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‘2020 तक इलेक्ट्रिकल व्हीकल का बड़ा बाजार बनेगा भारत’

केंद्रीय विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने अपने मंत्रालय में कई अहम योजनाओं पर काम शुरू किया है। उनका दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार है। केंद्र में अपने मंत्रालय के साथ ही वह दिल्ली के लिए भी बेहद सक्रिय रहते हैं। प्रस्तुत है उनसे आउटलुक की बातचीत के प्रमुख अंश:
केंद्रीय विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन

टेक्नोलॉजी विजन 2035 के अंतर्गत दूरगामी लक्ष्य क्या हैं?

वर्ष 2035 तक भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विश्व में अग्रणी होगा। स्टार्ट्स-अप और इंक्यूबेटरों के लिए अनेक नई पहल और टैक्स सहूलियतें दी गई हैं। स्वच्छ पेय जल पर्याप्त उपलब्ध होगा। बेहतर गुणवत्ता के बीज, प्लांटेशन सामग्री, आधुनिक कृषि पद्धतियां लागू करना, मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर करना जैसे आधुनिक प्रबंधन व्यवस्था लागू कर कृषि और खाद्य सुरक्षा की समस्या का निराकरण किया जाएगा। स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी और चिकित्सा यंत्र कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। स्मार्ट हाउसिंग और शहरों के लिए वैज्ञानिक विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे।  

आपके मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। प्रयोगशालाओं की गुणवत्ता की पड़ताल एवं विस्तार के लिए क्या कर रहे हैं?

भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी आदि में देश की कुछ प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशालाएं इस मंत्रालय के अधीन हैं। मैंने 90-95 प्रतिशत प्रयोगशालाओं का दौरा किया है। उद्देश्य है कि अनुसंधान का लाभ जनता तक पहुंचे। 

किन देशों के साथ सहयोग बढ़ाया गया है?

मेरे मंत्रालय ने सभी प्रमुख देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग कायम किया है। वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और उद्यमियों को साथ लिया है। ऑस्ट्रेलिया के साथ मानव स्वास्थ्य और कृषि बॉयो-टेक्नोलॉजी में, कनाडा के साथ स्वच्छ जल और स्वास्थ्य में सहयोग ले रहे हैं। जापान के साथ इंटरनेट, आंकड़ों का विश्लेषण और कृत्रिम इंटेलीजेंस, स्टेम सेल रिसर्च के लिए संयुक्त प्रयोगशालाएं हैं। इस्राइल के साथ हम जल, स्वास्थ्य, कृषि और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। अफ्रीकी देशों के साथ भी सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। सी.ई.आर.एन. में भारत प्रमुख भागीदार है, जहां हिग्स बोसोन की खोज की गई थी। एल.आई.जी.ओ. परियोजना में गुरुत्वाकर्षण तरंगों की खोज की गई थी। अब हम फ्रांस के साथ समुद्री जीवविज्ञान में एक प्रमुख उपक्रम में लगे हुए हैं। 2014 में हस्ताक्षरित भारत-यूके न्यूटन-भाभा समझौते के तहत 150 मिलियन का निवेश किया गया है।  

पेय जल के लिए जल टेक्नोलॉजी पहल कार्यक्रम (डब्ल्यू.टी.आई.) में क्या प्रगति हुई है

देश के 23 राज्यों के 225 गांवों में जल चुनौतियों को प्रौद्योगिकी के जरिये हल किया गया है। 1.6 मिलियन लोग लाभान्वित हुए हैं। हमने पेय जल से आर्सेनिक और फ्लोराइड हटाने तथा खाड़ी और समुद्री जल को नमक विहीन बनाने के लिए सस्ती प्रौद्योगिकी का विकास किया है।

भौतिकी, रसायन, भू-विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान तथा इंजीनियरिंग क्षेत्र में अनुसंधान के क्षेत्र में महिलाओं को प्रोत्साहन देने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

हमने विज्ञान किरण में महिलाओं के लिए योजनाएं शुरू की हैं। इसका लाभ तीन हजार से अधिक महिला वैज्ञानिकों ने उठाया है। दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों, विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू- कश्मीर में भी कई परियोजनाओं को भी मदद दी है। छोटे कस्बों और आदिवासी क्षेत्रों में महिला

टेक्नोलॉजी पार्कों की स्थापना की जा रही है। महिला किसानों के लिए शीघ्र बायोटेक-किसान कार्यक्रम के तहत फैलोशिप कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।       

इलेक्ट्रिकल व्हीकल योजना में क्या प्रगति है?

इलेक्ट्रिकल कार में 2009 में पहली बार लिथियम आयन बैटरी का उपयोग किया गया। यह किसी भी प्रचलित आम वाहन के कार्य निष्पादन की बराबरी कर सकती है। लिथियम आयन बैटरी महंगी है। हमने भारी उद्योग विभाग की फेम इंडिया स्कीम के अंतर्गत भारत में ऐसा उपभोक्ता सब्सिडी कार्यक्रम शुरू किया है।

भारत के लिए उपयुक्त इलेक्ट्रिकल व्हीकल का विकास करने के प्रयास चल रहे हैं, जिनमें दो पहिया वाहन, छोटी कार, टैक्सी, बस शामिल हैं। वर्ष 2020 में छह मिलियन इलेक्ट्रकल व्हीकल की बिक्री का हमारा लक्ष्य है। प्रमुख इलेक्ट्रिकल व्हीकल बाजार के रूप में भारत के उभरने की बेहतर संभावनाएं हैं। 

आपके मंत्रालय के तहत मानसिक समस्याओं पर क्या अनुसंधान हो रहे हैं?

