का दावा किया था। इस पर बसपाई उबल पड़े थे और उन्होंने लखनऊ में इसके खिलाफ एक रैली बुलाई थी। इसी रैली में कांशीराम ने अखबार के मालिक पर हमले किए थे, उनकी बेटी को लेकर अपशब्द कहे थे।
इस बार बसपा नेता नसीमुद्दीन के बयान के बाद पार्टी के अनेक नेताओं ने दयाशंकर की जबान काट कर लाने वाले को पचास लाख रुपया इनाम देने की घोषणा कर डाली। इस मुद्दे पर हालांकि मायावती बेहद खफा बताई जा रही हैं। हालांकि प्रदेश में अपशब्दों की राजनीति की जनक उन्हें ही बताया जाता है। तिलक, तराजू और तलवार जैसे नारे देकर प्रदेश में जातीय विभाजन उन्होंने ही तेज किया था। महात्मा गांधी को शैतान की औलाद बताने वाला उनका बयान आज भी लोग भूले नहीं हैं। पार्टी की रैली में आज भी ऐसे नारे लगाए जाते हैं जो प्रकाशित नहीं किए जा सकते।
‘लड़कों से गलती हो जाती है’ अथवा ‘दो लोग मिलकर एक महिला का बलात्कार कर ही नहीं सकते,’ जैसे अपने अनुचित बयानों के लिए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह भी चर्चा में रहे हैं। बसपा के लोग सपा को मंचों से गुंडों की पार्टी कहते हैं और सपा के प्रदेश अध्यक्ष मायावती के खिलाफ अपशब्द कहकर हमले करते रहे हैं। मायावती की वैवाहिक स्थिति को लेकर मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी की महिला नेता लीलावती कुशवाहा सवाल उठा चुके हैं। पार्टी के कद्दावर नेता शिवपाल यादव मायावती और कांशीराम के संबंधों पर अश्लील टिप्पणी कर चुके हैं। मायावती तो मुलायम सिंह को विक्षिप्त तक कह चुकी हैं। सपा नेता आजम खान का अधिकांश गुस्सा राज्यपाल पर ही निकलता है मगर कारगिल युद्ध की विजय का श्रेय मुस्लिमों को देने, आरएसएस को आतंकी संगठन बताने और ताज महल के मकबरा होने का बयान देकर अकसर विवादों को जन्म दिया है। रामपुर से जयाप्रदा के सांसद चुने जाने पर वह उन्हें आम्रपाली के विशेषण से भी नवाज चुके हैं। योगी आदित्यनाथ से बदबू आने जैसे बयान भी चुके दे हैं।
यूं तो उत्तर प्रदेश कांग्रेस में भी बड़बोले नेताओं की कमी नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय नेता भी यहां आकर बेकाबू हो जाते हैं। अब एक बार फिर मुलायम सिंह का दामन थाम चुके बेनी प्रसाद वर्मा जिन दिनों कांग्रेस में थे, मुलायम सिंह के लिए ‘पगला गए हैं, सठिया गए हैं’ जैसे विशेषण लगाते रहते थे। कानपुर से सांसद रहे प्रकाश जायसवाल एक सभा में बयान देकर फंस चुके हैं। राजबब्बर मोदी के छप्पन इंच के सीने के बदले उनके पेट का बयान देकर कांग्रेस की नजरों में चढ़ गए।
भाजपा में भी विवादित बयान देने वालों की लंबी चौड़ी फौज है। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी आंदोलनरत महिलाओं के प्रति लिपस्टिक-बिंदी वाली औरतें जैसे बयान दे चुके हैं तो अरविंद केजरीवाल को खुजली वाले के नाम से भी पुकार चुके हैं। साक्षी महाराज कहते हैं कि हिंदू औरतों को चार बच्चे पैदा करने चाहिए। वह राहुल गांधी को पागल करार दे चुके हैं। निरंजन ज्योति का ‘रामजादों’ या ‘हरामजादों’ वाला बयान या योगी आदित्यनाथ का धर्म परिवर्तन करने को राष्ट्रीयकरण कहना विवादित रहा। भगवा खेमे के ही बाबा रामदेव ने लखनऊ में राहुल गांधी को लेकर कहा कि वह दलितों की झोंपड़ियों में हनीमून मनाने जाते हैं। साध्वी प्राची कहती हैं कि भारत को मुस्लिम मुक्त कराना है। पार्टी के भदोही से सांसद वीरेंद्र सिंह सोनिया गांधी के खिलाफ संसद में गोरी चमड़ी वाला बयान देकर पार्टी की किरकिरी करा ही चुके हैं। कुल मिला कर बात वही है कि प्रदेश में अपशब्दों के प्रयोग में कोई भी दल पीछे नहीं।