खेल की तासीर ही ऐसी है कि वह प्रेरणादायक और खूबसूरत कहानियों से भरा होता है। इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) भी इससे अछूता नहीं है। इस बार 24 अक्टूबर का दिन आइपीएल की टीमों के लिए खास दिन था। उस दिन प्लेऑफ में जाने वाली टीमों का फैसला होना था। ऐसे में सभी टीमों पर काफी दबाव था। हालांकि यह खेल का हिस्सा है। लेकिन उनमें एक टीम और उसके एक बल्लेबाज के लिए यह दिन दूसरों से बहुत ही अलग था। हम बात किंग्स इलेवन पंजाब और उसके बल्लेबाज मनदीप सिंह की कर रहे हैं। 28 साल के मनदीप सिंह उस दिन जब सनराइजर्स के खिलाफ ओपनिंग के लिए उतर रहे थे, तो उससे महज 24 घंटे पहले उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। उनके पिता चंडीगढ़ में लीवर कैंसर से लड़ाई हार गए थे। इसके बावजूद वे मैदान पर उतरे। उस दिन न केवल मनदीप बल्कि उनकी टीम किंग्स इलेवन पंजाब के जज्बे का ही कमाल था कि उन्होंने सनराइजर्स को महज 127 रन का लक्ष्य देकर भी 12 रनों से हरा दिया।
इस मैच के दो दिन बाद शारजाह में मनदीप की कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ 50 रनों की पारी ने इस आइपीएल सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब को लगातार 5वीं जीत हासिल करने में अहम भूमिका निभाई। अर्धशतक बनाने के बाद मनदीप ने आसमान की ओर देखते हुए शायद अपने पिता के प्रति आभार प्रकट किया। उस भावना को समझते हुए ही मनदीप को उस वक्त मौजूद क्रिस गेल ने गले से लगा लिया।
भावनात्मक पल में जिस तरह मनदीप ने दृढ़इच्छा शक्ति दिखाई, उसके कायल दुनिया के दो बेहतरीन बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर और विराट कोहली भी हो गए। खास बात यह है कि खेल के दौरान इस तरह के सदमे का सामना खुद इन दोनों खिलाड़ियों ने किया है। बात 2006 की है जब विराट रणजी ट्रॉफी का मैच खेल रहे थे। उस वक्त उनके पिता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। महज 18 साल के कोहली ने उस दिन 90 रन बनाकर दिल्ली की टीम को फॉलोऑन से बचा लिया था। इसी तरह 1999 के विश्व कप के दौरान तेंडुलकर ने अपने पिता को खो दिया था। वे ब्रिटेन से भारत आकर अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होकर वापस मैच खेलने पहुंच गए थे, जहां पर उन्होंने ब्रिस्टल में केन्या के खिलाफ बेहतरीन शतक बनाया था।
आइपीएल इस तरह की दिल छूने वाली कई कहानियों का गवाह रहा है। इस बार अगर मनदीप ने अपना जज्बा दिखाया है तो कई अनजान खिलाड़ियों ने भी प्रतिभा के दम पर अपनी खास पहचान बनाई है। आइपीएल में 14 अक्टूबर को दुबई में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ दिल्ली कैपिटल्स का अपना पहला मैच खेलने से पहले तुषार देशपांडे एक अनजान खिलाड़ी थे। लेकिन जिस तरह उन्होंने 4 ओवर में 37 रन देकर दो विकेट लिए, उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के सुपरस्टार कागिसो रबाडा भी उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। उन्होंने कहा, “उनकी प्रतिभा को देखते हुए लगता है कि भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छी खबर है।” आइपीएल में अनजान खिलाड़ियों के हीरो बनने की कहानी कोई नई नहीं है। यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है, जो 8 फ्रेंचाइजी के जरिए निखर कर सामने आ रही है। ये फ्रेंचाइजी इस तरह की प्रतिभा का लगातार ख्याल रखती हैं, जिससे दो महीने तक चलने वाले आइपीएल के बाद ये कहीं खो न जाएं।
