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खूबसूरत रहने की जुगत

चेहरा और शरीर हमेशा जवां और सुंदर दिखे, लोगों में इसकी चाहत लगातार बढ़ रही है और इसके साथ ही बढ़ रहा है इससे जुड़ा कारोबार
अपने क्लाएंट का सौंदर्य उपचार करतीं डॉ. दीपाली भारद्वाज

भारतीय पौराणिक कथाओं में एक प्रतापी राजा ययाति का जिक्र अकसर आता है जिन्होंने अपने बेटे पुरु से अपनी उम्र बदल ली थी। राजा ययाति की जीवन और यौवन को भोगने की इच्छा पूर्ण नहीं हुई थी मगर एक शाप के कारण उन्हें असमय बुढ़ापे ने आ घेरा था। ऐसे में शाप देने वाले उनके ससुर शुक्राचार्य ने उन्हें राहत देते हुए कहा कि अगर कोई युवा अपनी जवानी उन्हें दे दे तो वह फिर से युवा हो सकते हैं। इसी के तहत उनके बेटे ने अपनी जवानी उन्हें दे दी और ययाति फिर से युवा हो गए थे। उनका बुढ़ापा पुरु को मिल गया था। ये भले ही पौराणिक कथा हो और हकीकत में यूं उम्र की अदला-बदली संभव न हो मगर हमेशा युवा रहने की ‘ययाति चाह’ उस काल से इस काल तक बिलकुल नहीं बदली है। समाज में चारों ओर नजर दौड़ाइए और आप पाएंगे कि उम्र भले ही 60 पहुंच रही हो मगर 35 का दिखने की होड़ मची हुई है। आधुनिक ययातियों के लिए पुरु की भूमिका ब्यूटी क्लिनिक, त्वचा रोग विशेषज्ञ, प्लास्टिक सर्जन या कॉस्मेटिक सर्जन, फिटनेस सेंटर और आयुर्वेद केंद्र आदि निभा रहे हैं जो मोटे पैसे के बदले उन्हें कम उम्र दिखाने का चमत्कार करते हैं।

सदा जवानी की इस चाह ने भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में सौंदर्य और तंदुरुस्ती से जुड़े एक बड़े उद्योग को जन्म दिया है जिसमें पूरी दुनिया में लाखों लोगों को कारोबार मिला हुआ है। इस कारोबार का फलक बेहद व्यापक है जो रेडीमेड सौंदर्य उत्पादों से लेकर सर्जरी, नॉन सर्जरी तकनीक, आयुर्वेदिक प्रक्रिया और व्यायाम आदि तक फैला है। अकेले अमेरिका में लोगों ने पिछले वर्ष करीब 9,400 अरब रुपये यानी करीब 9 लाख 40 हजार करोड़ रुपये सदा जवानी की इस चाह को पूरा करने में खर्च कर दिए हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा कॉस्मेटिक सर्जरी, जिसे आम बोलचाल की भाषा में प्लास्टिक सर्जरी के नाम से जाना जाता है, पर खर्च किए गए हैं। भारत में राष्ट्रीय दक्षता विकास निगम ने इस उद्योग को लेकर हाल में एक सर्वे कराया है जिसके अनुसार वर्ष 2015 में इस उद्योग का कुल कारोबार 50 से 60 हजार करोड़ रुपये के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। इसमें से करीब 28 हजार करोड़ रुपये सौंदर्य उत्पादों पर, 18 हजार करोड़ रुपये सौंदर्य एवं तंदुरुस्ती पर, सात हजार करोड़ रुपये फिटनेस पर और करीब 22 सौ करोड़ रुपये कायाकल्प पर खर्च किए गए हैं। निगम की इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में इस उद्योग का कारोबार 80 हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंच सकता है। ये मामूली आंकड़ा नहीं है। वैसे अमेरिका के मुकाबले भारत में यह पता लगाना ज्यादा मुश्किल है कि इस क्षेत्र में लोगों का वास्तविक खर्च क्या है क्योंकि गली-मुहल्लों तक में खुले ब्यूटी और फिटनेस केंद्रों पर होने वाले खर्च का अनुमान लगाना आसान नहीं है।

