मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव की तस्वीर इस बार पहले से काफी अगल होने जा रही है। यहां हमेशा दो पार्टियों के बीच मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार मुकाबला त्रिकोणीय या कहीं चतुष्कोणीय में बदलने जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस को टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी (आप), समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) ने कमर कस ली है। बिहार और यूपी के बाद एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अभी से मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए हैं। पंजाब में मिली जीत से उत्साहित आप की नजर भी मध्य प्रदेश पर है। उधर, शिवसेना भी कहीं-कहीं अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में लग गई है।
आप पूरे मध्य प्रदेश में अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है, तो एआइएमआइएम ने सात शहरों में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। उससे पहले आप और एआइएमआइएम अपनी सियासी जमीन टटोलने में लग गई हैं। ये दल नगरीय निकाय चुनाव के जरिए विधानसभा की राह देख रहे हैं। यही वजह है कि आप न केवल नगरीय निकाय चुनाव में, बल्कि पंचायत चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतार रही है। फिर, निकाय चुनाव में सपा ने सभी 16 नगर निगम में अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। फिलहाल पार्टी ने सभी निकायों के लिए अलग-अलग चुनाव प्रभारी उतारने का ऐलान किया है। पार्टी ने सभी 16 निकायों में जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है, उनमें इंदौर में मूलचंद यादव, सिंगरौली में विश्वनाथ सिंह मरकाम, भोपाल में शिशुपाल यादव, देवास में अनिल सिंह पवार, जबलपुर में कमलेश पटेल, ग्वालियर में रणवीर सिंह, मुरैना में पुरुषोत्तम दूबे, रतलाम में राधेश्याम पवार, रीवा में कमलेंद्र पांडे, छिंदवाड़ा में अरविंद यादव, सागर में डॉ. आशिक अली और सतना में योगराज द्विवेदी का नाम शामिल है।
आप के प्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह कहते हैं, “हम लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, किसान और महिला सुरक्षा जैसे मूलभूत मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे। हमारी चयन समिति प्रत्याशियों का चयन कर रही है। चयन करने की प्रक्रिया में मुख्य मुद्दा थ्री सी का होगा। यानी हमारा जो प्रत्याशी होगा, वह न क्रिमिनल पृष्ठभूमि का होना चाहिए, न करप्ट होना चाहिए और न कम्युनल होना चाहिए। वह सर्वधर्म समभाव का ख्याल रखे।”
नगरीय निकाय चुनाव में पहली बार आप और एआइएमआइएम की एंट्री से कांग्रेस के वोट बंटने का डर सता रहा है, तो भाजपा भी चिंतित हैं। आप की पैठ शहरी इलाकों में दिखाई दे रही है। पार्टी के मीडिया सह प्रभारी मिन्हाज आलम खान का कहना है कि कई नगर निगमों के परिणाम आम आदमी पार्टी के पक्ष में आने वाले हैं। इसमें विशेष रूप से सिंगरौली नगर निगम को लेकर पार्टी काफी आश्वस्त है।
राज्य की दो बड़ी पार्टियां फिलहाल छोटी पार्टियों को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं, “प्रजातंत्र में हर दल को चुनाव लड़ने का अधिकार है, लेकिन इस बार चुनाव परिणाम एकतरफा कांग्रेस के पक्ष में आने वाले हैं। गांवों से लेकर शहरों तक हर जगह भाजपा के प्रति नाराजगी है। प्रदेश की जनता बदलाव के लिए वोट करने जा रही है। ऐसे समय में सबसे बेहतर विकल्प कांग्रेस है क्योंकि लोगों ने हमारी सरकार के अठारह महीने के दौरान हमारा काम देखा है।” दूसरी ओर भाजपा भी त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले को सिरे से नकारती है। वह आप और एआइएमआइएम को कोई चुनौती नहीं मान रही है। पार्टी को उम्मीद है कि वह राज्य में पिछली बार की तरह ही सभी नगर निगमों पर कब्जा करेगी।
चुनावी जानकारों का मानना है कि पहले की तुलना में इस बार छोटी पार्टियों की कहानी अलग नजर आ रही है। छोटी पार्टियां तो पहले भी चुनाव में उतरती रही हैं लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी की स्थिति काफी अलग है। राज्य के निकाय चुनावों में इस पार्टी का खाता खुल सकता है। पार्टी उम्मीद कर रही है कि उसके पार्षद ही नहीं, बल्कि महापौर भी जीत सकते हैं। जो भी हो, अगले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ये स्थानीय चुनाव दिलचस्प होने जा रहे हैं।