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‘आनंद’ का मंगलगान

मध्य प्रदेश में आनंद मंत्रालय के गठन को लेकर कितनी गंभीर है शिवराज सरकार
साधना सिंह और मंत्री सुरेंद्र पटवा के बीच बैठे जग्गी वासुदेव

तेरह साल से सत्ता के समंदर में आनंद से सराबोर मध्य प्रदेश की भाजपा नीत सरकार ने आनंद विभाग गठित किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस विभाग को अपने पास रखा है। आनंद मंत्रालय कितना कुछ कर पाएगा, इसको लेकर संशय बरकरार है। सोशल मीडिया में आनंद मंत्रालय को लेकर लतीफे चल रहे हैं। हाल में तीन नगरीय निकायों में भाजपा की हार और कांग्रेस की जीत के बाद ऐसे करारे कटाक्ष हुए जो मुख्यमंत्री के आनंद में खलल पैदा करने वाले थे। तमाम सवालों से जूझ रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि वह आनंद विभाग की परिकल्पना को साकार करने के लिए गंभीर हैं। चौहान के अनुसार ‘इस विभाग के गठन का फैसला साहस का काम था। भारत में आनंद मंत्रालय का गठन करने वाला पहला राज्य बना है मध्य प्रदेश। विदेशों में पहले से इस तरह के मंत्रालय की अवधारणा चली आ रही है। डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, नार्वे, आयरलैंड और भूटान जैसे देशों में आनंद मंत्रालय पहले से ही काम कर रहे हैं।’

 जानकारों के अनुसार, मध्य प्रदेश में आनंद मंत्रालय की बुनियाद रखवाने वालों में वासुदेव जग्गी महाराज हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरु हैं। इसके सूत्रधार मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस हैं। कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन चलाने वाले वासुदेव जग्गी महाराज पिछले कुछ महीनों से मध्य प्रदेश की सरकार और मुख्यमंत्री के लिए अहम हो गए हैं। प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस भी करीब दो साल से वासुदेव जग्गी महाराज के शिष्य हैं।

मध्य प्रदेश में उनकी अहमियत का अंदाजा सिंहस्थ के बाद आयोजित वैचारिक महाकुंभ में हुआ। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वासुदेव जग्गी महाराज के बीच इकबाल सिंह सूत्रधार बने हैं। उन्हीं के आग्रह पर वासुदेव जग्गी महाराज वैचारिक कुंभ में आए। शिवराज सिंह चौहान ने ईशा फाऊडेशन में दो दिन बिताए। खबरें हैं कि सरकार जल्द ही जग्गी महाराज को मप्र में ईशा फाउंडेशन के लिए नर्मदा किनारे जमीन देने जा रही है।

जहां तक डेनमार्क, आयरलैंड, स्विट्जरलैंड, नार्वे और भूटान जैसे देशों में आनंद मंत्रालय का सवाल है तो वहां खुशी या हैप्पीनेस को नापने का पैमाना महंगाई से जुड़ा है। उन सरकारों का मानना है कि यदि लोग महंगाई से त्रस्त नहीं होंगे तो खुश रहेंगे। इसलिए वहां प्राइस इंडेक्स की जगह ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ प्रचलित है। भारत में भी यूपीए शासन काल के दूसरे दौर में रिजर्व बैंक ने प्राइस इंडेक्स की जगह ‘हैप्पीनेस इंडेक्स’ का प्रस्ताव किया था। केंद्रीय सरकार के स्तर पर यह प्रस्ताव विचाराधीन है। मध्य प्रदेश में जो आनंद विभाग घोषित हुआ है, उसकी अवधारणा अभी स्पष्ट नहीं है। वैसे मध्य प्रदेश में नया विभाग बनाने की पहल उस वक्त की गई है, जब केंद्र सरकार राज्यों में विभागों की संख्या घटाने की योजना पर काम कर रही है। मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी ने राज्यों को बाकायदा एक परिपत्र जारी करके उनके राज्यों की आबादी के हिसाब से विभागों को प्रस्ताव भेजा है। मध्य प्रदेश में विभागों की संख्या 55 से घटाकर 27 करने का प्रस्ताव भेजा गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आउटलुक से कहा कि वह जल्द एक कोर ग्रुप गठित करेंगे। यह ग्रुप विभाग का स्वरूप तय करेगा। जग्गी वासुदेव, बाबा रामदेव और श्रीश्री रविशंकर सहित साधु-संतों, मनीषियों, बुद्धिजीवियों और संस्कृतिकर्मियों से राय ली जाएगी। स्कूलों में बाल सभा और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। निराश होती युवा पीढ़ी का ख्याल रखा जाएगा। आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी तथा कानून और मेडिकल के देश के शीर्षस्थ संस्थानों में चयन होने पर सरकार मेधावी छात्रों को ब्याज मुक्त कर्ज देगी। उन्हें नौकरी मिलने पर छोटी-छोटी किश्तों में कर्ज चुकाने की छूट होगी। यह सुविधा बगैर जातिगत भेदभाव के सभी युवाओं को मिलेगी। इसके लिए फंड की कमी नहीं होगी।

दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का मानना है कि आनंद मंत्रालय की अवधारणा प्रदेश की हैरान परेशान जनता का मजाक उड़ाने वाली है। यादव के मुताबिक यदि सरकार के सभी विभाग अपना काम ईमानदारी से करने लगें तो लोगों को खुद-ब-खुद आनंद का अहसास होने लगेगा। लेकिन देश और प्रदेश में हाहाकार के हालात हैं। बाजार बेजार हैं। धंधा मंदा है तो लोग कैसे खुश हो सकते हैं? रियल एस्टेट का धंधा बैठने से केवल बिल्डर ही नहीं, निर्माण सामग्री का कारोबार करने वाले लोग हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं। इलेक्ट्रिशियन, वेल्डर, फिटर, कारपेंटर, मिस्त्री, बेलदार, रंगाई-पुताई करने वाले बेकारी का दंश झेल रहे हैं। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेसी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का आरोप है कि सरकार नाकाम रही है। इसी के चलते वह लोगों का ध्यान हटाने के लिए आनंद विभाग की शिगूफेबाजी करने में जुटी है।

बहरहाल, आनंद के मंगलगान के बीच मुख्यमंत्री एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि वह अपने प्रदेश की जनता को आनंद से सराबोर करके ही दम लेंगे। उनके आलोचक भी एक दिन उनके इस फैसले को सही ठहराएंगे।

 

 

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कैसा होगा आनंद मंत्रालय

आनंद मंत्रालय के प्रस्तावित सेट अप में एक अध्यक्ष, एक मुख्य कार्यकारी, एक निदेशक-शोध, एक निदेशक-समन्वय और अन्य स्टाफ का प्रावधान रखा गया है। बजट होगा- 3.5 करोड़ रुपये। यह विभाग जन कल्याण के लिए दूसरे विभागों, संस्थानों, संगठनों और लोगों से समन्वय करेगा। लोगों की जीवनशैली, प्राथमिकताएं, सोच और जरूरतों के बारे में अध्ययन कर यह विभाग अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा।

आनंद का पैमाना निर्धारित करने के लिए कई देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुछ काम किए हैं। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, सांस्कृतिक अनेकता, स्वस्थ जीवन, सामाजिक संबंध, आर्थिक प्रगति, आपसी भरोसा, भावनाएं- कई विषयों को ध्यान में रखकर पैमाना निर्धारित किया जाएगा। इनके आधार पर सर्वे रिपोर्ट जारी की जाएगी।

मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि यह राज्य अब बीमारू नहीं रह गया है। अब यह तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला राज्य है। राज्य में प्रति व्यक्ति अनाज का उत्पादन 318 किलोग्राम है। यह देश का अनाज बास्केट बन रहा है। सोयाबीन, दालें, लहसुन और तिलहन में अग्रणी है। गेहूं, प्याज, संतरा और धनिया के उत्पादन में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। पिछले 10 साल में राज्य का बजट 540 फीसद बढ़ा है। प्रति व्यक्ति आय अब 69 हजार रुपये हो गई है। घरों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है। पिछले दस साल में बिजली की उपलब्धता 400 फीसद बढ़ी है। कृषि कार्य के लिए 10 घंटे बिजली उपलब्ध है। साक्षरता 70.6 फीसद बढ़ी है। आदिवासी इलाकों में खूब काम हो रहे हैं।

-दीपक रस्तोगी

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