सिर पर बाल लगवाने की चाहत में आते हैं दूर-दूर से लोग

दिल्ली के बेहद पॉश इलाके डिफेंस कॉलोनी में द स्किन एंड हेयर क्लिनिक के नाम से कायाकल्प केंद्र चला रहीं वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपाली भारद्वाज आउटलुक से बातचीत में कहती हैं कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी उम्र से पहले ही बूढ़े दिखने लगते हैं। जिन चीजों से उम्र को स्वाभाविक समय तक थाम के रखा जा सकता है उन्हें करने का वक्त ही नहीं है लोगों के पास। सात से आठ घंटे की भरपूर नींद लेना, घर से बाहर की शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेना, खाने में स्वास्थ्यकर चीजें लेना आदि ऐसी बातें हैं जो आपके शरीर पर उम्र के असर को दिखने से रोकती हैं मगर कम से कम देश के महानगरों में तो लोगों के पास इन चीजों के लिए वक्त नहीं है। लिहाजा चेहरे पर झुर्रियां, त्वचा ढीली हो जाना, बाल झड़ने लगना, उम्र से पहले ही बाल सफेद होने लगना, शरीर पर चर्बी की मोटी परत जमा होना आम बातें हो गई हैं। ऐसे में लोगों के पास इसके अलावा और कोई चारा नहीं बचता कि वे कायाकल्प केंद्रों की शरण में जाएं या बाजार में मौजूद सौंदर्य उत्पादों का सहारा लें। हालांकि ये सौंदर्य उत्पाद कितने कारगर होते हैं यह कहना मुहाल है। डॉ. दीपाली बताती हैं कि त्वचा के इलाज के जरिये लोगों की उम्र कम दिखाना आजकल सबसे अधिक चलन में है। इसके लिए आजकल कई तरीके इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं। इनमें सबसे प्रचलित तरीका है बोटोक्स की सूइयां लगवाना। बोटोक्स के इंजेक्शन का एक बार का पूरा कोर्स करीब 7 से 8 हजार का होता है और इससे चेहरे की त्वचा करीब 3 महीने के लिए टाइट हो जाती है। बॉलीवुड के कई अभिनेता और अभिनेत्रियों में इसका खासा प्रचलन है। हालांकि बोटोक्स के साथ अब फिलर्स का प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है। इसकी खासियत यह है कि ये ज्यादा टिकाऊ होता है। 15 हजार रुपये का इसका कोर्स करीब 10 महीने तक त्वचा के किसी भी तरह के और उपचार से मुक्ति दे देता है। चेहरे की त्वचा के अलावा उम्र के साथ आई ब्रो यानी भौंहें नीचे की ओर लटक जाती हैं। भौंहों को ऊपर उठाने में थ्रेड तकनीक की मदद ली जाती है। इसमें तीन से चार सिटिंग के कोर्स का खर्च 7 से 8 हजार रुपये आता है और यह एक साल तक टिकता है। डॉक्टर दीपाली के अनुसार फेस लिफ्ट की सबसे आधुनिक तकनीक जो चेहरे की सुंदरता बढ़ाने और उम्र को कम दिखाने के लिए आजकल काफी मांग में है वह है पीआरपी तकनीक। आम बोलचाल की भाषा में इसे वैंपायर या ड्रैक्यूला फेस लिफ्ट तकनीक भी कहते हैं। इसमें संबंधित व्यक्ति का खून लेकर उसे एक विशेष तकनीक की मदद से एक नियत तापमान पर प्रसंस्कृत किया जाता है। प्रसंस्कृत करने के बाद इसकी मात्रा बेहद कम रह जाती है और इसका रंग भी करीब-करीब पानी जैसा हो जाता है। इसके बाद इसे चेहरे पर इंजेक्ट किया जाता है। 15 से 20 हजार रुपये के खर्च में यह चेहरे में करीब 12 महीने तक कसाव बनाए रखता है। वैसे खास बात यह है कि इन सभी तकनीकों में आज भी सबसे अधिक मांग बोटोक्स की है क्योंकि उससे चेहरे की झुर्रियां बिलकुल गायब हो जाती हैं जबकि दूसरी तकनीकों में झुर्रियां कम होती हैं मगर पूरी तरह खत्म नहीं होतीं। वैंपायर तकनीक में तो झुर्रियां 50 फीसदी तक ही कम होती है। हालांकि एक तथ्य यह भी है कि बोटोक्स के गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं जिसके कारण दूसरी तकनीकों की मांग अब बढ़ रही है।

