प्रतिरोध के नए चेहरे
दिल्ली दंगे में कथित शिरकत के लिए सख्त कानून यूएपीए के तहत मई 2020 से गिरफ्तार छात्र एक्टीविस्ट नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा आखिरकार बड़ी अदालती जद्दोजहद के बाद तिहाड़ जेल से रिहा हुए। दिल्ली हाइकोर्ट के अहम फैसले के बाद निचली अदालत ने उनकी रिहाई का आदेश दिया। हाइकोर्ट ने फैसले में कहा था कि सरकारी नीतियों के खिलाफ प्रर्दशन के संवैधानिक अधिकार और आतंकी कार्रवाइयों में फर्क है और प्रतिरोध की आवाज को दबाने के लिए बेबुनियाद आरोपों के तहत यूएपीए का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उन्हें 24 घंटे में जमानत पर रिहा करने के हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस हीला-हवाली करती रही, लेकिन निचली अदालत ने पुलिस की दलील को खारिज कर दिया। अब पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रोक नहीं लगाई पर यूएपीए संबंधी हाइकोर्ट की टिप्पणी पर विचार कर रही है, ताकि सख्त कानूनों के तहत देश भर में दूसरी गिरफ्तारियों पर वह कोई नजीर न बने। जमानत पर जेल से छूटने पर नताशा नरवाल ने कहा कि उन्हें जेल में भारी समर्थन मिला और वे संघर्ष जारी रखेंगी। पिंजरा तोड़ महिला समूह की कार्यकर्ता नताशा का कहना है कि उन्हें कई महीने यह यकीन करने में लगे कि उन्हें इतने संगीन आरोपों में गिरफ्तार किया गया है।
प्रशांत किशोर की पौ-बारह
दिन में शरद पवार के साथ लंच, रात में शाहरुख खान के साथ डिनर। बंगाल और तमिलनाडु चुनाव के बाद प्रशांत किशोर के सितारे बुलंद हैं। आजाद भारत में चुनावी रणनीतिकारों की कमी नहीं रही है, लेकिन वे नेपथ्य में ही रहकर अपनी-अपनी पार्टी में अपने आकाओं की जीत तय करने के लिए योजनाएं बनाते थे। किशोर पहले पेशेवर चुनावी रणनीतिकार हैं जिन्होंने अपने को दलीय लक्ष्मण रेखा में नहीं घेरा। कभी नरेंद्र मोदी के केंद्र में प्रधानमंत्री बनने की रणनीति का हिस्सा बने, तो कभी उस समय मोदी के धुर विरोधी रहे नीतीश कुमार को जीत का सेहरा पहनाने में अहम भूमिका निभाई। फिर नीतीश से भी रूठ गए। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर करने में उनकी दाल नहीं गली, लेकिन पंजाब में अमरिंदर सिंह, आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु में एम.के. स्टालिन के लिए चुनावों में जरूर सहयोगी बने, जिसमें उनकी जीत हुई। फिर भी, उनकी जितनी वाहवाही इस वर्ष ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सत्ता में वापसी के कारण हुई, शायद पहले कभी नहीं हुई। यही कारण है कि आज उनके साथ दिग्गज नेताओं से लेकर बॉलीवुड सुपरस्टार तक रोटियां तोड़ने को बेताब हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि राज्य में भाजपा की सीटें 100 से कम में सिमट जाएंगी। हुआ भी वही, भाजपा को महज 77 सीटें मिलीं। इसलिए ममता ने 2026 तक चुनावी किशोर की ‘इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ के साथ अपना अनुबंध जारी रखा है। हालांकि किशोर इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि वे स्वयं अब कोई नया काम करना चाहते हैं, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में रणनीति के स्तर पर अहम भूमिका निभाएंगे।
जोकोविच नडाल-फेडरर से सिर्फ एक ग्रैंड स्लैम पीछे
सर्बिया के सुपरस्टार टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच ने फ्रेंच ओपन टेनिस के फाइनल में ग्रीस के 22 वर्षीय स्टेफानोस सितसिपास को हराकर खिताब अपने नाम किया। उसके पहले रोलां गैरां में सेमी-फाइनल में स्पेन के राफेल नडाल को हराकर उनकी 14वें फ्रेंच ओपन और रिकॉर्ड 21वें ग्रैंडस्लैम खिताब की उम्मीद तोड़ दी। फ्रेंच ओपन में जोकोविच छठी बार फाइनल में पहुंचे थे। 2015 के बाद उन्होंने नडाल को पहली बार रेड क्ले कोर्ट पर हराया। नडाल की फ्रेंच ओपन के 108 मैचों में अब तक की यह मात्र तीसरी हार थी। जोकोविच से पहले नडाल को फ्रेंच ओपन में पहली हार 2009 में स्वीडन के रोबिन सोडरलिंग के हाथों मिली थी। जोकोविच का यह दूसरा फ्रेंच ओपन और उन्नीसवां ग्रैंड स्लैम खिताब है। वे अब नडाल और रोजर फेडरर के 20 ग्रैंड स्लैम खिताब से सिर्फ एक कदम पीछे हैं।
कदमों के निशां
टप्पू मिश्रा
ओड़िया पार्श्व गायिका टप्पू मिश्रा का कोरोना संक्रमण के बाद होने वाली दिक्कतों के कारण देहांत हो गया। उनकी गिनती ओडिशा की फिल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन गायकों में होती थी। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1995 में फिल्म कुला नंदन के गाने गाकर की थी। लेकिन उन्हें पहचान ‘ना रे ना बाजना बंसी’ गाने से मिली थी। टप्पू मिश्रा ने करीब 500 गाने गाए और चार राज्य फिल्म अवॉर्ड अपने नाम किए। उन्होंने सिर्फ ओड़िया में ही नहीं बल्कि बांग्ला और अन्य भाषाओं के गानों में भी अपनी आवाज दी।
