जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से कानून और व्यवस्था की आड़ में आम सरकारी कामकाज से जुड़े अधिकारियों के तबादले करने से बचने को कहा है। उन्होंने यह भी मांग की है कि आइएएस अधिकारियों की तैनाती मंत्रिपरिषद की सिफारिशों पर ही की जानी चाहिए। दरअसल, शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सिन्हा ने अप्रैल में राजस्व विभाग में तबादले कर दिए, जिससे मुख्यमंत्री का पारा चढ़ गया, क्योंकि विभाग उन्हीं के मातहत है। सिन्हा के आदेश पर राजस्व विभाग के अतिरिक्त उपायुक्तों (एडीसी) और उप मंडल मजिस्ट्रेटों सहित 48 अधिकारियों के तबादले किए गए।
सूत्रों के अनुसार, उप-राज्यपाल की ओर से दलील यह दी गई है कि राजस्व विभाग में तबादले करने का अधिकार उनके पास है, क्योंकि राजस्व अधिकारी कार्यकारी मजिस्ट्रेट हैं और ‘‘कानून-व्यवस्था’’ की समस्याओं से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सूत्रों के मुताबिक, ये तबादले इसलिए किए, क्योंकि नायब तहसीलदार से लेकर जिला मजिस्ट्रेट तक के राजस्व अधिकारियों के पास कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां हैं। जम्मू-कश्मीर के कानून विभाग ने 16 अप्रैल को अनंतनाग जिले में तीन अधिकारियों को कार्यकारी मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया। यह आदेश कानून सचिव अचल सेठी ने जारी किया। सेठी ने कहा कि ‘‘एडीसी को कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान करने के आदेश डिप्टी कमिश्नर की सिफारिश पर जारी किए जाते हैं, और प्रक्रिया केवल बीएनएसएस में निर्धारित की गई थी।’’ एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के कई प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘कार्यकारी मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को अच्छे आचरण के लिए बॉन्ड भरने का आदेश दे सकता है, अगर उसे पता चले कि कोई व्यक्ति अपनी उपस्थिति छिपा रहा है और यह मानने का कारण है कि वह संज्ञेय अपराध करने के लिए ऐसा कर रहा है’’ या इसी तरह के उपाय ‘‘किसी व्यक्ति के शांति भंग करने की आशंका होने पर’’ ऐसा कह सकता है।
लेकिन अब्दुल्ला सरकार ने साफ कहा कि ‘‘राजस्व अधिकारी नागरिक प्रशासन का हिस्सा हैं और उसका तबादला मुख्यमंत्री ही कर सकता है, न कि उप राज्यपाल।’’
मुख्यमंत्री की ओर से यह भी कहा गया है कि, ‘‘अगर राजस्व विभाग में मजिस्ट्रेटों का तबादला भी करना है, तो वह सरकार यानी मुख्यमंत्री ही कर सकता है। इसके अलावा, कामकाज के नियमों के तहत आइएएस अधिकारियों का तबादला मंत्रिपरिषद की सिफारिशों पर किया जाना चाहिए।’’ आइएएस अधिकारियों का तबादला उप-राज्यपाल ही कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पहले आइएएस अधिकारियों के तबादले के लिए उनकी शक्तियों को सीमित करने से केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासन प्रभावित हुआ है। उन्होंने यह मांग भी दोहराई है कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए ताकि पुलिस अधिकारियों के तबादले और तैनाती सहित सभी शक्तियां निर्वाचित सरकार के पास हों।
मुख्यमंत्री के सलाहकार नासिर असलम वानी ने पुष्टि की कि राजस्व अधिकारियों के तबादलों का मुद्दा एलजी सिन्हा के समक्ष उठाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ये मुद्दे सरकार के विचाराधीन हैं।’’ इससे पहले, जब जम्मू-कश्मीर राज्य था, तब जम्मू-कश्मीर के संविधान के तहत कामकाज के नियम जारी किए गए थे। उन नियमों के अनुसार, मंत्रिमंडल को राज्यपाल या जम्मू-कश्मीर सरकार के नाम से जारी किए गए सभी कार्यकारी आदेशों के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार होना था, चाहे ऐसे आदेश किसी मंत्री द्वारा अपने पोर्टफोलियो के बारे में किसी मामले पर अधिकृत किए गए हों या मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के बाद दिए गए हों।