उम्र पर काबू पाने की पूरी दुनिया में सबसे प्रचलित तकनीक है प्लास्टिक सर्जरी। आधुनिक समय में चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के साथ यह तकनीक और लोकप्रिय होती जा रही है। दरअसल, चेहरे या शरीर की ऐसी कोई खामी जो आपकी खूबसूरती में रुकावट डालती है उसे इस तकनीक से दूर करना अब आम हो गया है। बॉलीवुड के कई अभिनेता इस तकनीक के जरिये अपने चेहरे में मामूली बदलाव करवा चुके हैं जिससे उनके लुक पर खासा असर पड़ा है। ऐसे अभिनेताओं में अकसर आमिर खान, अजय देवगन, रानी मुखर्जी, अक्षय कुमार, प्रीति जिंटा, करीना कपूर, शिल्पा शेट्टी आदि का नाम लिया जाता है। हॉलीवुड की अदाकारा जेनिफर लोपेज के अलावा एंजेलिना जोली की लिप सर्जरी तो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय रही है।

मुंबई स्थित कॉस्मेटिक सर्जरी इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सर्जन डॉ. मोहन थॉमस के अनुसार हमारे युवा कम उम्र में ही चेहरे से संबंधित परेशानियों के शिकार हो रहे हैं। खासकर मोबाइल फोन और टेबलेट जैसे उपकरण जिनमें आपको सिर नीचे करके काम करना पड़ता है उनके कारण त्वचा का ढीला होना, जबड़े का नीचे लटक जाना, त्वचा पर झुर्रियां पड़ना आदि आम हो गया है। तेजी से बढ़ती इस समस्या को ‘स्मार्टफोन फेस’ कहा जाने लगा है। हमेशा इन उपकरणों से ही चिपके रहने के कारण दूसरी शारीरिक समस्याएं भी होने लगी हैं जिनमें वजन बढ़ने के कारण शरीर का बेडौल हो जाना, चेहरे पर ज्यादा चर्बी आ जाना आदि भी शामिल हैं। इन सबका इलाज प्लास्टिक सर्जरी से किया जाता है। दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत में प्लास्टिक सर्जरी का खर्च अब भी बेहद कम है। हालांकि यह एक बड़ा कारोबार बन चुका है। अगर हम खर्च की बात करें तो प्लास्टिक सर्जरी से भौंहों को ऊपर उठाने का खर्च 85 हजार रुपये आता है। फेस लिफ्ट का खर्च 85 हजार, राइनोप्लास्टी का खर्च करीब 60 हजार रुपये, होंठों में सुधार 35 हजार रुपये में, शरीर से अतिरिक्त चर्बी निकालने के लिए लिपोसक्शन का खर्च करीब 70 हजार रुपये है जिसमें 8 लीटर तक चर्बी शरीर से निकाली जाती है। इसी प्रकार अलग-अलग प्रक्रियाओं का खर्च 10 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक है। ब्रेस्ट रीकंस्ट्रक्शन जैसी जटिल प्रक्रिया ढाई लाख रुपये से भी महंगी पड़ती है मगर लोग सुंदर दिखने के लिए खर्च की कोई चिंता नहीं करते।

वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी

भले ही सदा जवान दिखने की चाह में लोग उपरोक्त विधियों का इस्तेमाल करते हों मगर आज भी पूरे भारत में सुंदरता बढ़ाने और शारीरिक कायाकल्प के लिए सबसे लोकप्रिय विधि आयुर्वेद ही है। बुढ़ापे को मात देने के लिए बड़ी संख्या में लोग जगह-जगह खुले स्पा, पंचकर्म सेंटर या अन्य आयुर्वेदिक केंद्रों का रुख करते हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के राष्ट्रीय गुरु और वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक अच्युत कुमार त्रिपाठी आउटलुक से बातचीत में कहते हैं कि शारीरिक कायाकल्प के लिए आयुर्वेद में सबसे प्रभावी उपाय बताए गए हैं। इनमें पंचकर्म, कुटि प्रवेश और रसायन चिकित्सा खास हैं। समय के साथ शरीर में जो विषैले तत्व जमा हो जाते हैं उन्हें पंचकर्म के जरिये निकाल दिया जाता है जिससे पूरा शरीर फिर से स्वस्थ हो जाता है और त्वचा पर निखार आ जाता है। इस तकनीक में मरीज का पेट साफ कराना, विभिन्न तरह के तेल की मालिश, भाप बक्से के जरिये सिंकाई, कफ निकालने के लिए वमन कराना आदि शामिल हैं। इससे शरीर के सारे रोम छिद्र खुल जाते हैं और पेट की समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही, चेहरे पर कई तरह के फेस पैक लगाकर चेहरे की त्वचा को स्वस्थ बना दिया जाता है। डॉ. त्रिपाठी के अनुसार आजकल जो जगह-जगह प्राकृतिक चिकित्सा की जा रही है जिसमें सामान्य मिट्टी, मुलतानी मिट्टी, फलों का रस, सब्जियों का रस आदि इस्तेमाल कर चेहरे की चमक बढ़ाई जाती है वह भी आयुर्वेद का ही एक अंग है। कायाकल्प के लिए दूसरी विधि जो इस्तेमाल में लाई जाती है उसका नाम है कुटि प्रवेश। इसमें जमीन के अंदर मिट्टी की गुफा जैसी बनाकर वहां लोगों को रखा जाता है। इसके साथ ही वहां लोगों का आयुर्वेदिक रसायनों मसलन च्यवनप्राश, शिलाजीत, मकरध्वज आदि से इलाज किया जाता है। इन इलाजों को इस प्रकार समझा जा सकता है मानो जैसे आप अपनी गाड़ी की सर्विसिंग कराते हैं उसी प्रकार आयुर्वेद आपके शरीर की सर्विसिंग कर उसे फिर से चमका देता है।