हमारा राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य करता है। हम नीदरलैंड जैसे कई अंतरराष्ट्रीय भागीदार देशों के साथ स्ट्रोक और ब्रेन हैमरेज तथा वृद्ध लोगों में पहचानने संबंधी परेशानियों के कारणों और परिणामों पर काम कर रहे हैं। जापान के साथ हमारा अनुसंधान कार्यक्रम स्टेम कोशिकाओं पर है। जोर इस बात पर है कि इनका उपयोग किस प्रकार सीजोफ्रेनिया, ऑटीज्म और अल्जाइमर रोगों के निदान में किया जा सकता है।

दिल्ली जैसे महानगर में प्रदूषण से मुक्ति के लिए आपके विभाग से भी क्या कोई अध्ययन हुआ है? दिल्ली सरकार का ऑड इवन अभियान कितना लाभकारी हुआ है?

दिल्ली में हमारे मंत्रालय ने एसएएफएआर (सफर) नामक एक शोध आधारित प्रबंधन प्रणाली का गठन किया है, जिसमें हम दिल्ली महानगर की वायु की गुणवत्ता एवं इसमें होने वाले प्रदूषण का क्रमबद्ध रूप से आकलन करते हैं। यह प्रणाली किसी स्थान विशेष पर वास्तविक समय में हवा की गुणवत्ता की जानकारी देने के साथ-साथ एक से तीन दिनों में होने वाले बदलाव का भी पूर्वानुमान देती है। 

कोई भी अभियान जो महज सांकेतिक और राजनीतिक प्रशंसा प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया हो, उससे न तो जनता का भला होता है और न ही उस अभियान को सफलता मिलती है। ऑड इवन अभियान को लेकर दिल्ली सरकार की मंशा राजनीतिक लाभ की है।

विज्ञान टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अन्य बड़े देशों की तुलना में भारत का बजट बहुत कम रहता है। इसलिए कई प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक पलायन कर विदेश में काम करने लगते हैं। इस बारे में आपकी सरकार ने क्या किया है?

हमारी सरकार ने जूनियर रिसर्च फैलो, सीनियर रिसर्च फैलो और अनुसंधान एसोसिएट की फैलोशिप 50 प्रतिशत से बढ़ाकर अक्टूबर, 2014 में अनुसंधान विद्वानों की चिरप्रतीक्षित मांग पूरी की है। नए अनुसंधानकर्ताओं के लिए नई योजनाएं शुरू की गई हैं। राष्ट्रीय पोस्ट डॉक्ट्रल फैलोशिप स्कीम शुरू की गई है। उच्च गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए उच्च जोखिम-उच्च पुरस्कार अनुसंधान योजना शुरू की गई है। हमने विदेशों से अपने सर्वोत्तम युवा वैज्ञानिकों को वापस लाने के लिए वेलकम ट्रस्ट के साथ भागीदारी की है। यह और हमारी रामानुजम और रामालिंगा स्वामी फैलोशिप प्रतिभा पलायन को उलटने के लिए बहुत प्रभावी रही हैं। 

मंत्रालय के अलावा दिल्ली की जनता को भी आपसे बड़ी अपेक्षा रहती है। दिल्ली में स्वास्थ्य सुविधाओं और डी.डी.ए. से योजनाओं के लिए

क्या कुछ किया जा सकेगा? आप तो पोलियो उन्मूलन जैसे अभियानों से जुड़े रहे हैं।

दिल्ली की जनता के लिए मैं सदैव समर्पित हूं। उनके माध्यम से स्वास्थ्य,शहरी विकास मंत्रालय एवं दिल्ली विकास प्राधिकरण से संबंधित जिन भी समस्याओं की जानकारी मुझे मिलती है, उन समस्याओं को केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, उपराज्यपाल एवं दिल्ली विकास प्राधिकरण के माध्यम से निराकरण करवाने का प्रयास करता हूं। मुझे प्रसन्नता है कि आज भारत पोलियो मुक्त है।

डीडीए के साथ परामर्श करते हुए डीबीटी और नीदरलैंड सरकार ने दिल्ली के बारापुला नाला, सराय काले खां की पहचान प्रस्तावित अंतरविषयक प्रौद्योगिकीय समाधानों के लिए प्रदर्शन स्थल के रूप में की है, ताकि नए अशुद्ध जल प्रबंधन समाधानों का प्रदर्शन किया जा सके। बारापुला 12.5 किलोमीटर लंबा नाला है और इससे यमुना नदी में लगभग 30 प्रतिशत प्रदूषण होता है। इसमें डच और भारतीय वैज्ञानिकों के बीच लंबी अवधि का सहयोग होगा।  

दिल्ली की केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार में टकराव के कारण जनता को कितना नुकसान हो रहा है?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी अधिकतम ऊर्जा केंद्र सरकार के ऊपर अविवेकपूर्ण और बेबुनियाद आरोप लगाने में लगा रहे हैं। दिल्ली की स्थिति विकास के नाम पर बद से बदतर होती जा रही है।

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