राजस्थान रॉयल्स के सीओओ जेक लश मैकरम का कहना है, “पिछले कुछ वर्षों में हम ऐसी प्रतिभाओं को खोज निकालने में सफल रहे हैं, जिन्हें मौका नहीं मिला था। हमने आइपीएल के जरिए उन्हें लॉन्चपैड दिया है। रवींद्र जाडेजा उनमें से एक हैं, उन्होंने पहला आइपीएल हमारे लिए खेला था। आजिंक्य रहाणे हमारे पास आए, उन्होंने अपनी प्रतिभा को निखारा और आज भारतीय क्रिकेट टीम के तीनों फॉर्मेट में हैं।” भारतीय टीम का जब विदेशी दौरों के लिए चयन होता है तो उसमें आइपीएल की छाप साफ तौर पर दिखाई देती है। हाल ही में जब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए तीनों फॉर्मेंट के लिए टीम का चयन किया गया, तो भी आइपीएल का असर दिखा है। टी-20 टीम में वरुण चक्रवर्ती के चयन ने सबको अचरज में डाल दिया। लेकिन वरुण ने जिस तरह दिल्ली कैपिटल्स के मजबूत बल्लेबाजी क्रम के खिलाफ 5 विकेट चटकाए, वह उनके चयन को सही साबित करता है। इसी तरह के.एल.राहुल का उप-कप्तान के रूप में प्रमोशन भी उनकी नेतृत्व क्षमता को साबित करता है। सुनील गावस्कर का यह बयान “कोई कप्तान परफेक्ट नहीं होता है,” इस बात की ओर इशारा करता है कि टीम को विराट कोहली के बैकअप की जरूरत है।
दिल्ली कैपिटल्स के सीईओ धीरज मल्होत्रा का कहना है, “भले ही औसत क्रिकेट प्रशंसकों को आइपीएल एक मनोरंजन का जरिया लगता हो लेकिन देशपांडे जैसी प्रतिभा को तलाशने और निखारने के लिए जो काम किया जाता है, उसके लिए काफी मेहनत और धैर्य की जरूरत होती है। अगर आप मौजूदा भारतीय टीम को देखें तो श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत और पृथ्वी शॉ ने आइपीएल में दिल्ली के साथ करिअर शुरू करके टीम के सभी फॉर्मेट में जगह बनाई है। टीम के लिए पूर्व विकेट कीपर विजय दहिया दुनिया भर के क्रिकेट टूर्नामेंट पर नजर रखते हैं। हमारे कोच मोहम्मद कैफ और दूसरे विश्लेषक घरेलू क्रिकेट पर नजर रखते हैं।”
राजस्थान रॉयल्स ने तो एक तरह से इसके लिए एक प्रयोगशाला जैसा मॉडल तैयार कर रखा है। मैकरम कहते हैं, “नागपुर में हमारे पास एक रॉयल अकादमी है, जो एक इन्नोवेशन सेंटर की तरह काम करती है। वहां पर हम नई तकनीकी का परीक्षण खिलाड़ियों के साथ करते हैं। जब वे सीजन के लिए आते हैं, तो उन्हें बस मैच खेलने के लिए तैयार होना पड़ता है।” साफ है कि इन सभी खूबसूरत कहानियों के पीछे एक खास रणनीति और सोच होती है, जिसे क्रिकेट के प्रशंसक नहीं देख पाते हैं। शायद इसीलिए क्रिकेट के सबसे बड़े टूर्नामेंट आइपीएल की तुलना क्रिकेट लीजेंड जोंटी रोड्स ओलंपिक से करते हैं।
कल का सितारा
वरुण चक्रवर्ती, (कोलकाता नाइटराइडर्स)
अगर खुद पर भरोसा पहाड़ को हिला सकता है, तो वरुण चक्रवर्ती इस वक्त उस सपने को जी रहे हैं। मंदिरों के शहर तंजावुर के रहने वाले 29 साल के वरुण ने कुछ वर्षों पहले चेन्नै के एसआरएम विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर की पढ़ाई पूरी की थी। ऐसे में उम्मीद यही थी कि वे आर्किटेक्ट बनकर अपने करिअर को नई उड़ान देंगे। लेकिन कई बार जो लगता है, वैसा होता नहीं है, क्योंकि जीवन में किस्मत का भी अहम हिस्सा होता है। वरुण के जीवन में भी कुछ ऐसा ही घटा है। वे केवल दो साल पहले 2018 में टी-20 क्रिकेट में खेलने के लिए गंभीर हुए। और कमाल देखिए कि उन्होंने इस सीजन में दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ न केवल 5 विकेट लिए, बल्कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टी-20 की भारतीय क्रिकेट टीम में भी उनका चयन हो गया है।