बाजार में पर्सनल केयर या कहें सौंदर्य बढ़ाने वाले उत्पादों की अच्छी खासी रेंज उतारने वाली कंपनी लेबोरेट फार्मास्यूटिकल के निदेशक पराग भाटिया आउटलुक से बातचीत में मानते हैं कि देश की बड़ी आबादी यौवन और सौंदर्य की चाह रखती है और ऐसे लोग बड़े पैमाने पर सौंदर्य बढ़ाने वाले उत्पाद खरीदते हैं। इसी को ध्यान में रखकर उनकी कंपनी ने भी कॉस्मेटिक उत्पादों के अलावा आयुर्वेदिक उत्पादों की पूरी शृंखला बाजार में पेश की है। पराग कहते हैं कि चेहरे की चमक का सीधा संबंध आपके बेहतर स्वास्थ्य से होता है। इसे देखते हुए खून साफ करने, पथरी गलाने जैसे आयुर्वेदिक उत्पाद भी बाजार में उतारे गए हैं।

पराग का कहना सही है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में शारीरिक सुंदरता बढ़ाने और यौवन को बरकरार रखने के लिए सबसे बड़ा बाजार काउंटरों के जरिये बिकने वाले सौंदर्य उत्पादों का ही है। इनमें भी फेस क्रीम, फेस वाश, हेयर रीमूवर, कोल्ड क्रीम, बॉडी लोशन, हेयर जेल आदि सबसे अधिक बिकने वाले उत्पाद हैं। भारत में तो गोरा बनाने वाली क्रीम का भी खासा क्रेज है हालांकि तकरीबन सभी विशेषज्ञ कहते हैं कि यह धोखे के अलावा कुछ नहीं है। कोई क्रीम आपको गोरा नहीं बना सकती। सौंदर्य उत्पादों का बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि विदेशी कंपनियों के साथ-साथ भारत में बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद भी पूरे दम-खम से इस कारोबार में उतर गई है।

बाबा रामदेव की पतंजलि भी है सौंदर्य उत्पादों के बाजार में

डॉ. दीपाली कहती हैं कि भले ही आपके पास कितना भी पैसा हो और आप इन चिकित्सा पद्धतियों पर खर्च करने की स्थिति में हों, मगर सबसे बेहतर यही है कि आप प्राकृतिक तरीके से खुद को तंदुरुस्त बनाए रखें और अपनी दिनचर्या के जरिये ही अपने शरीर को युवा बनाएं। यही नहीं, इस बात को समझें कि जवानी शरीर में नहीं बल्कि आपके दिमाग में होती है। आप अपने खाने में प्रोटीन युक्त आहार मसलन मछली, अंडे, अलसी के दाने आदि को शामिल करें। अपने काम को जरूरी मानें मगर साथ में यह भी समझें कि आपका शरीर आपके काम से ज्यादा जरूरी है। इसलिए रोज कम से कम 45 मिनट का समय व्यायाम के लिए निकालें। प्रतिदिन 4 से 5 लीटर पानी पीने से त्वचा को रूखेपन की समस्या नहीं आएगी। साथ ही, इस बात का ध्यान रखें कि दोपहर में 11 से 1 बजे और फिर शाम में 3 से 5 बजे की धूप शरीर में सीधे न लगे। यह धूप बेहद नुकसानदेह होती है। सनस्क्रीन क्रीम खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता जरूर परख लें। आम तौर पर ब्यूटी पार्लरों में मिलने वाली क्रीमें त्वचा को कोई फायदा नहीं पहुंचातीं इसलिए उनसे परहेज ही करें। रात को सोने से पहले चेहरा धोएं और फिर कोई क्रीम लगाएं। डॉक्टर दीपाली के अनुसार अपने खाने में जामुनी रंग का भोजन अधिकतम शामिल करें क्योंकि हालिया अमेरिकी शोध के अनुसार ऐसे खाने में एंटी एजिंग तत्व सबसे अधिक होते हैं।