नगंगोम डिंको सिंह
एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पूर्व बॉक्सर नगंगोम डिंको सिंह का 42 वर्ष की उम्र में इंफाल में देहांत हो गया। 1998 में उन्होंने बैंकाक एशियाई खेलों में भारत को स्वर्ण पदक जिताया था। वह 16 साल में भारत का पहला गोल्ड था, उससे पहले 1982 में कौर सिंह ने जीता था। डिंको कुछ वर्षों से बीमार थे और उनके लीवर का इलाज चल रहा था। इस दौरान वे कोरोना संक्रमित भी हुए, लेकिन कोविड को हराने के बाद भी वे जिंदगी से जंग हार गए। उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था।
जियोना चाना
मिजोरम में कथित तौर पर दुनिया के सबसे बड़े परिवार के मुखिया जियोना चाना का 76 साल में निधन हो गया। वे अपने पीछे 38 पत्नियां और 89 बच्चे छोड़ गए हैं। वे डायबिटीज और हाइपरटेंशन से ग्रस्त थे। उनका परिवार मिजोरम के पहाड़ी गांव में सौ कमरों वाली चार मंजिला इमारत में रहता है। उनसे मिलने पर्यटक उनके गांव जाते थे। उनका परिवार दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र रहा है। जियोना चाना ने पहली शादी 17 साल में की थी। उनकी पत्नी उनसे तीन साल बड़ी थीं। 1942 में हमावंगकान गांव से निकाले जाने के बाद उनके दादा खुआंगतुहा ने चुआंथर संप्रदाय का गठन किया था। उस समय से ही उनका परिवार बक्तावंग गांव में रह रहा है।
मिल्खा सिंह
फ्लाइंग सिख के रूप में मशहूर धावक मिल्खा सिंह का 91 वर्ष की आयु में चंडीगढ़ में निधन हो गया। वे कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद कई समस्याओं से जूझ रहे थे। चार दिन पूर्व ही उनकी पत्नी का निधन हो गया था। 1960 में विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के बावजूद मिल्खा सिंह भारत के लिए पदक नहीं जीत पाए और उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। मिल्खा सेकंड के सौवें हिस्से से ब्रांज मेडल जीतने से चूक गए, लेकिन अपने जीवन काल में ही वे युगपुरुष बन गए। उनकी गणना ऑल टाइम ग्रेट खिलाडि़यों में होती रही है। उन्होंने देश के लिए पहला गोल्ड मेडल 1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता। वहां उन्होंने जो रिकॉर्ड बनाया, वह अगले पांच दशक तक उनके नाम रहा। मिल्खा ने चार बार एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल किया।
चंद्रशेखर
बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर वैद्य का मुंबई में निधन हो गया। वे 98 साल के थे। अपने करियर में उन्होंने 110 से ज्यादा फिल्में की, जिनमें 1964 में प्रदर्शित फिल्म चा चा चा और 1966 में आई फिल्म स्ट्रीट सिंगर का उन्होंने निर्देशन भी किया। चंद्रशेखर ने 1950 के दशक की शुरुआत में बतौर जूनियर आर्टिस्ट फिल्मी करियर की शुरुआत की। उन्होंने रामानंद सागर की रामायण में राजा दशरथ के महामंत्री सुमंत का किरदार निभाया था। 1923 में हैदराबाद में जन्मे चंद्रशेखर बहुत कम उम्र में फिल्मी दुनिया में आ गए थे। भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था और फिल्म इंडस्ट्री में कलाकारों और बाकी कर्मियों की बेहतरी के लिए जीवन भर प्रयासरत रहे।
अशोक पनगडि़या
जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. अशोक पनगडि़या का जयपुर में निधन हो गया। वे 71 वर्ष के थे। वे कोरोना वायरस संक्रमण और उसके बाद की जटिलताओं से पीडि़त थे। वे एक निजी अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से वेंटिलेटर पर थे। उन्होंने अपने जीवन काल में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और कोरोना महामारी के समय में भी चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में राजस्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मार्किस किडो
बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुष डबल्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले इंडोनेशिया के बैडमिंटन खिलाड़ी 36 साल के मार्किस किडो का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। किडो ने 2006 वर्ल्ड कप में पुरुष युगल का स्वर्ण पदक, 2007 वर्ल्ड चैंपियनशिप और 2008 बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। इसके अलावा वे सात बार एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता भी रह चुके थे।