एक समय टेनिस बाल क्रिकेटर, वरुण अपने जीवनयापन के लिए फ्रीलांसर के रूप में आर्किटेक्ट का काम करते थे। लेकिन यह काम उनको संतुष्टि नहीं देता था। ऐसे में उन्होंने क्रिकेट की ओर रुख किया और चेन्नै लीग में एक ऑलराउंडर के रूप में चौथे दर्जे के टीम में जगह बनाई। लेकिन एक चोट ने उन्हें स्पिनर बना दिया। यहीं से उन्होंने अपनी गेंदबाजी में विविधता लाने पर भी काम करना शुरू किया। जुबली क्रिकेट क्लब में उन्होंने सात ओवरों वाले मैच में जब 3.06 की इकोनॉमी रेट से 31 विकेट लिए, तो यह तय हो गया कि किस्मत को कुछ और ही मंजूर है। जल्द ही उन्होंने तमिलनाडु प्रीमियर लीग में एक बेहतरीन स्पिनर के रूप में अपनी पहचान बना ली। वे न केवल ज्यादा विकेट लेते हैं, बल्कि पॉवर प्ले और स्लॉग ओवर में रन भी बहुत कम देते हैं। उनकी प्रतिभा को आप इसी से समझ सकते हैं कि मदुरै के लिए खेलते हुए 40 ओवर में 125 डॉट बाल फेंकी थी। राज्य के चयनकर्ताओं ने उनकी प्रतिभा को देखते हुए तमिलनाडु की विजय हजारे ट्राॅफी के लिए चुनी गई टीम में शामिल कर लिया। राज्य के लिए खेलते हुए उन्होंने 9 मैचों में 4.23 की इकोनॉमी रेट से 22 विकेट झटक लिए, जहां से उनके लिए रणजी टीम में चयन का भी रास्ता साफ हो गया।
इस बीच आइपीएल के लिए प्रतिभा खोजने वालों की भी नजर चक्रवर्ती पर पड़ गई, और उन्हें चेन्नै सुपर किंग्स की टीम के लिए नेट पर बॉलिंग करने का भी मौका मिला। इसके बाद दिनेश कार्तिक ने उन्हें कोलकाता नाइटराइडर्स की ट्रेनिंग में भी बुलाया। वैसे तो उन्हें मुंबई इंडियंस ने 2019 में ट्रायल के लिए चुना था, लेकिन उन्हें खेलने का मौका 2019 में किंग्स इलेवन पंजाब की तरफ से मिला। किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें 8.4 करोड़ रुपये में खरीदा, जो उनके बेस प्राइस से करीब 42 गुना ज्यादा था। इससे खूब सुर्खियां भी बनीं। लेकिन वे बहुत ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके। 2020 में किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें रिलीज कर दिया, जिसके बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू ने उन्हें 4 करोड़ रुपये में खरीदा है। दिल्ली के खिलाफ इस सीजन में 4 ओवर में 20 रन देकर 5 विकेट हासिल करने वाले चक्रवर्ती कहते हैं, "खुद पर भरोसा ही उन्हें ताकत देता है।" निश्चित तौर पर क्रिकेट ने उन्हें दोबारा मौका दिया है, और इस सीजन के प्रदर्शन से लगता है कि चक्रवर्ती अब आसामान छूने को तैयार हैं।
सौमित्र बोस
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विराट बने गुरु
देवदत्त पडिक्कल, (रॉयल चैलेंजर्स बंगलौर)
टीम: इंडिया ए, इंडिया अंडर-19, कर्नाटक, रॉयल चैलेंजर्स बंगलैर