 

चमकते दिखने की मजबूरी

चेहरे की झुर्रियां हटाने वाले उपाय उन लोगों में खासे लोकप्रिय हैं जो खासकर पब्लिक फीगर होते हैं। इनमें टीवी प्रस्तोता, फिल्म कलाकार और कई राजनेता शामिल हैं। समाज के इस तबके में बोटोक्स, फिलर्स, थ्रेड, पीआरपी आदि तकनीक काफी लोकप्रिय हैं। इन तकनीकों से इलाज का खर्च एक कोर्स के लिए 7 हजार रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक आता है और इनमें 3 महीने से लेकर करीब एक साल तक चेहरे की झुर्रियां गायब रहती हैं और भौंहें जगह पर रहती है। अगर आप फिल्म कलाकारों की अलग-अलग फिल्मों को गौर से देखें तो यह साफ पता चल जाता है कि उनकी भौंहों की स्थिति हर बार अलग होती है। ऐसा उनके द्वारा लिए गए इलाज के कारण होता है। इन अभिनेताओं में से कई ने तो अपने चेहरे में कॉस्मेटिक सर्जरी द्वारा इलाज करवाकर बदलाव करवाया है ताकि उनका चेहरा और खूबसूरत और युवा दिखा सके। आमिर खान जब 45 वर्ष की उम्र में 20 वर्ष के इंजीनियरिंग छात्र की भूमिका निभाते हैं तो उसमें ऐसे ट्रीटमेंट का हाथ साफ दिखता है। एक बड़े राजनीतिक दल की सुप्रीमो के बारे में भी यह जानकारी आम है कि चेहरे की कसावट बरकरार रखने के लिए वह नियमित रूप से बोटोक्स के इंजेक्शन का इस्तेमाल करती हैं।

 

महिलाओं का बोलबाला

दुनिया का सौंदर्य एवं तंदुरुस्ती उद्योग अभी करीब 1 करोड़ 50 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा चीन, ब्राजील और अमेरिका का है। अकेले अमेरिका में एक वर्ष पहले लोगों ने 9 लाख 40 हजार करोड़ रुपये इस मद में खर्च कर डाले हैं। इसके मुकाबले अगर भारत के बाजार को देखें तो यह अभी करीब 50 हजार करोड़ रुपये का ही है। हालांकि इसकी विकास दर दुनिया के मुकाबले ज्यादा है। दुनिया में सौंदर्य एवं तंदुरुस्ती उद्योग की विकास दर सालाना 15 फीसदी है जबकि भारत में यह करीब 19 फीसदी है। खास बात यह है कि भारत में दूसरे उद्योगों में जहां पुरुषों का दबदबा है वहीं इस सेक्टर में स्थिति उलटी है। यहां 50 फीसदी से अधिक कार्यबल महिलाओं का है। इस सेक्टर में भी कायाकल्प का क्षेत्र अलग है जिसमें सबसे अधिक मांग केरल की महिलाओं की है। साथ ही पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल और नेपाल की महिलाएं भी इस सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। अगर यह देखा जाए कि इस सेक्टर में कितनी शिक्षित महिलाएं आ रही हैं तो हम पाते हैं कि सौंदर्य प्रसाधन की बिक्री, कायाकल्प सेंटर और ब्यूटी पार्लरों में करीब 50 फीसदी संख्या दसवीं पास महिलाओं की है। इसके बाद करीब 26 फीसदी महिलाएं 12वीं पास और करीब 33 फीसदी वोकेशनल ट्रेनिंग वाली हैं। यानी इस क्षेत्र में अब भी उच्च शिक्षित कार्यबल का पूर्ण अभाव है।

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