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मर्सडीज से आए हैं जी

स्टेटस बताता है आज का स्मार्ट फोन
दिखावे की दुनिया में जी रहे हैं सभी

एप्पल का नया फोन लाख रुपये से ऊपर का है। पहले बंदे लखपति होते थे, अब फोन लखपति होने लगे। विकास इसे ही कहते हैं। उनका ईमेल आया, ईमेल के नीचे जो लिखा था उसका अर्थ था, ‘‘मेरे आईफोन द्वारा भेजा गया।’’ क्षमा करें, यह मामला कुछ ऐसा ही है, जैसे किसी के घर में कोई जाए और घर में घुसते ही घोषणा कर दे, ‘‘जी हम मर्सडीज से आए हैं या रोल्स रॉयस से आए हैं।’’ बताने की इच्छा तो जी रहती है कि मेजबान तो क्या पूरे रास्ते चल रहे हर बंदे को बता दें कि मर्सडीज या रोल्स रॉयस से आ रहे हैं। पर जी यूं किसी के घर में घुसकर कोई बताता नहीं है कि मर्सडीज से आए हैं। यह सरासर बदतमीजी है। पर जी आईफोन के मामले में इसे बदतमीजी नहीं माना जाता। मतलब चाइनीज फोन रखने वाले इतने तमीज वाले लगते हैं कि संदेश भेजकर कभी नहीं बताते, ‘‘सेंट फ्रॉम चाइनीज फोन।’’

कुछ फूहड़ लोग तो मर्सडीज के रेट तक बताने लगते हैं कि इत्ते करोड़ की गाड़ी में बैठकर हम आए। कुछ एप्पल के फूहड़ प्रयोक्ता ऐसा भी आग्रह कर सकते हैं एप्पल कंपनी से, ‘‘प्लीज पूरा संदेश यह लिखवाया करो, सेंट फ्रॉम आइफोन प्राइस्ड एट 108000 रुपीज।’’ इम्प्रेशन पड़े तो पूरा पड़े। कुछ लोगों के काम इम्प्रेशन नहीं छोड़ पा रहे हैं तो यह जिम्मा एप्पल फोन पर लगा दिया है।

पर कोई दिन में ऐसा कितना इम्प्रेशन मार सकता है। सोचिए, एक दिन में उस एप्पलधारी बंदे की तरफ से पचास मेल आए और सारे मेल यह बताए कि हम आइफोन से आए हैं। अरे भाई सुन ली, एक बार सुन ली। अब पचास बार कोई बताए कि हम मर्सडीज से आए हैं तो उस व्यक्ति को, आमने-सामने हों तो चांटा मारने का मन हो सकता है। पर अभी ऑनलाइन चांटे की व्यवस्था नहीं हुई है न, सो दिन में पचास बार झेलिए, ‘‘सेंट फ्रॉम माय आइफोन।’’

भई यूं कर लो हफ्ते के एंड में एक बार बता दिया जाए कि पूरे हफ्ते आइफोन से ही मैसेज भेजे। हफ्ते में एक बार बताने पर आइफोनधारियों को दिक्कत हो, तो चलो रोज रात को बता दो कि हमने दिनभर आइफोन से मैसेज भेजे। मुझे डर है कि कुछ दिनों बाद आइफोन से भेजे गए संदेश यह हंगामा न करने लगें कि हम ऐरे-गैरे संदेश नहीं हमें अलग से सहेज कर रखो। ये क्या कॉमन मेल बाक्स में डाल रखा है, जहां चाइनीज फोनों से आए मेल भी भरे पड़े हैं, इनसल्टिंग।

मैंने एक आइफोनधारी से इस संबंध में चर्चा की, तो उन्होंने बताया कि राइट टू इनफॉर्मेशन के तहत मैसेज रिसीव करने वाले को मालूम होना चाहिए कि किस मोबाइल से मैसेज भेजा जा रहा है। मैंने निवेदन किया कि फिर तो पूरी इनफॉर्मेशन यूं मिलनी चाहिए, आइफोन द्वारा भेजा गया, इसे उधार पर लिया गया है। ईएमआइ पिछले दो महीनों से नहीं दे पाए हैं। अब इनफॉर्मेशन मिले तो पूरी मिले।

आइफोनधारी गुस्सा हो गया। बोला, ‘‘इनफॉर्मेशन पूरी मिलने लगे, तो आफत हो जाएगी।’’ मैंने एक बार अपने एक मित्र से पूछा, क्यों छंटनी हो गई है या नौकरी चली गई है। मित्र घबरा गया और बोला, ‘‘तुम्हें कैसे पता, ये बात तो मैंने अपनी बीवी तक को नहीं बताई।’’ मैंने समझाया, तुम्हारे मैसेज के नीचे ये संदेश नहीं आ रहे कि आइफोन द्वारा भेजा गया। दफ्तर ने अपना आइफोन वापस ले लिया होगा। सो आम मोबाइल से ही काम चल रहा है तुम्हारा। मैंने फिलॉसाफिकल संदेश दिया, प्यारे जो डिवाइस तुम्हारा स्टेटस बढ़वा सकती है, वही गिरवा भी सकती है। 

वैसे स्टेटस के मामले में मुझे भारतीय प्रतिभा पर पूरा यकीन है। देर-सबेर ऐसा सॉफ्टवेयर आएगा, जिसके चलते सामान्य से चाइनीज मोबाइल से भेजे गए मैसेज के नीचे भी आ सकेगा, ‘‘सेंट फ्रॉम माय आइफोन।’’

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