कहते हैं कि आंकड़े झूठ नहीं बोलते हैं। रॉयल चैलेजर्स बंगलौर के देवदत्त पडिक्कल पर यह कहावत पूरी तरह से फिट बैठती है। उन्होंने अपने बल्ले के प्रदर्शन से आरसीबी में विराट कोहली और एबी डी विलियर्स जैसे बल्लेबाजों के बीच अपनी जगह बना ली है। आइपीएल 2020 में देवदत्त का बल्ला खूब बोल रहा है। 20 साल के देवदत्त के लिए घरेलू सीजन भी काफी धमाकेदार रहा है। बाएं हाथ का यह बल्लेबाज आइपीएल का ऐसा पहला खिलाड़ी बन गया है, जिसने अपने पहले आइपीएल में ही तीन अर्धशतक लगाए हैं। इसके अलावा उनके पास एक अनोखा रिकार्ड है। वह ऐसे पहले खिलाड़ी है, जिन्होंने अपने पहले प्रथम श्रेणी, लिस्ट ए, टी-20 और आइपीएल मैच में अर्धशतक लगाया है। देवदत्त ने इसके अलावा 2019-20 के घरेलू सीजन में कर्नाटक के लिए करीब 2000 रन बनाए हैं। इसके अलावा, इस साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज देवदत्त ही हैं।
देवदत्त के प्रदर्शनों से साफ है कि वे भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं। केरल से कर्नाटक शिफ्ट होने वाले देवदत्त की किस्मत 2019 में आरसीबी द्वारा आइपीएल के लिए चुने जाने से चमकी। उस वक्त आरसीबी ने उन्हें 20 लाख रुपये में खरीदा था। देवदत्त की एक कहानी आजकल और भी चर्चा में है। ऐसा कहा जा रहा है देवदत्त के माता-पिता ने उनके जन्म से पहले यह तय कर लिया था, कि अगर उनका बच्चा लड़का होगा, तो उसे क्रिकेटर ही बनाएंगे। हालांकि किसी की सफलता के बाद कई सारी कहानियां भी बन जाती हैं, पर हकीकत यह है कि आरसीबी के लिए कोहली ने देवदत्त को अपना “मेंटी” चुन लिया है। किसी भी युवा के लिए इससे बेहतर क्या हो सकता है। आने वाले समय में अगर देवदत्त को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिल जाए, तो आश्चर्य मत करिएगा।
जयंता ओइनम
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यार्कर किंग
तंगरासू नटराजन, (सनराइजर्स हैदराबाद)
टीमः किंग्स इलेवन पंजाब, सनराइजर्स हैदराबाद
हर कोई अच्छी कहानी पसंद करता है। उसमें भी, अगर किसी ऐसे लड़के के जज्बे की कहानी हो, जो एक छोटे से गांव से निकलकर आज दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है तो उससे बेहतर क्या हो सकता है। ऐसा ही कुछ यूएई में आयोजित आइपीएल 2020 में बाएं हाथ के तेज गेदबाद तंगरासू नटराजन दिखा रहे हैं। तमिलनाडु के अपने गांव में 29 साल के नटराजन की क्रिकेट अकादमी भी है। आइपीएल में उनके प्रदर्शन को देखते हुए, ‘यार्कर मैन’ नाम से प्रसिद्ध नटराजन को ऑस्ट्रेलिया जा रही भारतीय क्रिकेट टीम के साथ भेजा जा रहा है। हालांकि वे टीम का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन उन्हें विराट कोहली, स्टीव स्मिथ, जसप्रीत बुमराह, डेविड वार्नर जैसे खिलाड़ियों के साथ रहने का मौका जरूर मिलेगा। इतनी उपलब्धियों के बावजूद नटराजन के माता-पिता क्रिकेट के बारे में शायद ही कुछ जानते हैं।
आइपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेल रहे नटराजन अपनी यार्कर से सबको हैरान किए हुए हैं। नटराजन का जन्म सेलम जिले के चिन्नप्पापट्टी गांव में हुआ। उन्होंने यार्कर डालने की क्षमता खुद अपने स्तर पर विकसित की है। आज उनकी तुलना बुमराह और लसिथ मलिंगा से होने लगी है। एक तरफ प्रदर्शन के दबाव में आकर जहां बड़े खिलाड़ी भी लड़खड़ा जाते हैं, वहीं नटराजन को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए आइपीएल एक प्लेटफॉर्म के रूप में मिल गया है। नटराजन को तमिलनाडु प्रीमियर लीग में अच्छे प्रदर्शन की वजह से सबसे पहले 2017 में आइपीएल के लिए किंग्स इलेवन पंजाब ने चुना था, लेकिन उस सीजन में वे केवल छह मैच खेल पाए थे। पिछले दो सीजन से सनराइजर्स हैदराबाद टीम में शामिल होने के बाद से उनका करिअर ग्राफ बढ़ता जा रहा है।
जयंता ओइनम
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मजबूत इरादे वाला
अर्शदीप सिंह
(किंग्स इलेवन पंजाब)
अंतिम ओवर में विपक्षी टीम को 14 रन बनाने थे और एक चूक पर आइपीएल की प्लेऑफ बर्थ दांव पर लगी हुई थी। ऐसे में बहुत कम कप्तान होंगे, जो 21 साल के युवा तेज गेंदबाज पर दांव लगाएंगे। लेकिन किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान के.एल. राहुल ने अर्शदीप के हाथ में बॉल थमा दी। राहुल का दांव काम कर गया और किंग्स इलेवन पंजाब को न केवल जीत मिली बल्कि अर्शदीप ने उस ओवर में दो विकेट भी लिए। इस सीजन में अर्शदीप ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अब तक 9 विकेट हासिल किए हैं।
6 फुट 3 इंच लंबे अर्शदीप के तरकश में बाउंसर, मौके पर धीमी गेंद करने की कला और यॉर्कर शामिल हैं। अब वे अपनी टीम के नियमित सदस्य बन गए हैं। उनके पिता दर्शन सिंह मोहली में अपने घर में बैठकर एक-एक गेंद देखते हैं। वे खुद भी क्रिकेटर रह चुके हैं। हालांकि उन्हें वैसी सफलता नहीं मिल पाई। लेकिन अर्शदीप के लिए उन्होंने सीआइएसएफ की नौकरी छोड़ दी, ताकि वे उसके खेल पर फोकस कर सकें। अर्शदीप के कोच और पूर्व प्रथम श्रेणी खिलाड़ी जसवंत राय का का कहना है “उसकी ग्रोथ काफी बेहतरीन है।” अर्शदीप जब 14 साल के थे तो वे उनके पास चंडीगढ़ अकादमी में आएा थे। उस समय उनके पास विविधिता तो थी लेकिन बॉलिंग पर उनका नियंत्रण नहीं था। इन कमियों पर उन्होंने काफी मेहनत की है। उनकी सबसे बड़ी क्षमता बॉलिंग में विविधता है।
आशुतोष शर्मा
देह और दिमाग का बल
राहुल तेवतिया
(राजस्थान रॉयल्स)
बहुत कम लोगों को इस बात की उम्मीद थी कि 27 साल के राहुल तेवतिया इस बार आइपीएल में कुछ कमाल दिखा पाएंगे। लेकिन राहुल का कठिन परिश्रम, अपनी क्षमताओं की समझ और लगातार बेहतर करने की ललक ने कुछ और ही कहानी तय की थी। इस बार आइपीएल में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से खेलने से पहले वे किंग्स इलेवन पंजाब, दिल्ली कैपिटल्स के साथ भी खेल चुके हैं। वे उन चुनिंदा खिलाड़ियों में हैं, जो अपनी क्षमता और साहस पर भरोसा करते हैं। उनकी खासियत को ऐसे समझा जा सकता है कि वे टी-20 मैच में रनों का पीछा करते हुए 8 गेंद पर 19 रन भी बना सकते हैं और 5 छक्के भी लगा सकते हैं। उनकी अंत तक हार नहीं मानने की खासियत ने ही राजस्थान रॉयल्स को किंग्स इलेवन पंजाब से दो बार और सनराइजर्स हैदराबाद से जीत दिलाने में काम आई है। आइपीएल में अभी तक उन्होंने 44.80 के औसत से 224 रन बनाए हैं और 7 विकेट भी हासिल किए हैं। उनका यह प्रदर्शन उन्हें टीम के दूसरे महत्वपूर्ण साथियों जोस बटलर, स्टीव स्मिथ और संजू सैमसन की कतार में खड़ा कर रहा है। गुरुग्राम के पास स्थित एक छोटे से गांव सीही से आने वाले तेवतिया का जन्म उस परिवार में हुआ है, जहां बाबा धरमवीर सिंह पहलवान हुआ करते थे। आठ साल की उम्र में उनके पिता कृष्णन पाल, राहुल को विजय यादव क्रिकेट अकादमी में लेकर गए। उसके बाद से राहुल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। उन्होंने शुरुआत लेग स्पिनर के रूप में की थी लेकिन हरियाणा टीम में अमित मिश्रा और यजुवेंद्र चहल जैसे स्पिनर को देखते हुए, राहुल ने अपनी बैटिंग क्षमता को निखारने पर जोर दिया और उसका परिणाम आज सबके सामने है।
आशुतोष शर्मा